जो महगाई नुमा द्रकुला के ग्रस्त हो चुके हैं अत: गरीबो का खून चूस रहे हैं।
क्या मीडिया के लोग सोए हैं? क्या मीडिया के लोग शरद पवार से डरते हैं? अगर जगे होते और न डर रहे होते तो शरद पवार को रात में न तो शांति से नींद आती और न खुद को ताकतवर समझ रहे होते। महंगाई का खलनायक अगर कोई इस देश में है तो वे हैं शरद पवार. इनके बयान, हावभाव, चालढाल, कामकाज से जगजाहिर हो रहा है कि महंगाई यूं ही नहीं बढ़ रही. इसे इन मंत्री जी और इनके अफसरों का प्रश्रय मिला हुआ है. जमाखोर, नेता, अफसर... सब मिले हुए लग रहे हैं. एक बयान आता है और जमाखोरी शुरू हो जाती है. दाम बढ़ने लगता है. आखिर कब तक मीडिया शरद पवार से डरता रहेगा? कब तक मीडिया वाले शरद पवार के आगे झुके रहेंगे??
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जवाब देंहटाएंहिन्दुस्तान के सारे के सारे नेता जिन्न,चुडैल, राक्षस ड्रैकुला वगैरह के ही तो वंशज हैं...:)
जवाब देंहटाएंये शरद पवार जैसे ड्रेकुला का कमाल नहीं बल्कि हमारे देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का निकम्मापन है | आज यह देश पूरी तरह दलालों के चंगुल में है और इस देश में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पद की गरिमा व महत्व नहीं रह गयी है | हमें शर्म आती है ऐसे देश का नागरिक होने पर जहाँ सरकार,सरकारी जाँच व्यवस्था और दोषियों को सजा देने की व्यवस्था है ही नहीं | यहाँ सत्य,न्याय,देशभक्ति और इमानदारो को सजा दी जाती है और दलालों को सम्मान ,वाह रे इण्डिया ...| इस देश को किसी सरकारी व्यवस्था की जरूरत नहीं है इस देश में आज शहीद भगत सिंह,खुदीराम बोस,चंद्रशेखर आजाद,डॉ.राजेंद्र प्रसाद व महात्मा गाँधी जैसे लोग जो इस देश के हर गांवों में मौजूद हैं को सहायता व सुरक्षा पहुँचाने की जरूरत है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। आपका ब्लॉग भड़ास में शामिल कर लिया गया है। पहले तो इस शानदार पोस्ट के लिए और फिर भड़ास में शामिल होने के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंएक ख़राब पोस्ट है ! निराशा हुई !
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