आईये, कुछ विसंगतियों भरी बात करें.
हमारे देश में जो प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र होते हैं – बहु-मुखी व्यक्तित्व के धनी... कहीं तकनिकी, इंजीनियरिंग अथवा डाक्टरी विद्या में परांगत होकर – ऐसा ही व्यवसाय चुनते है और इनमे से भी कई महापुरुष ब्लोग्गर बनकर हिंदी और समाज सेवा का वर्त धारण करते हुवे खाली समय इन्ही सब (चिरकुट???) कार्यों में जीवन खपा देते हैं.
द्वितीय श्रेणी वाले कम नहीं रहते .... MBA करके प्रशासनिक कार्यों में दक्षता हासिल कर उपरोक्त प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण के छात्र को संचालित करते हैं. जीवन क्षेत्र में यही द्वितीय श्रेणी वाले ही मौज करते नज़र आते हैं.
तृतीया श्रेणी के पढाई में कमजोर छात्र – परतुं कारस्तानी में उच्च पदक विजेता – राजनीति में हाथ आजमा कर पार जाते हैं व उपरोक्त वर्णित दोनों श्रेणियों को संचालित करते हैं........
एक और तबका भी होता है – विद्यालआय में – पढाई में बिलकुल ही फ़ैल किस्म के योधा ... जो पढाई को तुच्छ विद्या जानकर मात्र बदमाशी में ही सर खपाते हैं – व गुरुजनों और सहपाठियों के सर फोड़ते हैं....... ये तबका उपरोक्त सभी श्रेणियों पर राज करते हैं..........
ऐसा देश है मेरा..........
क्या ख्याल है ?
हैं न अपना विविधतापूर्ण देश.............
जय राम जी की
क्या ख्याल है ?
हैं न अपना विविधतापूर्ण देश.............
जय राम जी की
amazing truth
जवाब देंहटाएंदीपक भाई,
जवाब देंहटाएंसही लिखा है एकदम से।
जैसे ईमानदारी सिफ़ बेईमानी के काम में ही बची है, वैसे ही जो किसी श्रेणी में नहीं थे, वे सब श्रेणियों पर राज कर रहे हैं।
बाबाजी, ऐसे ही ज्ञान बाँटते चलो।
क्या प्रथम , क्या द्वितीय,
सबको बांटते चलो
ज्ञान बांटते चलो।
bahut sunder babaji
जवाब देंहटाएंद्वितीय श्रेणी वाले कम नहीं रहते .... MBA करके प्रशासनिक कार्यों में दक्षता हासिल कर उपरोक्त प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण के छात्र को संचालित करते हैं. जीवन क्षेत्र में यही द्वितीय श्रेणी वाले ही मौज करते नज़र आते हैं. what a classification?
जवाब देंहटाएंहमारे देश में जो प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र होते हैं – बहु-मुखी व्यक्तित्व के धनी... कहीं तकनिकी, इंजीनियरिंग अथवा डाक्टरी विद्या में परांगत होकर – ऐसा ही व्यवसाय चुनते है और इनमे से भी कई महापुरुष ब्लोग्गर बनकर हिंदी और समाज सेवा का वर्त धारण करते हुवे खाली समय इन्ही सब (चिरकुट???) कार्यों में जीवन खपा देते हैं.
जवाब देंहटाएंद्वितीय श्रेणी वाले कम नहीं रहते .... MBA करके प्रशासनिक कार्यों में दक्षता हासिल कर उपरोक्त प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण के छात्र को संचालित करते हैं.
ऐसा देश है मेरा..........
जवाब देंहटाएंक्या ख्याल है ?
हैं न अपना विविधतापूर्ण देश.............
aap ki kaun si class hai janab ----
जवाब देंहटाएंsab gad bad jhala hai
जवाब देंहटाएंहमरे प्रदेस के एक चोटी के नेता (मोहन चोटी समझ सकते हैं), जब इस्टेज पर भासन देते थे तब बीच बीच में अपना हाथ पीछे के तरफ ले जाकर अपना हथेली खोल देते अऊर उनके पीछे बईठे हुए टॉप के ब्यूरोक्रैट उनके हाथ में खैनी (BBC = बुद्धि बर्धक चूरन) पकड़ा देते थे. पता नहीं कऊन करेक्टर कऊन क्लास में पास हुआ है!! अपना त एक्के क्लास है… In a class of its own!!
जवाब देंहटाएं63/99
जवाब देंहटाएं@ इनमे से भी कई महापुरुष ब्लोग्गर बनकर हिंदी और समाज सेवा का वर्त धारण करते हुवे खाली समय इन्ही सब (चिरकुट???) कार्यों में जीवन खपा देते हैं.
जवाब देंहटाएंअमाँ, अपन भी इसी श्रेणी के हैं। अल्लसुबह क्या झन्नाटेदार सोचने का मसाला दिया है। पूरे विषय पर एक ठो लेखमाला होनी चाहिए।
वर्तनी:
आइये,आइए
तकनीकी
परांगत
ब्लॉगर
व्रत
हुए
तृतीय
परंतु
उपर्युक्त
योद्धा
बस, ऐसा ही देश है मेरा..फिर भी प्यारा..सबसे न्यारा!!
जवाब देंहटाएंहुस्स! एक गड़बड़ रह गई।
जवाब देंहटाएंपारंगत होता है, परांगत नहीं।
कई बार चिरकुटई भी बहुत सहारा बन जाती है।
जवाब देंहटाएंjai baba jee ki adhikar bina mage nahi mailta hai.
जवाब देंहटाएंjai baba ji ki .
यही बात कुछ दिन पूर्व खुशदीप सहगल जी भी अपने एक लेख में लिख चुके हैं !!
जवाब देंहटाएंविसंगती नहिं वस्तुस्थिति!! अतिसुंदर विचारप्रेरक
जवाब देंहटाएंसत्य वचन महाराज...इस बार आपने बक बक नहीं बल्कि बहुत विद्वता पूर्ण बात की है...
जवाब देंहटाएंनीरज
sundar vichar !
जवाब देंहटाएंATI SUNDER LEKH HAI.........
जवाब देंहटाएंPRERAK
सही कहा है दीपक जी ... ऐसा होता है ... राज ऐसे लोग ही करते हैं .. अपने नेता लोग भी तो अधिकतर ऐसे ही हैं ...
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