भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग साहेब का कहना है ईश्वर ने इस ब्रह्मांड की रचना नहीं की है, बल्कि वास्तव में यह भौतिक विज्ञान के अपरिहार्य नियमों का नतीजा है। विश्व के अग्रणी भौतिक विज्ञानी ने १९६८ कि अपनी किताब के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। हॉकिंग ने अपनी नवीनतम किताब द ग्रैंड डिजाइन में कहा, चूंकि धरती पर गुरुत्वाकर्षण जैसे कानून मौजूद हैं, ब्रह्मांड कुछ नहीं से खुद को सृजित कर सकता है और करेगा।
भाई स्टीफन साहिब कह सकते हैं.... पर हम नहीं. क्योंकि वो विज्ञान जानते हैं और हम भगवान जानते हैं. पूरी जिंदगी भौतिक विज्ञान के सूत्र पढ़ते–पढ़ते इत्ता समझ आ गया....... पर हम तो भौतिक विज्ञान पढ़ नहीं पाए..
अब अगर ब्रह्मांड कि उत्त्पति को जानने का कीड़ा अगर हो तो पहले भौतिक विज्ञान में कम से कम ३०-४० साल खपाओ. या फिर सीधा-साधा – विश्वास है ये ब्रह्माण्ड भगवान ने बनाया है...... सब उपर वाले के हाथ का खेल है.
विष्णु कि माया है – कहीं धुप कही छाया ........... ३-४ महीने का अबोध बच्चा जब अपने आप हँसने लग जाता है – तो हमारी अम्मा कहती है – पूर्व जन्म कि खुशियाँ याद आ रही है – तभी खुश हो रहा है. और जब वो अपने आप रोने लग जाता तो कहते हैं पूर्व जन्म के दुखो को याद कर रहा है.
गाँव में जब सांप निकल आता था – अम्मा जी दूर से नतमस्तक हो कर कहती थी “असा तेकू कुज नाय आधे – तू वी कुज ना आख ......... आप्डी दुनिया विच लगा वंझ” यानी हम तेरे को मार पीट नहीं रहे – तू भी हमे नुक्सान न पहुंचा......... अपनी दुनिया में चला जा. और फिर पंडित जी के पास जाकर पुछा जाता था .... कौन से पूर्वज नाराज़ है – और उपाय किये जाते थे............. आँगन पक्का नहीं करवाते थे......... उपाय का मलतब पंडित जी को कई वस्तुयों का दान होता था.
आज भी मेरे बच्चों के मुँह पर दाने निकल आते है तो – वहाँ दवाई बंद हो जाती है – “माता का प्रकोप” होता है ८-१० दिन तक घर में प्याज लहसुन बंद और पूजा पाठ रहता है. यानी विज्ञान तो प्रोपर फ़ैल. और ताज्जुब होता है ८-१० दिन बाद बच्चा ठीक हो जाता है – बिना दवाई के.
अम्मा नें विज्ञान नहीं पढ़ा अत: विश्वास कि बुनियाद पर ये बात करती थी.
अपन के मंगल शनि और वीरवार को शेव बनवाने में पता नहीं अम्मा क्यों मना करती थी. विश्वास का कौन सा सूत्र है जो भौतिक के सूत्र पर भारी था – पता नहीं.
ये दीन दुनिया कैसे चल रही है.......... स्टीफन साहिब नें ब्रहमांड कि उत्त्पति के सूत्र तो बता दिया ........ हिन्दुस्तान में होते तो शनि महाराज के भी बताने पड़ते..........
शनि कि उत्त्पति, गुण दोष, क्यों परेशान करता है – क्यों ७.५ साल तक पीछा नहीं छोड़ता .......... ये भी बता देते तो अच्छा रहता...........
किसी भी कार्य कि सफलता-असफलता............. अंगूठी के नग पर निर्भर है. ओकात के हिसाब से हर व्यापारी, हर नौकरशाह (यहाँ तक वैज्ञानिक भी) के अपने अपने पंडित और धर्मगुरु है. जिनके हिसाब से लोग सलाह लेकर किसी नए काम कि शुरुवात करते हैं.
इत्ता ही, भविष्य में अपने जीवन को दिशा देने के लिए आपकी राय जानना चाहेंगे. अत: राय जरूर भेजे
जय राम जी कि..........
किताब पढ़े बिना क्या कहा जाय ?
जवाब देंहटाएंbharat desh ka dactar bhee apration suru karana sai pahala bhagwan ko yad karta hai
जवाब देंहटाएं"गाँव में जब सांप निकल आता था – अम्मा जी दूर से नतमस्तक हो कर कहती थी “असा तेकू कुज नाय आधे – तू वी कुज ना आख ......... आप्डी दुनिया विच लगा वंझ” यानी हम तेरे को मार पीट नहीं रहे – तू भी हमे नुक्सान न पहुंचा......... अपनी दुनिया में चला जा. और फिर पंडित जी के पास जाकर पुछा जाता था .... कौन से पूर्वज नाराज़ है – और उपाय किये जाते थे............. आँगन पक्का नहीं करवाते थे......... उपाय का मलतब पंडित जी को कई वस्तुयों का दान होता था"
जवाब देंहटाएंभई वाह.......यहाँ भी चमत्कार को नमस्कार, अच्छी प्रस्तुति ....
यहाँ भी आइये : --
(आजकल तो मौत भी झूट बोलती है ...)
http://oshotheone.blogspot.कॉम
स्टीफन साहब बड़े आदमी हैं बड़े बने रहने के लिए कभी वो खुद को अपाहिज दिखा कर अपने लिए लोगों की सहानुभूति जीतते हैं तो कभी कुछ ऊटपटांग कह कर लोगों का ध्यान...वड्डे लोगां दियां वड्डी गल्लां...सानू की?
जवाब देंहटाएंनीरज
bahut achhey
जवाब देंहटाएंअपनी हैगी काशी तो फिर क्यों जाऊं मैं काबा
जवाब देंहटाएंधन्य भाग हमारे जो तुम मिल गए हे बाबा !