एक तनहा पेड़
एक दरवेश की तरह
मुझे बुलाता है
समझाता है
दुनिया का दस्तूर
जब तक हरे भरे थे
विकट थे , विकराल थे
पंछी आते थे पन्हा को
मुसाफिर aate the थकान मिटने को
आज तनहा यहाँ
दुनिया को कुछ दे नहीं सकता
तो दुनिया ने बेगाना किया
अपनों ने ही तो ये सिला दिया
परन्तु खुदा की सभी नियम्नते तो
मेरे लिए ही है
तुम्हारी आँखों का सकूं हों
तुम्हारी जज्बातों का
तुम्हारी खवा एइशों का सिला हूँ
jindagi jindadili ka nam hai.we are always with you.
जवाब देंहटाएंजारी रहिये, सुन रहे हैं.
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