17 सित॰ 2010

पर दिल है कि मानता ही नहीं.

बहुत सोचा था – अब ब्लॉग पर कुछ नहीं लिखेंगे....... काम पर ध्यान देंगे......

पर दिल है कि मानता ही नहीं.


आज पता नहीं क्यों

चाहता हूँ - तुम्हे थोडा डिस्टर्ब करू.........

जज्बातों का पत्थर फैंक कर ..

तुम्हारे ह्रदय के दरवाजे पर knock करूं

कुछ ऐसा करूं कि

दिमाग की शांति

छुटी पर चली जाए.........

और दिमाग के सारे

बर्तन, कपडे तुम खुद धोवो

परेशान होते हुवे तुम्हे मैं

दूर उस शितिज से निहारूं ........

तुम्हारे माथे पर उभरी

पसीने की बूंदे जो ..........

कमल के फूल पर ओंस मानिंद

मोती सी चमकती हैं

ऐसे में मैं निहारूं, .......

जो मेरे नयनों को

सकूं दें सकें


डिजाईन बनाते-बनाते जब ह्रदय के तारों को किसी की याद छेड़ जाती है – तो कविता हो जाती है.

क्या आप भी यही मानते हैं ....

जय राम जी की



10 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल मानते हैं जी ..संवेदनशील इंसान के साथ ऐसा अक्सर होता है और इसी का नाम इंसानियत है और इसी संवेदनशीलता की आज जरूरत है इस देश और समाज को ....

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  2. bahut sundar likha hai... yah to aisee jagah hai jaha aa kar apni baat kahi jaati hai.laakh kaam ho to bhi..umdaa likhaa...

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  3. क्यों नहीं लिखना है बाबाजी? ऐसे भी पूछ सकते हैं कि क्यों लिखना है? यहाँ लिखने पर न कोई इनाम मिलना है और न ही को इकराम, मन में जो विचार आयें, लिखिये। अच्छे होंगे तो तारीफ़ मिलेगी और अच्छे नहीं होंगे तो धड़ाधड़ हिट्स। हा हा हा।
    इत्ती बढ़िया पंक्तियाँ लिखकर इमोशनली ब्लैकमेल करते हो, नहीं चलेगी ऐसी बाबागिरी। लिखो और खूब लिखो, अच्छा लिखते हो आप।
    शितिज को ’क्षितिज’ कर लीजिये एडिट में जाकर।
    जय राम जी की।

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  4. संजय जी, आपने सही कहा, इमोशनली अत्याचार................

    बढिया है, आप लोगों जैसे दो-चार मित्र बन जाएँ ........ तो कहना ही क्या, बक बक में जिंदगी कट जायेगी.

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  5. आप तो जज़्बात का पत्थर फैंक के खिसक लिए हम यहाँ दिल पर हाथ धरे बैठे हैं...क्या करें...चोट जो इतनी गहरी लगी है...

    नीरज

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  6. नीरज जी, माफ़ी चाहते हैं - अपनी गुस्ताखी पर ...........

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  7. "बहुत सोचा था – अब ब्लॉग पर कुछ नहीं लिखेंगे....... काम पर ध्यान देंगे......

    पर दिल है कि मानता ही नहीं."

    मेरे साथ तो ये रोज की बात होती है दीपक जी !
    हाँ, रचनाये स्वत बन जाती है सिर्फ इंसान का उस और रुझान मात्र होना जरूरी है !

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.