12 मार्च 2014

राजक नहीं , अराजक हूँ मैं...


क्या नौटंकी है साहेब ... क्लियर कर दीजिए .. करना का चाहते है.. राजनीति या फिर ड्रामेबाजी. एकगो बार जोर से हुंकार भर पूरा मीडिया इक्कठा कर लीजिये और अनाउंस कीजिए ..
हम दिल्ली कर मुख्यमंत्री बन कर दिल्ली के गरीब गुरबे लोगों की सेवा करना चाहता हूँ.
छोडिये.. ये बहुत मोसकिल काम है. दिल्ली का लोगबाग़ चाहते हैं कि कोई आइसा सरकार दिल्ली में आये कि पांच साल पुरे – हांजी पांच साल पुरे – दिल्ली जल बोअर्ड पर लगा दिए जाए. और हर दिल्ली वाले को अपने हिस्सा का उचित मूल्य पर पानी मिले आउर यमुना मैया को वापिस साफ़ पानी मिले.
आप कर सकते हैं.... पर नहीं
मैं दिल्ली का आम नागरिक भूल गया की आप तो अराजक हैं.. कैसे राजकीय कार्य कर सटे हैं.
आपने नहीं किया और न ही करेंगे.. क्योंकि आप तो आप है –
इस घोर कलियुग में पाप के भी बाप है.
कहने को तो आप तो पीरधानमन्त्री बन कर देस का सेवा करना चाहते.
पर यहाँ लोचा है.

असल में देश नहीं अपने आकाओं की सेवा करना चाहते हैं.
आपका भारत देश तो जम्मू से बस थोडा सा उपरे ही शुरू होता है. आज जब आपके पूर्वर्ती गुलाम कश्मीर को भूल गए, आप तो पूरा ही कश्मीर भूल गए जी. इसलिए अपना वेबसाईट में बिना कश्मीर के भारत का नक्सा लगा रखे हैं.
कल छत्तीसगढ़ में १६ जवान शहीद हो गए... आप को मुंबई में नौटंकी करने से फुर्सत नहीं... काश एको शब्द शिर्धांजलि बोल - बोल दिए होते. या फिर माओवाद को कंडेम कर दिए होते. हमरे दिल में एथि हो जाता ... बोले तो करार आ जाता है.

पर आप तो अराजक है ..
संजय दत्त के अंदाज में बोले तो
मैं हूँ अराजक....
लोगबाग़ खूब नाच रहे हैं... आप हाथ में वही इस्टीलवाला गिलास लिए महफ़िल में आते हैं... गिलास उठाकर लाल सलाम का नारा लगाते हैं... आपके माओवादी मित्र जाम हाथ से टेबुल पर रख कर ताली बजाते है.
और आप फिर बुलंद आवाज़ में कहते हैं...
हाँ मैं हूँ अराजक ..
देश में राज्य चलाने वाले किसी भी सिस्टम को नहीं मानता ...
राजक नहीं... अराजक हूँ में
नेपथ्य में खूब गीत बजता है.
कामरेड और कामरेडियां सब हाथ में हाथ डाले नाचते हैं..
कमरे के बाहर नारे लगते हैं ...
भारत माता की जय .. भारत माता की जय,..
१६ सैनिकों की शहादत का जशन है साहेब - फीका नहीं होना चाहिए....
टेबल पर भारत के नक़्शे जैसा बना केक रखा है... केक काटने की सेरमनी होती है..
आप हाथ में चक्कू लिए उपर नेपाल से नीचे आन्ध्र तक सीधे एक लकीर खींच देते हो...
उधर सी आई ए और फोर्ड फ़ौंडेशन के चीफ ख़ुशी से ताली बजाते हैं... शिमरित ली की आँखों में ख़ुशी के आंसू लुडकते हैं.
आप उस केक के टुकड़े ऊ तीनो के मुंह में देकर उनके पैर छूते हैं..
"यु क्यूट ट्रेडिशन इंडियन विथ कल्चरल भेल्यु ... वोव... बी हैप्पी विथ डिवाइड इंडिया"
आपकी बांछे खिल उठती है..
आप कमरे से बाहर निकलते हैं और बालकनी से झांकते हुए दोनों हाथ उठा कर जोर का नारा लगाते हैं...
भारत माता की जय ...
भावनाप्रधान देश की भावुक पब्लिक है साहेब... बावली - पुन: पुन: कोशिश करती है आपको सुनने की.
इ नौटंकी ख़त्म कीजिए साहेब ! ... क्लियर कर दीजिए .. देश का टुकड़ा टुकड़ा कर के चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और खुद के लिए एक हिस्सा रखना चाहते हैं - ताकि बचे हुए उस धरती के टुकड़े पर इत्मिनान से राज कर सकें.
जय रामजी की .

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.