“छट्ठे वेतन आयोग के बाद तो तनख्वाह बढ़ गई है साहिब – अब हम गरीब आदमियो से थोड़ी दया दिखाया कीजिये” एक ट्रक का कुलिनेर चुंगी पर पर बैठे बाबु से बोला. जाहिर सी बात बाबु का जवाब गलियों से आया होगा।
आज जब हमारे सांसदों का वेतन बड़ा है तो उपरोक्त टिपण्णी याद आ गयी. आज जनता सवाल भी कर रही है “बाबू साहिब – अब तो नहीं लूटोगे।”
“साहेब जितना पैसा मिलता है – उतना काम तो करोगे?” हल्ला गुल्ला कर के संसद थप तो नहीं करोगे।
“पहेले पूरी नहीं पड़ती थी ... महीने के आखिर में पैसा खत्म हो जाता था. आप घूस खा कर सवाल पूछते थे, बाबू साहिब हम भी आप की मजबूरी समझते थे. – बाबू साहिब, अब तो घूस नहीं खावोगे।”
“साहिब हमे तो मीट-चिकन खाए हुवे मुद्दत हो जाती है. आप को तो संसद में १०-१५ रुपे में चिकन मिल जाता है” क्या अब उस गरीब कैंटीन वाले के भी रेट बारहवा दोगे?”
साहिब २ दिन पहले फैक्ट्री में नाईट शिफ्ट में नींद आ गयी थी – मालिक ने पगार में दिहाड़ी काट ली – बोला साला फैक्ट्री को संसद समझ कर सो गया था.” सरकार आप की पगार बढ़ गई है – तो संसद में सोया तो नहीं करोगे। '
बाबू साहिब बताइए...
हमारे हमारे भी सवाल है – जवाब दीजिए ..... (कम पगार होते हुवे भी हम बिना घुस खाए सवाल पूछ रहे है.) आप की शक्ल डेड साल पहले देखि थी. अभी तो सादे तील साल रहते है... फिर आप हमारे पास आयेंगे. तब तक तो महंगाई डयान और बड़ी हो जायेगी और पगार फिर कम लगने लगेगी. साहिब इस डयान को मरवा क्यों नहीं देते.
जैसे की जो काम आप कानूनी रूप से नहीं करवा पाते – उसके लिए किसी गुंडे को सुपारी दे देते हो।
माए बाप इस महंगाई डयान को मरवाने की सुपारी कब देंगे।
आपसे ये नाचीज़ सवाल पूछ बैठा – गुस्ताखी करने की माफ़ी चाहता है.
deepak ji ab to lagta kuch na kuch karana padaga
जवाब देंहटाएंदीपक जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग्य लिखा है आपने। पगार कितनी भी कम क्यों न हो, दाल-रोटी के लिये कम नहीं होती, अपना तो ये मानना है। और अगर मन में भूख है तो पगार कितनी ही बढ़ जाये, भूख नहीं मिट सकती।
@ संसद में चिकन:
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मेरी जानकारी के अनुसार संसद में कैंटीन चलाने की जिम्मेदारी भारतीय रेल की किसी अनुषंगी कंपनी या विभाग के पास है। कोई गरीब ठेकेदार भला कैसे ऐसी सस्ती दरों में माल लुटा सकता है?
Its cool! A common man just like us has got the courage to ask the basic questions which these so called "NETAS" have failed to answer since day one.
जवाब देंहटाएंI hope whatever questions that Deepakji has raised goes answered positively.
Jaihind!
दीपक जी
जवाब देंहटाएंआपका लिंक मिला तथा पढकर बहुत अच्छा लगा।
माए बाप इस महंगाई डयान को मरवाने की सुपारी कब देंगे। सबाल सच्चा है इसलिए झूठे नेता लोंग शायद ही जबाब दे पाये।
ये देश एक दुर्भाग्य की और बढ़ रहा है , नेताओ को चुनने वाली जनता को सडा अनाज भी उबलब्ध नहीं हो पा रहा है जबकि नेता अपना वेतन पांच गुना बढ़ाना चाहते है ............. इसका नुकसान देश को ही उठाना पड़ेगा ...
जवाब देंहटाएंपढकर बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंबाबा नमस्कार जी, आपकी बक बक अच्छी हैँ। बड़ी ही आसानी से कटु सत्य कह दिया हैँ। आभार! -: VISIT MY BLOG :- सुहाग ने माँगा अबला से जब उसके सुहाग को...........कविता को पढ़ने के लिए आप सादर आमन्त्रित हैँ। आप इस पते पर क्लिक कर सकते है।
जवाब देंहटाएंअब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.apnivani.com
जवाब देंहटाएंआप अपना एकाउंट बना कर अपने ब्लॉग, फोटो, विडियो, ऑडियो, टिप्पड़ी लोगो के बीच शेयर कर सकते हैं !
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SAAP KO KITNA DHOODH PILAOO DASNA NAHI CHOODEGA
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