12 जन॰ 2008

dukhii मन मेरे, सुन मेरा कहेना -
जहाँ नहीं चेन्ना वहाँ नहीं रहेना

भाई कहाँ रहेंगे, समझदार लोग कहेते हैं दुनिया बहुत छोटी है। जिससे भागो अगले चौक पर मिल जाता है, बताइए कहाँ नहीं रहेना. बहूत से गलत आदमी हैं Kuch कि fitrat इसे, कुछ जान बुझ कर, लेकिन तंग तो तुम्हे ही करना चाहते है न. कैसे बचोगे, कहाँ तक भागोगे, और क्यों भागोगे. वो तो नहीं सुधेरेंगे, तुम बदल लो अपने आप को - बदल पाओगे - नहीं. फिर ?

दर्द हमारा कोई न जाने - आपनी गरज के सब हैं दीवाने
किसके आगे रोना रोये - देश पराया लोग पराया.

हाँ दोस्तों, पराया देश - बेगाने लोग. समझे. मैं इंडिया, पाकिस्तान, इरान कि बात नहीं कर रह. मैं बात कर रह हूँ अपने अंदर बसे इंसान कि - जो हिन्दू है न मुसलमान - पाकी है न हिन्दुस्तानी, न ही कनाडा को बसने को तरसा है न ही स्टेट का वीसा लगाने जाता है. भाई यह इन्सान, इसकी अपनी दुनिया है जो कि चंद लोगो द्वारा बनाईं गई भोगोलिक सीमाओं को नहीं मानता - जो दिलों कि बात करता है - दिलो से दिल को maanta है. वो तो नितांत अलग ही है न. उसकी दुनिया तो अलग ही है. उसको तो पेमेंट देने और लेने से कोई फरक नहीं पड़ता. उसके लिया गरीबी और अमीरी कोई मायने नहीं रखती. एस आदमी को मार देना कहिये या खुद खुद्खुसी कर एस बेदर्द दुनिया से चला जाये. नहीं मानते अप्पने बात किसी को बताओ, शायद ही वो आपको तवज्जो दे, हाँ अगर बात बिजनेस कि की तो बात अलग है. किसके आगे रोना रोयोगे - भाई सब बेगाने ही तो हैं. अगर मतलब कि बात नहीं है तो कोई नहीं सुनेगा.


बरहाल...........
जय राम जी कि।

लास्ट पैग खत्म हो गया.
फिर कल.....

1 टिप्पणी:

  1. मित्रों तीसरे पेग की झोंख में ये मेरी सही मायनों में पहली पोस्ट थी, इससे पहले जो लिखा वो कहीं न कहीं से कट पेस्ट कर के बाकि २ चार लाईने टाइप कर के बना दी थी पोस्ट.

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.