देश में माहौल गर्म है. ट्विटर/फेसबुक पर धड़ाधढ ख़बरें / विचार आ रहे है, जब तक आप सोचो नयी ट्वीट/पोस्ट आ जाती है. सारा दिन गहमागहमी. कन्हैया से लेकर बस्सी तक. कई ब्यान आये और कई पलट गए. मिनट मिनट में यारलोग भी अपडेट होते रहे/करते रहे.
तीन दिन की पुलसिया हिरासत के बाद कन्हैया ने राजीनामा लिख दिया है. अब वो "भारत की एकता और अखंडता" पर विश्वास करने लगा है और दिल्ली पुलिस को इस पर ऐतबार भी हो गया, बोले इसकी जमानत पर इतराज नहीं करेंगे. क्या क्या सौदा हुआ पता नहीं.
बदलते वक्त के साथ डी. राजा की बेटी का किस्सा खत्म हो गया. उमर खालिद कौन था, कहाँ गया पता नहीं. द्रोपदी घोष किस चिड़िया का नाम था, किस पेड़ पर जा कर बैठी, कुछ नहीं पता. किसे फुर्सत है पता करने की – सो इन दोनों का किसी ने पता नहीं किया.
लगता है पत्रकार बिरादरी के बुरे दिन शुरू हो चुके हैं. कोलकत्ता में कुछ पत्रकार पिट गए ... महिला पत्रकारों के साथ बदसलूकी हुई .. कोई बरखा दत या राज देसाई सामने नहीं आया. कौन जात के कुमार साहेब भी कन्नी काट गए. क्यों आते, दीदी का शासन है. और दीदी सेकुलर है. सेकुलर लोग कुछ भी करें. इस बिरादरी को कोई दिक्कत नहीं.
इधर केरल के एक बेटे को को लालबन्दुकधारियों ने मारा था, चूँकि लाल बन्दुक धारियों ने उसे मारा, अत: वो भारत माँ का लाल नहीं रहा. उसका का खून साहेब लोगों को कम लाल लगा क्योंकि मीडिया ने इस मुद्दे को ढंग से नहीं उठाया. या फिर मरने वाला ख़ास जाति या फिर ख़ास मजहब से नहीं था. इस देश में शहादत के लिए भी जाति प्रमाणपत्र चाहिए.
उधर देश की सबसे पुरानी पार्टी के युवराज लखनउ आ चुके हैं.. विषय है “दलित समुदाय में नेतृत्व” का विकास करना. ये वो लोग हैं, जिन्होंने अपने ऑफिस से एक दलित प्रधान को धक्के मार कर बाहर निकला था. जी मैं सीताराम केसरी की बात कर रहा हूँ. आप भूले नहीं होंगे किस तरह राजमाता के एक इशारे पर कांग्रेस के प्रधान पद से सीताराम केसरी उठा कर बहार कर दिया था. आज किस मुहं से दलित के विकास की बात करते हैं. और पब्लिक है जो भूल जाती है.
दुसरे ओर आज दो तस्वीरें वायरल रहीं है., एक में कोर्ट में छात्रों को पीटने वकील की, जिसमें वो भाजपा के कई नेताओं के साथ खड़ा दिख रहा है. और दूसरी फोटो श्रीमान केजरीवाल की, जिसमे वे सन चोरासी के दंगों के आरोपी जगदीश टाईटलर के साथ हैं. ध्यान रहे कि दिल्ली में सन चौरासी की फ़ाइल गायब बताई जाती है. उस वकील के लिए हमारे मित्र भाजपा नेताओं को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. पर इतना मुझे यकीन है कि वो वकील जितनी भी फोटू इन भाजपाइयों के साथ खिंचवा ले, आज नहीं तो कल जरूर नपेगा. बाकी रहा टाईटलर ... उसका ये साहेब क्या बिगाड़ेंगे. अपनी अपनी चौरासी है जी, काट रहे हैं.
फिर कहूँगा कि माहौल गर्म है. आप ठन्डे रहिये. कल मिलते हैं , जय राम जी की.
तीन दिन की पुलसिया हिरासत के बाद कन्हैया ने राजीनामा लिख दिया है. अब वो "भारत की एकता और अखंडता" पर विश्वास करने लगा है और दिल्ली पुलिस को इस पर ऐतबार भी हो गया, बोले इसकी जमानत पर इतराज नहीं करेंगे. क्या क्या सौदा हुआ पता नहीं.
बदलते वक्त के साथ डी. राजा की बेटी का किस्सा खत्म हो गया. उमर खालिद कौन था, कहाँ गया पता नहीं. द्रोपदी घोष किस चिड़िया का नाम था, किस पेड़ पर जा कर बैठी, कुछ नहीं पता. किसे फुर्सत है पता करने की – सो इन दोनों का किसी ने पता नहीं किया.
लगता है पत्रकार बिरादरी के बुरे दिन शुरू हो चुके हैं. कोलकत्ता में कुछ पत्रकार पिट गए ... महिला पत्रकारों के साथ बदसलूकी हुई .. कोई बरखा दत या राज देसाई सामने नहीं आया. कौन जात के कुमार साहेब भी कन्नी काट गए. क्यों आते, दीदी का शासन है. और दीदी सेकुलर है. सेकुलर लोग कुछ भी करें. इस बिरादरी को कोई दिक्कत नहीं.
इधर केरल के एक बेटे को को लालबन्दुकधारियों ने मारा था, चूँकि लाल बन्दुक धारियों ने उसे मारा, अत: वो भारत माँ का लाल नहीं रहा. उसका का खून साहेब लोगों को कम लाल लगा क्योंकि मीडिया ने इस मुद्दे को ढंग से नहीं उठाया. या फिर मरने वाला ख़ास जाति या फिर ख़ास मजहब से नहीं था. इस देश में शहादत के लिए भी जाति प्रमाणपत्र चाहिए.
उधर देश की सबसे पुरानी पार्टी के युवराज लखनउ आ चुके हैं.. विषय है “दलित समुदाय में नेतृत्व” का विकास करना. ये वो लोग हैं, जिन्होंने अपने ऑफिस से एक दलित प्रधान को धक्के मार कर बाहर निकला था. जी मैं सीताराम केसरी की बात कर रहा हूँ. आप भूले नहीं होंगे किस तरह राजमाता के एक इशारे पर कांग्रेस के प्रधान पद से सीताराम केसरी उठा कर बहार कर दिया था. आज किस मुहं से दलित के विकास की बात करते हैं. और पब्लिक है जो भूल जाती है.
दुसरे ओर आज दो तस्वीरें वायरल रहीं है., एक में कोर्ट में छात्रों को पीटने वकील की, जिसमें वो भाजपा के कई नेताओं के साथ खड़ा दिख रहा है. और दूसरी फोटो श्रीमान केजरीवाल की, जिसमे वे सन चोरासी के दंगों के आरोपी जगदीश टाईटलर के साथ हैं. ध्यान रहे कि दिल्ली में सन चौरासी की फ़ाइल गायब बताई जाती है. उस वकील के लिए हमारे मित्र भाजपा नेताओं को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. पर इतना मुझे यकीन है कि वो वकील जितनी भी फोटू इन भाजपाइयों के साथ खिंचवा ले, आज नहीं तो कल जरूर नपेगा. बाकी रहा टाईटलर ... उसका ये साहेब क्या बिगाड़ेंगे. अपनी अपनी चौरासी है जी, काट रहे हैं.
पड़ोसी ने नए औजार का अविष्कार किया है और इसमें उसे कामयाबी दिख रही है. याद होगा कुछ समय पहले कांग्रेस के कुछ नेता पाकिस्तान गए थे. और वहीँ से मोदी को गद्दी से उतारने की बात कर रहे थे. काफी जद्दोजहद के बाद इस प्रकार की रूप रेखा तय हुई होगी. अब पडोसी देश को चिंता की कोई बात नहीं है. यहाँ के देशद्रोही हरकत में आ चुके हैं. क्या दिल्ली और क्या कलकत्ता. देश के १०० टुकड़ों की बात शुरू हो चुकी है. बस पैसा यूँ ही इन देश द्रोहियों तक पहुँचता रहे.
धर्म बेच देंगे !! आत्मा बेच देंगे ,
देश के तथाकथित बुद्धिजीवी गद्दार
देश बेच देंगे .,,,,,,,,,,,
फिर कहूँगा कि माहौल गर्म है. आप ठन्डे रहिये. कल मिलते हैं , जय राम जी की.
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