29 अग॰ 2010

मेरे आज के हीरो की कहानी - गरीबी और बदनसीबी.

आज तक समझ नहीं आया - गरीबी और बदनसीबी का आपस में कनेक्शन ....... मानो – मोबाइल फोन और केश कार्ड – मकान कर किराया और बीमार बीवी...

है न सही कनेक्शन......... ये एयरटेल, वोडा, रिलायंस या टाटा का कनेक्शन भी नहीं है ........ की १० रुपे के रिचार्ज से थोड़ी खुशी मिल जाए. ये पोस्ट पेड है बाबू..... पहले मौज करो .... फिर जब ८००-१००० का बिल आ जाए तो सर पर हाथ रख कर रोवो.....

रामपाल सामने बैठा अपनी बता रहा है और मेरा भावुक मन इन्ही ...... गरीबी और बदनसीबी की तंग और सीलन भरी गलियों में घूम रहा है.

क्या बताएं भाईसाब, बड़े बेटे को बैटरी की दूकान खोल कर दी पर दूकान पर उसका मन नहीं लगता था.... दूकान ठप्प कर के रख दी. ........ सारा दिल CRPF, BSF, CISF आदि के फार्म भरने के लिए डोलता रहता है........... मेरे छोटे भाई का बेटा भर्ती हो गया है... ट्रेनिंग पर गया हुवा है..... भाई बोला दलाल सही है मेरे बेटे को भर्ती करवा दिया है........ ८०,०००० रुपे लिए थे ... पर काम हो गया.. तेरे बेटे के लिए बात करता हूँ. मेरे हामी भरने पर उसने अपनी जेब से ६०,००० अग्रिम दिए........... जो मेरे हिसाब की कापी में दर्ज हो गए........... पर पता चला की वो दलाल ६०,००० लेकर भाग गया और मेरे बेटा रह गया.......... फिर पुलिस की भर्ती निकली.......... फिर एक दलाल मिला ..... बोला रुपे लगगे ३ लाख........... २ लाख पहले दे देना.... बाकि एक लाख ट्रेनिंग पर जाने से पहले.................

मेरे दिल के उसी अँधेरे कोने से फिर किसी महान विचारक की बातें आने लग गई ...... आशा बड़ी ठगिनी, बड़ी मृदु व मधुरभाषिणी. बहुत बुरे दिनों में भी मनुष्य के काम में लगातार कहती है – “ये तूफ़ान और बादल हमेशा नहीं रहेंगे – तुम दुखी क्यों होते हो ? मेरी बात सुनो”


अब व्यवस्था करनी थी ३ लाख की........ समझ से परे ... कहाँ जाएँ ... किसके हीले बैठें... .. रामपाल बोला............... समधी से बात की..... विचार जानने के लिए ....... समधी साहिब .... पहुंचे हुवे पीर थे ........ बोले तू चिंता मत कर ........ मैंने बात कर रखी है और १ लाख दे भी दिया है......................

चलो, चिंता से मुक्ति मिली........... परिणाम आ गए और मेरे बेटा रह गया......

अब कुछ तस्सली मिलती है ५-७ महीने बाद २३ साल का हो जावेगा.......... ये भर्ती का भूत तो छूटेगा.

छोटे भाई की एक केमिस्ट की दूकान है ........ दूसरे कसबे में ८-१० कमरों का जच्चा-बच्चा केन्द्र भी खोल रखा है.... ३ सुमो गाडी किराए पर चलती हैं उसका बड़ा बेटा .... BSF में है ...... छोटा भी भर्ती हो कर ट्रेनिंग में चला गया है. उनके ठाठ हैं.............

मैं घर में बड़ा था....... जिम्मेवारी मेरे पर ज्यादा ही........ एक प्रेस में कम्पोसिंग सीख ली थी वक्त के साथ साथ टाईपसेटिंग सीख कर लोकल अखबार में पड़ा सड़ रहे हूँ ......... पगार बढाने को बोलते हूँ तो कहा जाता है ........ नौकरी कहीं और देख लो...... ६३०० में क्या होता है.

दिल के उस्सी अँधेरे कोने में एक लाल झंडा फिर से लहराने लगता है ....... पर इससे तो आज तक किसी का भला हुवा नहीं ........ फिर वही किस्मत देवता को याद करता हूँ............. रामपाल की गाडी उसी बदनसीबी की पटरी पर ही धकिया कर चल रही है. ....... जहाँ से छोटे भाई की खुशनसीब गाड़ी बाय-पास होकर बरसों पहले निकल गयी.

पिछले कई दिन से ............ म्हारी बीरबानी की रीड की हड्डी में प्रॉब्लम थी..... इलाज़ चल रहा था......... भैसा-गाडी में अकेले बैठ कर जा रही थी ....... डाक्टर के पास...... रास्ते में भैंसा बिगड गया ......... वो नीचे गिर गई........ उसके सर पर भैंसे का पैर आ गया.......... ३-४ घंटे तो बेहोश रही........... इलाज़ करवाया......... सी टी स्कैन भी हुवा..... घर आ गए......... फिर दिककत आने लग गई ........ एम् आर में पता चला की दिमाग में ३-४ जगह खून के धब्बे बन गए है....................................... एक मुसीबत तो ठीक हुयी नहीं .... दूसरी सर पर आ गयी...... उसी के चक्कर में तो बेटे की शादी जल्दी कर दी....... ...

बेटा तो कुछ कमाता नहीं....... कुछ दिन बाद बल-बच्चेदार हो जायेगा........... उसका खर्चा और मेरे सर पर ही तो है. ३-४ बीघे जमीन आती है मेरे हिस्से ............. ये है की घर के खाने-पीने की कम्मी नहीं रहती.......... अब पता चल रहा है की सरकार और जे पी ग्रुप जमीन पर कब्ब्जा ले रहा है........

............... वो तो अपना फार्मा लेने आया था............... अभी जब वो जा चूका है मुझे परेशान कर के. सामने लंच बॉक्स पड़ा है पर मन कहीं और डोल रहा है........

दिल के उसी अँधेरे कोने में फिर से कवि अपनी बात कहने लग जाता है ....

दर्द ऐसा दरिया है दिल का .....
के बारिश रूठ भी जाए तो पानी कम नहीं होता........

क्यों इतने आंसू है......... क्यों मुस्कान नहीं है......... क्यों बाप की बदनसीबी एक ही बेटे को मिलती है ...... एक ही बेटे को क्यों विरासत में बाप की गरीबी मिलती है......... गरीबी और बदनसीबी का खुदा ने क्या अजब कनेक्शन बनाया है.........................

..........कुछ भी तो समझ नहीं आता..............................................

गरीब आदमी की लड़कियां ज्यादा होंगी....... पर लायक होंगी......... अगर लड़के होंगे तो नालायक होंगे... उसकी कुंवारी लड़की नहीं मरती........... चाहे जितनी भी बीमार हो जाये.

या तो खुद या फिर उसकी पार्टनर ....... किसी लंबी बिमारी से ग्रसित रहते हैं ..............

इज्ज़त के चक्कर में रिश्तेदारी में ज्यादा घुसते होंगे (पैसा कहीं से उधार लेकर) पर रिश्तेदार पूछते नहीं हैं.....


बहरहाल जय राम जी की....................

फिर लिखूंगा ........... अगर मन हुवा तो .............

फोटो : गुग्गल से (साभार)

3 टिप्‍पणियां:

बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.