भूल गए थे, ये इंडिया है,
जहाँ जिन्दा लोगों की गिनती, बस, वोटिंग के समय पार्टी के कार्यकर्ताओं को पड़ती है,
या फिर रेलवे में टिकस बुकिंग के समय या किसी शिक्षण संस्थान में फ़ार्म जमा कराते
समय अम्मुमन लोग बताते हैं की इतने लोग अभी मेरे से पहले हैं. उसके अलावा गिनती
होती है तो लाशों की. कहीं भी कोई हादसा होता है तो लाशों की गिनती से ही उसकी
भयावता का अंदाजा लगाया जाता है. और उतराखंड में जो हुआ, पहले १ दिन तक तो लाशों
की गिनती से ही अंदाज़ा हो रहा था... हाँ ५० लोग मर गए, अगले दिन ये आकड़ा १०० पार
गया, तीसरे दिन पता १२० थे. जब देश के प्रधानमंत्री और सप्रग अध्यक्षा श्रीमती
सोनिया गाँधी उतराखंड के हवाई दौरे पर निकले तो मात्र अफ़सोस जाहिर ही कर सकते
क्योंकि तब तक भी १२० शव बरामद (सरकारी भाषा में) हो चुके थे. जब ये जलजला फूटा तब
लाखों लोग वहाँ किसी न किसी के रूप (श्रद्धालु, लोकल, वहां दुकानदार
इतियादी) में थे – उस के बाद आप कैसे लाशों को गिन रहे हैं. क्यों नहीं गिनते कि
हजारों लोग नहीं मिल रहे .. और जो मिल नहीं रहे वो जिन्दा नहीं है, ये तय है, ...
पर सरकार को जब तक डेड बॉडी नहीं मिले ... सबूत नहीं मिले, मौत को मौत नहीं मानती.
और वही उतराखंड में हो रहा है.