20 दिस॰ 2010

सितम ढहती कुछ चुटकियाँ........

बहुत कविता कर ली, पर चैन नहीं आया..... ख़बरें और आ रही है..... दिल को झंझ्कोर कर रख रही है..... वास्तविकता है ...... चुटकियाँ है.... अरे नहीं आपके लिए नहीं .......... पर दौलतमंद दलालों के लिए तो मात्र चुटकियाँ हैं .......
पढ़ लीजिए...... और दर्द महसूस कीजिए...... क्योंकि जो दर्द था वो तो सौदागर ले गया....

श्रीमती जी जब प्याज काट रही थी ... तो बातों बातों में दाम पूछने लगी..... मैं मुस्कुरा उठा...... उनको मेरी मुस्कराहट कुछ रहस्यमई लगी..... बोली कि हम प्याज का भाव पूछ रहे है..... और तुम विष्णु भगवान की तरह मुस्कुरा रहे हो..... अजीब लग रहा है तुम्हारा ये मुस्कुराना ...... दाम काहे नहीं बताते..... मैंने जवाब दिया आज तक तो पूछा नहीं आज किस बात की जिद्द है..... वो बोली, आज प्याज काटने पर आंसू ज्यादा आ रहे है..... मैंने मन को मज़बूत करते हुए जवाब दे ही दिया ७० रुपे किलो....... तो उसका हाथ एकदम अपने गाल पर चला गया....... पूछने पर बताने लगी.... कांग्रेस का हाथ अपने गाल पर महसूस कर रही हूँ..

दिल्ली से १०० किलोमीटर दूर गाँव मानका (राजस्थान) से आया एक किसान बहुत खुश है...... आजादपुर मंदी में उसके खेत के प्याज २२ रुपे ७५ पैसे किलो के हिस्साब से बिके है...... कम से कम बीजों और कीटनाशक, खाद और पानी के पैसे तो निकल आये....... अपनी मजदूरी तो गई तेल लेने ...... पहले कभी मिली है क्या.
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महान लोकतान्त्रिक देश की राजमाता ने अपनी पार्टी के महाधिवेशन के शुरू में शर्मो-शर्मा वंदे मातरम गाने का आदेश दिया....... सभी लोग खड़े होकर वन्देमातरम गाने लगे ..... पर माईक से अजीब अजीब आवाजे आने लग गयी....... पता नहीं गले के शर्मनिरपेक्ष सुर आदेश का साथ नहीं दे रहे थे या फिर साउंड के ठेकेदार को पैसे की चिंता थी......कि वंदे मातरम गाया तो गया पब्लिक तक नहीं पहुंचा और ........ राजमाता की नाक बच गई..... नहीं तो मुस्लिम वोटरों को क्या जवाब देती.
   XXXXX
नटखट राजा भागता भागता घर आया और अपने पिताजी से दिक् करने लगा पापा पापा हमारा नाम बदल दो क्या हुआ बेटा..... पापा सकूल में सभी छात्र कभी मुझे ऐ राजा और कभी दिग्गी राजा कह कर बुलाते हैं.......
अरे बेटा तेरा नाम तो बदल दूँगा....... पर पहले दरवाज़े से वो स्टिकर हटा दो.....गर्व से कहो हम हिंदू हैं.
क्यों पापा,
कहीं पुलिस वाले हमें आंतकवादी समझ कर गिरफ्तार न कर लें.....

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और जाते जाते एक और चुटकी ......
बस का ड्राइवर टाटा नैनो को देख कर मुस्कुरा उठा...... और मुझ से मुताखिब होकर बोला...... बाऊजी, ये देखो टाटा का एक और मजाक......
मैंने कहा, पहला और कौन सा मजाक था.....
बाऊजी, याद करो टाटा मोबाइल फोन, ....... गरीब आदमी को १२०० १२०० रुपे में चाइनीज़ घटिया सेट पकड़ा दिया...... और वो हर २ महीने बाद २००–२०० रुपे की बैटरी उसमे डलवाता रहता था.

24 टिप्‍पणियां:

  1. एक से बढकर एक सटीक व्यंग्य।

    शानदार

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  2. दीपक जी!
    एक से एक नावक के तीर हैं! हमारे तरफ से तो साधुवाद बटोरो आप!!जब वो अपनी आदत से बाज नहीं आते तो हम क्यों बाज आयें अपनी आदत से..हम तो लिखेंगे!!
    दीपक भाई हम भी हैं साथ में आपके!!

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  3. :)
    सीss सीsss

    चुटकियों पर यही होता है!चाहे ढहें या ढाहें।

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  4. ओये बल्ले बल्ले बाबाजी।
    गज़ब चुटकियां हैं
    नटखट राजा वाली तो बद दिल ही लूट ले गई।

    बाबाजी, तुसी चीज बड़ी हो मस्त-मस्त।

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  5. वाह बाबा जी , सुबह की चाय के साथ साथ कुरकुरे भी... अच्छा है...झक्काश.

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  6. बाबा जी ये चुटकिया नही चिकोटे है
    बहुत दर्द कर रही है

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  7. "सही जगह" पर काटी गई चिकोटियाँ… :)

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  8. सभी चुटकियाँ शानदार्……………बेहतरीन प्रस्तुति।

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  9. अब तो वास्‍तव में स्‍वयं के हिन्‍दु होने पर शर्म महसूस होने लगी है। हमारे वोट की कोई कीमत ही नहीं लगाता। हम फालतू की चीज बनकर रह गये हैं और जो फालतू हो उससे तो हमेशा डरना ही चाहिए। कब ये फालतू व्‍यक्ति आपकी शान में गुस्‍ताखी कर दे?

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  10. गर्व से कहो हम हिंदू हैं
    क्यों पापा,
    कहीं पुलिस वाले हमें आंतकवादी समझ कर गिरफ्तार न कर लें.....

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  11. माननिये अजित जी, आप सही कह रही है..... पर एक परिवर्तन करना चाहता हूं........ हम फालतू नहीं इन लोगों की पालतू चीज़ बन कर रह गए है....... और पालतू कि परवाह कौन करता है.

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  12. जोर का झटका धीरे से कैसे मारा जाता है कोई आपसे सीखे...गज़ब की मारक पोस्ट...

    नीरज

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  13. क्या किसी को याद है की मन्नू जी ने कब कहा था की महगाई दो चर महीनो बाद चली जाएगी | और ये पालतू एक दिन जरुर पलट कर कटेगा |

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  14. जबरदस्त , धाँसू व्यंग !
    पालतू वाली बात ने तो कहर बरपा दिया।
    बधाई।

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  15. आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !

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  16. क्या बात है दीपक जी .......
    छाँट- छाँट कर चुटकियाँ बजाईं हैं .....

    बहुत खूब ......!!

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  17. चुन चुन कर बदला ले लिया है ...
    शानदार व्यंग्य मगर जिनकी आत्मा में उतरना चाहिए , वहां पहुँचता ही नहीं ...

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  18. बहुत अच्छा व्यंग ...
    वास्तविकता के पीछे का दर्द महसूस कर रही हूँ.........

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  19. बढिया व्यंग जो देरी से पढे गये...

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.