बच्चपन है साहेब,
बच्चपन.....
बस अपने धुन में मग्न रहने का समय...
जब झोपड़ी बन के तैयार हो गयी तो आगे हाथी कर दिए और वे बोले पापा, ये हाथियों का घर है..
मैं मुस्कुराया....
हाँ, पडोसी राज्य में आजकल हाथी बेघर हो गए हैं. जो भी हो, अपनों ने बेशक हाथी को दरकिनार कर दिया हो, पर बडकी मैडम का कोई भरोसा नहीं .. कब इनकी जरूरत पड़ जाए. अत: उन्हें समझाल कर रखने के लिए घर की जरूरत है. तुम लोगों ने ठीक किया जो हाथी के रहने के लिए जगह दे दी : )एक अफ़सोस है , हाथी नीले रंग में नहीं थे, ना ही वो झोपड़े. नहीं तो अगली बार नीली सरकार बनाने पर बहनजी से इस विषय में रोयल्टी की दरकार हो सकती थी. :)
जै राम जी की.
बढिया
जवाब देंहटाएंक्या कहने
प्यारे बच्चे हैं, प्यारा घर है, अच्छा आइडिया है|
जवाब देंहटाएंबच्चों की मस्ती पर कटाक्ष भारी पड़ रहा है।:)
जवाब देंहटाएंबच्चों को ढेर सारी शुभकामनाएँ।
लगे हाथ…… लगे हाथी को आसरा मिल गया :)
जवाब देंहटाएंबच्चे तो बच्चे और बाप रे बाप!!
आपका ब्लॉग उनके प्रचार का माध्यम न मान लिया जाये।
जवाब देंहटाएंbahut badiya dipak ji
जवाब देंहटाएंkuch naya kiya haati ka ghar banaya....प्यारे बच्चे हैं, प्यारा घर है,
जवाब देंहटाएंjai baba banaras...
ऐसी जगहों पर बच्चो के कभी कभी जाने में कोई बुराई नहीं है किन्तु ये हमेसा की आदत ना बने तो अच्छा है और बड़े तो वहा जाये चुपचाप बच्चो को खाता देखे और चले आये तो उससे भी बेहतर है क्योकि ये सभी खाना उनके शरीर पर कुछ जायदा ही जल्दी काम करता है :)
जवाब देंहटाएंचलिए हाथी, जो दिख रहे हैं, सफ़ेद भी नहीम हैं।
जवाब देंहटाएंकुछ आशा बंधती है।
हाथियों के घर ही हैं न ... जब आयंगे लक्ष्मी ले के आयेंगे ... और नीले हुवे तो इतनी लक्ष्मी की संभाले न संभले ...
जवाब देंहटाएं:) जी
हटाएंबच्चे मन के सच्चे!!
जवाब देंहटाएं:) :) हाथियों की बात एक तरफ़ , घर सुंदर बनाया है बच्चों ने !
जवाब देंहटाएंबचपन को खेलते बच्चे... और आप बड़ी बात बातो-बातों मे ही
जवाब देंहटाएंमुझे तो घर और हाथी का रंग दोनो पसन्द आया।
जवाब देंहटाएंऔर बच्चे तो जरूर से!
वाह! बच्चे तो कलाकार हैं। प्रोत्साहन मिलते रहना चाहिये!
जवाब देंहटाएंवाह हाथियों को तो बढिया घर मिला. बच्चों से मिलकर अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
awsome bro,,, keep it up :) baba ki khyati shi mili h :) :P
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