22 अप्रैल 2016

शासन करना बहुत आसन है, पर देश हित में कार्य करना बहुत मुश्किल .

आनंद बाबू, बहुत गहरी जड़ें जमी हैं इस देश में कांग्रेस की ... कहाँ तक तुम नष्ट कर पायोगे. कहाँ तक. चाणक्य की तरह अगर एक एक जड़ ही खोदते रहे तो सदियों बीत जायेंगी, और तुम्हारे पास समय नहीं है. फिर भी कांग्रेस दूसरा अवतार लेकर अगले चौराहे पर खड़ी मिलेगी. उसका रंग/रूप/निशान अलग हो सकता पर गहराई से देखोगे तो विचार वही मिलेगा ... देश में मानव समुदाय को को मात्र प्रजा मान और उन शासन करने की प्रवृति लगभग वही मिलेगी. “फूट डालो और शासन करो” का महामंत्र जो उसने अपने पूर्वर्ती विदेशी शासकों से सीखा था वो वही रहेगा.
क्या न्याय व्यवस्था , क्या प्रशसनिक व्यवस्था या फिर कहिये कार्यपालिका और क्या मीडिया (पेड ही सही). पिछले ७० सालों में इस समाज / देश की नसों में महामारी की तरह घर कर चुके हैं. एक ही बात शासन करना बस कांग्रेस को आता है.
क्यों भाई ? इन लोगों को भी शासन करना आता है, नमूना तुम्हारे सामने है:
क्या लालू यादव कहाँ कमजोर है, और उसका वो रंग बदलू छोटका भाई जो कल तक समाजवाद की आड़ में भगवे ध्वज वाहकों के साथ गलबहियां करते करते आज लालकिले पर तिरंगा फेहराने के ख्वाब देखने लगा. जया ललिता शासन कर ही रही है, और उसी क्षेत्र में उसका प्रतिद्वंदी वो चश्मे वाला बाबा, द्रमुक पार्टी वो भी शासन में कहाँ पीछे है. उडीसा में देख लीजिये, कहते हैं आदिवासी राज्य है... पर नायक अंग्रेजीदां .. बोले तो अपने क्षेत्र की भाषा तक नहीं जानता .. पर शासन कर रहा है.
दिल्ली की ही बात कर लिजिय, काम हो या न हो पर शासन तो हो ही रहा है. बेशक कल की पार्टी है, पर कांग्रेस की जगह और उसी के वोट खींच कर आई है.
आप कैसे कह सकते हैं शासन करना मात्र कांग्रेस को ही आता है?
आनंद बाबु, शासन करना एक बात है, और देशहित के लिए काम करना दूसरी बात. ये बहुत बड़ा देश है बाबु, बहुत बड़ा, जितनी संस्कृतियाँ / जितने पंथ और उतने की दावेदार और उतनी ही समस्यायें और मजे की बात ये की ये सब यहाँ पोषित हो विकसित हए हैं, उस लिहाज़ से बोले तो ये महादेश है. यहाँ शासन करना आसान है. डिवाइड & रूल, पूर्वर्ती सिखा गए है. इन सभी के लिए काम करना बहुत मुश्किल.
सत्तर साल बाद भी पानी के लिए कुछ लोग रोज आठ-दस किलोमीटर यात्रा कर रहे हैं. कुछ ऐसे भी जिनकों मात्र दो जून की रोटी मिल जाए – मानो खुदा मिल गया. किसी के पास रोटी तो पर चटनी के जुगाड़ में हलकान है, उसे चटनी चाहिए और जरूर चाहिए. किसी को रोड / बिजली चाहिए.
जिसको रोटी, चिकन दारु, सड़क बिजली सब मिल गयी, उसकी तो समस्याएं और अधिक हो गयी, चीन कैसे बाज़ी मार गया, पाकिस्तान अभी तक जिन्दा क्यों है ? अमेरिका पर राष्ट्रपति आज रात खाने पर क्यों नहीं आया ? आई एस वाले अब तक इतनी हिंसा क्यों कर रहे हैं ?
शासन करना बहुत आसन है, पर देश हित में कार्य करना बहुत मुश्किल ..
तुम नहीं समझोगे आनंद बाबु.

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