हिन्दू रक्षा दल नाम का
बेनर लेकर कुछ लोगों ने कल कोशाम्बी में आम आदमी पार्टी के कार्यालय में जो उत्पात
मचाया उसकी चारों ओर से निंदा और भर्त्सना हो रही है. होनी भी चाहिए. हिन्दू सदा
ही सहिष्णु रहे हैं और उसमे उग्रवाद या असहिष्णुता की कोई जगह नहीं रही है. इसी समाज ने सबसे ज्यादा सम्प्रदाय और पंथ दिए है. आज हिन्दू के नाम पर विष्णु
गुप्ता और पिंकी चौधरी जैसे लोग तौड़फोड़ करके उसे हिन्दू राष्ट्रवाद का नाम दे रहे
हैं तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है.
आम आदमी पार्टी के नेता
प्रशांत भूषण (जो पेशे से वकील हैं) ने कश्मीर पर जो ब्यान दिया – वो भारत की
सवैधानिक व्यवस्था को ही चोट पहुंचा रहा था. निंदनीय था. अन्य राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर भारतसंघ
का एक अंग है. और अंग तो मैं कह रहा हूँ अपितु सरकारी कागजों में तो अभिन्न अंग
है. ऐसे महसूस हो रहा कि आम आदमी पार्टी सुप्रीमो ने जनमत संग्रह करवा कर सरकार
बनाने और चलाने की बात करते हैं तो पार्टी के बाकि नेता उसी सियासत पर चलते हुए कश्मीर
जैसे मुद्दे पर ऐसे ही जनमत संग्रह को प्रमुखता देने लगे है.
स्वतंत्रता के पश्चात ही वाम
पार्टियाँ जनमत और लोकमत जैसे शब्दों का सहारा लेकर इस महान देश वृहद सीमाओं को पचा
नहीं पाई हैं. अब ‘आप’ ने इन्हीं शब्दों को प्रमुखता देकर वामपंथी पुरोधाओं और वाम
सोच वाले पत्रकार, कलाकार और प्रोफेशनल को अपने पाले में ला रहे हैं. साथ ही संघ की
तर्ज़ पर ‘भारत माता की जय’ वन्दे मातरम् नारे लगा कर उस सामान्य जन को आकर्षित कर
रहे हैं. भारतीय समाज के लिए आम आदमी पार्टी अलग से कोई विचारधारा या विजन ले कर
नहीं आ रही – यह तय है. कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण नीति को नक़ल करते हुए ही प्रशांत
भूषण ने ऐसा ब्यान दिया था.
खैर, बात कल हिंदुत्व के नाम
पर हुए तोड़फोड़ की थी. ये लोग सोच भी नहीं सकते कि उनकी इस कार्यवाई का कितना गलत
सन्देश आमजन तक जाएगा. वास्तव में प्रशांत भूषण के बयान पर आपत्ति थी वो उसे तर्क
द्वारा निस्तेज किया जा सकता है. अगर तर्क का अभाव है तो प्रशांत भूषण को काले
झंडे दिखाए जा सकते थे. प्रशांत भूषण की मानसिकता के विरुद्ध जनता में बहस करके
उसका बहिष्कार किया जा सकता है.
वर्तमान में देश में नाख़ून
कटवा कर शहीद होंने का जज्बा लिए कई लोग घूम रहे हैं. बस एक अवसर और प्रेस
फोटोग्राफर की जरूरत है. हिन्दू रक्षा दल हल्ला करके ‘आप’ के दफ्तर को क्षति
पहुंचाकर – ऐसे लोगों को शहीद बनाने से नहीं चूक रहे है. गर मैं कुछ गुंडा तत्वों
को पैसे देकर अपने ऊपर हमला करवा दूँ और समाज में सहानुभूति अर्जित कर लूँ तो बुरा
क्या है.
इंदिरा गाँधी के हत्याकांड
से उपजी सहानुभूति को राजीव गांधी जैसे नौसिखिया और उसकी तत्कालीन घाघ मण्डली ने वोटों
में तब्दील कर दी थी. हिन्दू समाज सदा दबंगई के खिलाफ खड़ा रहा है. यह वही समाज है
जो सांप को दूध पिलाने से गुरेज नहीं करता. प्राणीमात्र के साथ सहानुभूति रखता है.
शालीनता का दिखावा करने वाले अशिष्ट/उज्जड के पक्ष में भी खड़ा हो जाता है. आम आदमी
पार्टी के दफ्तर में तोड़फोड़ कर के अगर किसी का भला हुआ है तो बस केजरीवाल और उसकी टीम
का. क्योंकि इस हरकत ने केजरीवाल को फ़िल्मी शहीद होने मौका दिया है.
इसलिए कम से कम मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि केजरीवाल टीम ने खुद ही अपने दफ्तर पर हमला मैनेज करवाया है.
~ जय रामजी की.
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