2 दिस॰ 2010

छोडो यार .. एक कश लगाने दो.....

थामस, राजा, आदर्श, २ जी स्पेक्ट्रम,  राडिया, ........ छोडो यार .. एक कश लगाने दो... ढंग से. कल से आई टी सी कंपनी भी अपनी सिगरेट की फेक्टरी बंद कर रही है.... इसी पल को जी लें.... इस पनवाडी की दूकान पर ये कश पी लें..... और तुम हो कि थामस थामस लगा रखा है... CVC सरकार की और थामस भी सरकार का....... जो घोटाले हुए वो भी सरकारी.. राजा भी सरकार का हिस्सा या ये कह लो कि राजा की ही सरकार. क्या फर्क पड़ता है....... फर्क तो वहाँ पड़ रहा होगा जहाँ १५ दिन से कुछ संसद वेतन नहीं ले रहे..... पता नहीं घर का राशन कैसे भरेंगे.

    कितना ही आसान है सिगरेट के धुंए में गम को विलीन कर देना...... पर ये गम भुला नहीं जाता ... जब ये घोटाले दिमाग में घूम-घूम कर दही बिलो रहे हों, तो इसकी आउटपुट सिगरेट के धुंए में बाहर आती है. तुम कह रहे हो, थामस थामस क्या लगा रखी है. भाई, वो ध्यान देगा भ्रष्टाचार कैसे आदर्श हो.... आखिर सरकार ने उसको CVC पर बिठाया है.... तो उसका भी कर्तव्य हो जाता है की सरकार का ध्यान रखे. सिगरेट का धुआं कई बार आसमान में विलीन होते-होते अजीबोगरीब शक्ल अख्तियार कर लेता है. अभी धुआं निकला तो पता नहीं कुछ क्रास जैसा निशान बन गया...... वाकई कुछ नहीं सूझता. CVC का पद एक सवेधानिक पद है...... इसमें कोई धर्मवाद और जातिवाद थोड़े चलता है. ये अपने आप में ऐसे ही महत्वपूर्ण है जैसे की इस सिगरेट में तम्बाकू के बाद लगी फिल्टर का होना.

     युवराज को परिपक्व होने में अभी और समय है और ‘उस’ भलेमानुस से कम से कम ४ साल सरदारी और करवानी है...... कई काम अधूरे है..... तो ऐसे महत्वपूर्ण पदों पर थामस जैसे का होना लाजिमी है. इसी उधेड़बुन में एक जोर का कश और लेता हूँ और आउटपुट में जो धुआं निकलता है उसका रंग काला बदरंग सा नज़र आता है ...... और मैं जब उसे आसमान में उडेलता हूँ तो पहले का क्रास जो सफेदी लिए था... इस काले रंग में और खिल उठता है.


   सिगरेट जलती जा रही है..... मेरे सवालों के साथ-साथ...... सवाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहे .....  
   दिमाग में दही पूर्णता बन कर तैयार हो जाती है दूकान पर रखे टीवी में थोमस साहेब कहते हैं, "सरकार ने मुझे मुख्य सर्तकता आयुक्त (सीवीसी) नियुक्त किया है। मैं सीवीसी के रूप में काम कर रहा हूं।"

   सिगरेट का आखिरी कश लगाकर मैं उसे सड़क पर फेंकता हूँ और पैरों तले रौंद कर ...... बकबका कर चल पड़ता हूँ......


जय रामजी की
  
Photo : coursey by google.co.in 

6 टिप्‍पणियां:

  1. लगा लो बाबा ! कर लो अपने मन की, जब देश की यह हालत है तो भ्रष्ट ख़बरों को रोज चिन्हित करता, एक चिंतित लेखक, और कर ही क्या सकता है ??

    जवाब देंहटाएं
  2. हर फिक्र को धुवें मे उडाता चला गया

    जवाब देंहटाएं
  3. "...अभी धुआं निकला तो पता नहीं कुछ क्रास जैसा निशान बन गया...... वाकई कुछ नहीं सूझता. CVC का पद एक सवेधानिक पद है...... इसमें कोई धर्मवाद और जातिवाद थोड़े चलता है..."

    - किसने कह दिया आपसे? कि संवैधानिक पदों पर धर्म और जाति नहीं चलती… :) मीरा कुमार से दस गुना योग्य पड़े हैं लोकसभा अध्यक्ष बनने के लिये, मनमोहन सिंह से बीस गुना पड़े हैं प्रधानमंत्री बनने के लिये…

    ज़रा केन्द्रीय सचिवालय के महत्वपूर्ण सचिवों पर एक निगाह डालिये समझ जायेंगे कि कैसे केरल का कब्जा है वहाँ, और उसमें भी ईसाई…

    जाने दो यार… कश लगाओ…

    जवाब देंहटाएं
  4. "सरकार ने मुझे मुख्य सर्तकता आयुक्त (सीवीसी) नियुक्त किया है। मैं सीवीसी के रूप में काम कर रहा हूं।"

    जवाब देंहटाएं
  5. "दर्द ऐसा दरिया है दिल का कि बारिश रूठ भी जाए तो पानी कम नहीं होता" - बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  6. @ ये अपने आप में ऐसे ही महत्वपूर्ण है जैसे की इस सिगरेट में तम्बाकू के बाद लगी फिल्टर का होना.

    सदाचार के नियम सिगरेट पैकेट पर छपे चेतावनी सन्देश जैसे होते हैं।
    आगे आप जैसा समझें...

    जवाब देंहटाएं

बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.