8 मार्च 2013
6 मार्च 2013
जफर की मौत...
इस सेंट्रल पार्क में बहुत
गंदगी थी, झील में पास के गाँव की भेंसे, सूअर पड़े रहते. जहाँ तहां पालतू कुत्तों
की शीट नज़र आती. पर एक पालतू कुत्तों की शिट को नज़र अंदाज़ कर लें यानि नाक रुमाल
से ढकने की बजाय नज़र को रुमाल से ढक दे तो पार्क साफ़ सुथरा मालूम होता है. पार्क
की थोड़ी बदली तस्वीर से नए नए आये एस ओ साहेब खुश हैं. पर अपनी खुशी किस्से बांटे –
सैर करने वाले बुद्धिजीवियों का काम है मीन मेख निकलना. सोचा लोकल मीडिया ‘मोहल्ला4यू’ को ही बुला लिया जाए जो पिछले वर्ष आकर पार्क
में फैली गंदगी को लेकर महकमे की बहुत छिछ्लेदार कर गया था.
सेंट्रल पार्क के इस नए रूप
से परिचय करवाया जाए. एस ओ साहेब से किसी तरह ‘मोहल्ला4यू’ लेनल वालों से संपर्क किया जो गत वर्ष आये थे. और सुबह ११
बजे का समय मिला.
इतर फुलेल लगा कर एस ओ
साहेब सुबह शार्प नाइन थर्टी पार्क के मैन गेट पर थे, कल ही सभी मालियों और चोकिदारों
को तक्सीद कर दिया गया था. मीडिया आ रहा सभी समय पर पहुँच कर अपने अपने में कार्य
में ढंग से लग जाए और राष्ट्रीय खेल ‘सीप’ (उत्तर भारत में ताश का खेल) पर विराम रहेगा.
एस ओ साहेब ने बाइक का
सेल्फ दबाया और रोजाना की तरह पार्क के दौरे पर निकले. पार्क का जो हिस्सा गाँव को
लगता था वहाँ काफी बदबू महसूस हुई.
रामपाल ने बताया कि कुत्ता मरा पड़ा है.
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