यात्राओं का युग है जी,
सोचते हैं कि हम एक यात्रा निकाले.. पर मुश्किल है... इस अभागे देश में हर मुद्दे को कोई न कोई पार्टी अथवा दल घेर कर / हांक कर लिए जा रहा है... क्वन सा मुद्दा उठाया जाए कि एक दम सटीक बैठे, मनमाफिक... बेशक न दिलाए सत्ता, पर सत्ता के द्वार तक तो ले जाए....
भाई, ये तो गयी जमाने की बातें थी, खुद्दारी, इमानदारी, सब्र, भरोसा... वगैरह, इन्ही सब पर भाषण दिया जाता था और इन्ही सब पर नेता लोगों को राशन(वोट) मिल जाता था... पर अब पब्लिक परम की स्थिति से उबर चुकी है. अब इन शब्दों लफ़्ज़ों और नारों से काम नहीं चलता ... महान परम है उ, जो आज भी इन शब्दों पर भरोसा जता कर मैदान में डटे हैं, गरीबों के साथ खाना खा, उन्ही का गेंहू डकार कैमरों के सामने ठंडी आहें भरते हैं.
पर हम महापरम हैं की अवस्था को प्राप्त हो चुके हैं, इसलिए सोच रहे हैं, कोई तो हो जो पुराने शब्द जैसे खुद्दारी, इमानदारी, सब्र, भरोसा पर अमल कर सके, हम अमल करेंगे, पुरे प्रदेश में यात्रा निकालेंगे, ‘जुगाड वैभव यात्रा’
जी, ‘जुगाड वैभव यात्रा’, लुच्चे लोग है, जुगाड को भूल गए, जिस भरोसे राज किया, माल अंदर किया, अपनों को ठिकाने लगाया, परायों को अपनाया वो अस्त्र ‘जुगाड’ था, उसे भूल गए.
हम पुरातनपंथी हैं, - जानते हैं जुगाड का बहुत योगदान है इस देश की राजनीति में, अत: जुगाड के वैभव और विश्वास को पुन: लौटना है..... तो ‘जुगाड वैभव यात्रा’ निकालनी ही पड़ेगी.
इस देश ने ऐसे कई नेता दिए हैं ... जिनकी काबलियत एक लोकसभा चुनाव जीतने की नहीं थी, पर जुगाड कर के देश के प्रधानमन्त्री पद पर आसीन हुए हैं, प्रधान मंत्री ही क्यों, राष्ट्रपति और न जाने क्या क्या, अपनी औकात से आगे बड कर ऊँचे औह्न्दे पर आसीन हुए .... मात्र जुगाड की वजह से.
विभिन्नताओं भरे देश में, जहाँ देखा जाए तो कबीले और जाति की खापों का राज होना चाहिए, उस देश में जुगाड से हमारी विधानसभाएं और लोकसभा चल रही है... नहीं, पूरा देश चल रहा है. और उस जुगाड को हम भूल बैठे हैं, आज वक्त है कि जुगाड को पुन: उसके वैभव पर पहुंचा कर ही दम लेंगे...
देखो भाई, एक समाजवादी नेता हुए, खिचड़ी दाढ़ी रखते थे, जिंदगी में कभी मंत्री नहीं बने, बने तो सीधे प्रधानमंत्री... एक विनम्र किसान थे, जुगाड देवता ने उन पर भी कृपा करी.. उन्होंने भी सोते सोते ही सही पर प्रधानमंत्री की कुर्सी को सुशोभित किया. क्या देसी, क्या विदेशी, और तो और फ्रेंचकत दाढ़ी वाले भी तर गए. क्या क्या आपार लीला है जुगाड देवता की, उस को भूल गए...
लेफ्ट राईट सभी मंज़ूर, सभी पर कृपया हुई है, कोई अछूता नहीं रहा, अब आप का समर्थन चाहिए, ये यात्रा जुगाड देवता के लिए है, ताकि ये देवता अपनी कृपा इस गरीब पर भी करें,
आपके क्षेत्र से भी गुजरेगी जुगाड वैभव यात्रा का..... आइये स्वागत कीजिए, और समर्थन दीजिए, इन्ही कि कृपा हुई तो आगामी विधानसभा में हम जीते या हारें, पर जुगाड देवता की कृपा से लाल बत्ती वाली गाडी जरूर प्राप्त करेंगे.
**परम = पढ़िए काशीनाथ सिंह की 'काशी के अस्सी'
जय रामजी की.