समंदर पूछता है अब वो दोंनो क्यों नही आते
जो आते थे तो अपने साथ कितने खुवाब लाते थे
कभी साहिल से dheron सीपियाँ chunte थे
नंगे पाँव पानी मैं चले आते थे
भीगी ret से नन्हें gharonde भी बनाते थे
और उनमे सीपिया,रंगीन से कुछ संग्रीज़ यू सजाते थे
के जैसे अज के जुग्नूसय लम्हे
आने वाली कल कि मूठी मैं chhupate थे!
समंदर पूछता है अब वो दोंनो कियुं नही आते
समंदर ने खिज़ा कि सिस्किया लेती हुवे
एक शाम को वो नोजवान्नो को नही देखा
जो देर तक तनहा सारे साहिल रह bhaitha
फिर उसने dher सारे khat
बहुत से फूल सूखे और tasweerein
और अपने आखरी आंसू
samandar key hawale kar diye
एक शाम को वो नोजवान्नो को नही देखा
जो देर तक तनहा सारे साहिल रह bhaitha
फिर उसने dher सारे khat
बहुत से फूल सूखे और tasweerein
और अपने आखरी आंसू
samandar key hawale kar diye