23 मई 2013

छडो जी, सानु की... वडे लोकां दियां वडी गल्लां....


मैं कब से बकवास करता आ रहा हूँ, पर अब सरकार को भी पता चला है कि आई पी एल वाकई एक गन्दा खेल है. क्रिकेटर, उनकी पत्नियाँ, उनकी माशुकें, उनके मित्र, उनके लोग, उनके बुकी, उनके सौदे और उनके सट्टे और कहीं तों दामाद भी सभी – सभी इस हमाम में नंगे नज़र आ रहे हैं, और मज़े की बात ये कि उनको इस बात पर लज्जा भी नहीं आ रही, छडो जी, सानु की... वडे लोकां दियां वडी गल्लां....

20 मई 2013

कविता, औरत और क्रांति

क्या ये जरूरी है कि कवि बना जाए
क्यों न एक इंसान बना जाए
या फिर सवेदनशील पाठक
जो अच्छे कवियों की रचनाओं को पढ़े
खाली समय में उन्हें गाये गुनगुनाये
मनन करे, पर इससे अच्छा 
एक नागरिक भी तो बना जा सकता है
जो जब कहीं अपनी ही जुस्तजू में
धक्के खाता रहे
फिर भी दुष्यंत को गुनगुनाता रहे
सोचो कवियों, सोचो
गर अच्छे नागरिक नहीं होंगे,
तो कहाँ से आयेंगे क्रांतिवीर
कौन तुम्हे पढेंगें, मनन करेंगे
तुम्हारी अग्नि से उर्जा पायेंगे