5 दिस॰ 2010

काला धन ...... नेता जी के माथे पर बल .

काहे माथे पर बल डाले ...... इन्ह से उन्ह चक्कर काट रहे हो.... पेट में अफारा हो गया का ? या सुसरी अब विदेशी दारू भी नहीं पचती.... पी कर घूमना पड़ता है.
नहीं इ बात नहीं
फिर क्वोनो टेप-वैप का चक्कर परेशान कर रहा है....
नहीं इ बात नहीं........
इ बात नहीं उ बात नहीं, तो फिर का अपने कुंवर साहिब क्वोनो परेशानी खड़े किये हैं.... कहीं कोई बलत्कार-व्ल्त्कार का का चक्कर तो नहीं हैं.
चुपे रहो.......... जब देखो गटर-पटर करते रहती हो..... जाओ खाना लगाओ
पहले बात बताओ, का परेशानी है.
सुनो, परेसानी सुसरी बिदेश में पड़े पैसा की है.
हाँ, उ तो कब से रखे है जब मंत्री थे... और खूब घोटाले किये रहे और पैसा स्विस बैंक में जमा करवा दिए.... वहाँ तो सेफ है.
हाँ, सेफ तो था, पर अब वहाँ की सरकार ने फैसला कर लिया है, की किसी भी देस की सरकार यहाँ आकर कुछ कागज कारे करके, सभी खाते देख सकती है.... और पैसा भी वापिस ले जा सकती है...
पर इ बात तो पुरानी हो गई, इसमें परेसान होने की का जरूरत है, सरकार क्वोनो गैर थोड़े ही है.... उसका का जरूरत पड़ी है – पुराने खाते खंगालने की.
नहीं, अब उ बात नहीं है, इ सरकार पर अपनी पकड़ नहीं है...... इन्ह अब क्वोनो सुनवाई नहीं होती...
फिर भी, आप अपने को रो रहे हो, इ लोग भी पिछले ६-७ बरस से सरकार चला रहे हैं, कुछ न कुछ इन्होने भी जमा कर लिया होगा..... उ फिल्म नहीं देखि थी.... वक्त.. उमे राजकुमार बोले थे, शिनाय सेठ, जिसके अपने घर शीशे के हों, दूसरों पर पत्थर नहीं फैंका करते. बस. कौन जाएगा...
अरे, सरकार से ज्यादा डर उ बाबा से है, सुसरा खुदे तो न कोई बाल-बच्चा, लौकी का जूस पीकर गुज़ारा करता है, हल्ला कर रहा है – पैसा देश में मंगवाओ – पैसा देश में मंगवाओ.
अरे हल्ला करने दो, कौन सुनता है, किसी बाबा की..... बाकि तो सभी आप जैसे ही हैं न टोटली भ्रष्ट.....
अरे धीरे बोलो, तुमहो तो बस........ तभी कहते है, बीवी पढ़ी लिखी होनी चाहिए..... कहाँ गवार से गुजारा करना पड़ रहा है......
हाँ हाँ पढ़ी लिखी होनी चाहिए...... तुमहो कौन से पढ़े लिखे थे.... या कौन सा रोजगार था..... इ तो सुकर करो, हमरे बाप नें तुमरे खानदान देख कर सादी कर दी.  बिटिया को पढ़ा लिखा कर कौन सा तीर मार लिए..... देखो अपनी दोस्त को क्या-क्या कह रही थी.........

16 टिप्‍पणियां:

  1. रामदेव बाबा हो, राहुल बाबा हो या दीपक बाबा - इन बाबा लोगों की तो सुनो, वाह-वाह करो और पल्ला झाड़कर चल दो, तब तो सुखी रह सकेगा कोई। जिसने लगा ली दिल पे बात, समझो एक बाबा और तैयार:)
    जब हो जाये फ़ैसला स्विस बैंकों से काला धन वापिस लाने का, हमें सेवा का मौका मिलना चाहिये जी उस समय। बहुत हो लिया सुसरी ईमानदारी का प्रपंच, हम भी हाथ धो लेंगे बहती गंगा में।
    यार ये काला धन सारा विदेश में ही है न, यहाँ तो नहीं है? मेट्रो में जब 17-18 साल वालों को हाथ में दस-पन्द्रह हजार वाले मोबाईल, ब्रांडेड ड्रेसेस, शूज़, गोगल्स पहने देखता हूँ\था तो अपना अठारह सौ वाला मोबाईल और सादे से कपड़े सफ़ेद दिखते थे।
    एक अपील - काला धन की बजाय रंगीन धन कहा जाये तो कैसा रहे?

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  2. अब आये न गुरु पुरे फॉर्म में.....

    रामदेव बाबा हो, राहुल बाबा हो या दीपक बाबा :)

    ले लो मज़े, हर ब्लोगर के आगे बाबा लगाना चाहिए.....

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  3. बहुत सार्थक आलेख और व्यंग्य.. दीपक बाबा की जय..

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  4. बाबा जी (अपनी देसी मे कहूँ तो) लठ्ठ गाड दिये।
    बाकी सब भाई साहब (मो सम कौन) ने कह ही दिया है।

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  5. करारा व्यंग .. सार्थक लिखा है ... मोटी चॅम्डी वालों को कुछ असर नही हॉग पर ...

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  6. एक अपील - काला धन की बजाय रंगीन धन कहा जाये तो कैसा रहे?
    bhai log sahi keh rahe hai---

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  7. @पलाश जी, बेनामी बाबा की जय कहो
    @दीपक सैनी जी, भाई थम साथ हो लठ नू ही गाड देंगे.
    @दिगम्बर नासवा : . मोटी चॅम्डी वालों को कुछ असर नही हॉग पर .... बक बक करने में क्या दिक्कत है.
    @पूर्विया जी, सहमत हैं - भाई लोग साही कह रहे हैं.

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  8. लो कल्लो बात!हम आए भी नहीं अऊर संजय बाउजी हमरी सूचना चिपका गए कि जिसने दिल पर लगा ली वो हो गया बाबा.. लगता है ई हमरे दिल को बरबाद करके मानेंगे... दीपक बाबा पुराने दोस्त हैं,इनको तो कहेंगे नहीं कि ऐसी पोस्ट मत लिखो, हमको कहेंगे दिल पर मत लो!!
    चलिए दीपक बाबू, अपना एगो घिसापिटा शेर दागते हैं यहाँ परः
    उनकी हर रात गुज़रती है दीवाली की तरह,
    हमने इक बल्ब चुराया तो बुरा मान गए!!

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  9. बकबक करते रहने से कम से कम बिरादर लोगो को पता तो चल जाएगा कि किन-किन पे ध्यान देने है। जब पैसा आ जाएगा तो कौन सा टैक्स नहीं लगेगा। अइसा हुआ है कभी का....हां पैसा आने तो दो,,,,,अइसा अइसा ठिकाने लगावेंगे कि क्या याद करेंगे। ससुरन तीस साल तक किसी को टैक्स नहीं देना पड़ेगा..पर कौन सा...दिल्ली की शीला दीक्षित अइसा अइसा टैक्स खोज निकालेंगी की दिमाग घूम जाएगा...व

    वैसे भी जल्दी ही ब्लॉग लिखने पर भी टैक्स लग सकता है इतना बकबक करने पर।

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  10. .

    जिसके अपने घर शीशे के हों, दूसरों पर पत्थर नहीं फैंका करते..

    बिलकुल सही कहा आपने !--बेहतरीन व्यंग !

    .

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  11. बाबा आपका शिष्य हूँ ...आशीर्वाद बनाये रखना !

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  12. @सलिल जी,

    उनकी हर रात गुज़रती है दीवाली की तरह,
    हमने इक बल्ब चुराया तो बुरा मान गए!
    अब बात इ है कि काहे बल्ब चुराया..... अमां यार, पूरा विद्युत स्टशन गोल करो न.

    @बोले तो बिंदास...... बक बक पर टेक्स ? पागलखाने में सगरे पागल आत्महत्या कर लेंगे. टुचवुड

    @जील जी, स्वागत है..
    @सतीश सक्सेना जी, गुरु जी तडके तडके कोई नहीं मिला - इस गरीब को छोड़ कर.

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  13. इस गरीब (दीपक बाबा) की कलम में बड़ी तेज धार है दीपक बाबा ...
    दुआ करता हूँ कि यहाँ ऐसे गरीब बढ़ जाएँ ! बड़ा फायदा होगा लोगो का इस धूनी पर आकर...
    जय हो ....

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  14. बाबा आपका शिष्य हूँ ...आशीर्वाद बनाये रखना !
    baba yeh kiya ho raha hai.

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.