जिस देश ने देवगौड़ा, आई के गुजराल, नरसिम्हा राव और डॉ मनमोहन सिंह जैसे प्रधान मंत्री देखें हो ...... समझ नहीं उनको बाबा रामदेव के प्रधान मंत्री बनाने से क्यों परहेज़ है. तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है यार...
भगवा कपडे देख कर भड़क क्यों जाते हो... अच्छा भला व्यक्ति भी, बाई चांस संतरी रंग कपडे पहन कर चल पड़े तो तुम्हारी भोवें क्यों तन जाती है हैं.... क्यों मन ही मन सोचते हो की काश मजेंटा रंग १००% होता तो लाल (१००% मजेंटा और १००% पीला मिल कर लाल बनता है प्रिंटिंग उद्योग में) हो जाता - लाल रंग अच्छा लगता है पर ये तो भगवा है.... अपना घर फूंकने वालों का रंग.. आप तो भूल गए होंगे न सब, क्योंकि भगवा और बाबा को दोनों को आज मक्कारी और चरित्रहीनता दोनों में बदनाम कर रखा है.
एक राजा तो पड़ोस में अंदर हैं, दुसरे बाहर आज़ाद, अब आज़ाद हैं तो बोलेंगे भी सही, तो सुनो : बाबा के पीछे आर एस एस है, .... राजा जी, आपको तो भारत वर्ष में हर घटना के पीछे आर एस एस का हाथ नज़र आता है. और देश में तो यह बात आम हो गई है - हर घटना के पीछे आर एस एस को जिम्मेवार ठहरा दो और अपनी जिम्मेवारी से मुक्ति पाओ, एक चुटकी : बच्चे आजकल पढ़ाई ढंग से नहीं करते.... पता करो, शाखा पर तो नहीं जाने लग गये, सुनो जी, हमारी पड़ोस में सलमा बेगम ने २ जोड़ी जुड़वाँ बच्चों (४ बच्चों) को जन्म दिया है ..... अच्छा - पता करो - शाखा वाले शर्मा जी का हाथ तो नहीं..... :) हाँ जी, पिछले २-४ वर्षों से देश ऐसा ही कुछ सुन रहा है.
ऐसा नहीं की और मंत्री नहीं है, हैं भाई : उनकी भी सुनो : कपिल सिब्बल जी कह रहे है : ऐसे मसले एक दिन में हल नहीं होते .............. भाई सालों से तो आप की पार्टी शासन में है - अब आप ही पूछ कर बता दो - कितने वर्षों में हल होंगे - माई बाप - हम तो हर हाल में राजी हैं. इस सरकार में मंत्री से संतरी तक - सभी परेशान है : किसी ने कोलकत्ता की तो किसी ने मेंगलोर तक की यात्रा स्थगित की है. बाबा को मनाया जा रहा है : धमकाया तो बहुत, दवाइयों में से हड्डियाँ निकली .... कभी लेबर परेशान हो गई - बाबा फेक्टरी में कम पैसे देते हैं, कभी बोला गया की बाबा के पास साइकल के पंचर के पैसे नहीं थी - और अब इतने करोड़ की रकम कहाँ से आ गयी...... पर बाबा अपनी चाल में है - ठेठ हरियाणा की दिहाती चाल ... भाई तो मने रास्ता बता दे - यार के घर पहुँचने का - और पगड़ी सर पर बाँध - हाथ में लट्ठ ले चल पड़े तो रस्ते ही पनाह मांगेगे.... जादू है हाँ न ... दूध दही और गेंहू की रोटी....... बाबा तैयार है..
कई लाख किलोमीटर की यात्रा कर चूका है .... देश की नब्ज़ को पकड़ लिया है - और उस दर्द को पहचाना है ... भूखे पेट को पहचाना है... रासायनिक खादों और इंजेक्शनो द्वारा पेट भरने वाले गरीब के इलाज़ के सस्ते विकल्प हाथ में है.... चाहे काला धन हो या भरष्टाचार, महंगी रासायनिक खेती के आगे - जैविक खेती की बात हो, महंगे अंग्रेजी दवाओं के आगे - देसी सस्ती दवाइयां हो..... इस लंगोटधारी के पास हर मर्ज़ की दवा है... और इसको सिद्ध भी कर रहा है जब १ करोड़ लोगों का विश्वास इस देश में नज़र आ रहा है.
है कोई ... नेता जो छाती ठोक कर कह सके ... उपर तीन प्रधानमंत्रियों का नाम लिया है ... उनमे से कोई एक हो... नहीं ... बाबा हैं - भगवा पहन रखा है... वही भगवा ... जो इस पुण्य भूमि को जोड़ने का संकल्प है - त्याग है तपस्या है ....
माफ़ी चाहता हूँ, श्रीमान प्रधानमंत्री जी, आने वाले कई दिनों में आप सो नहीं पाओगे और मैं आपकी अच्छी नींद और १०% विकासदर के हसीं सपनो के लिए प्राथना भी नहीं कर पायूँगा.... क्योंकि जब से धरती पुत्रों के (किसानो के) हाथों में हल आपको अच्छे नहीं लगने लगे - छीन लिए गए ... मेरे हाथ भी प्राथना के लिए अब नहीं उठते... क्या करें..
राष्ट्र पिता को देखा, बच्चों के चाचा को भी, लोह महिला भी देखी, विनर्म किसान आये, शेरोशायरी करता फ्रेंच दाड़ी वाला भी, कवि चिरकुमार से लेकर कठपुतली अर्थशास्त्री तक ... सभी को तो देखा आपने ... पर कोई बाबा नहीं आया.... आज आया है - ललकार के साथ - हाथ में कमंडल नहीं है - भिक्षाम देहि - ललकार है - क्रांति की ... वन्देमातरम का गान है ...... क्या आनंद मठ की याद ताज़ा नहीं होती ........ - वो दर्द दिल में पनपता ... वन्दे~~~~~~~~~मा~~त~र~म... ... वन्देमातरम...
सबसे ऊपर धर्म दंड ... मित्रों ये बाबा गलत नहीं करेगा.... बंद कमरों में चलने दो बैठके... पीने दो बिसलरी पानी की बोतले... पर धरती के नीर पीने वाले, खुले आसमान के नीचे से ललकारने वाले .... माटी के लाल की सुनो ... अगर सुबह सूर्यनमस्कार किया हो तो धरती माँ के सीने की हलचल सुनी होगी - सुनो --- इस बाबा की सुनो... माँ की पुकार है...
जय राम जी की...
जवाब देंहटाएंमुझे ऎसी ही आशा थी कि आप ऎसा ही कुछ लिखेंगे !
वह आपने अच्छा ही लिखा है !
दो बाबा अगर एक जगह हो तो फ़िर देखो क्या होता है
जवाब देंहटाएंपहले बाबा रामदेव बाबा दूजे बाबा दीपक बाबा,
तीसरे की जरुरत नहीं है, नहीं तो लोग कहेंगे,
कि तीन तिगाडा-काम बिगाडा।
हम तो दीपक बाबा के भक्त है ...एक दिन यह बाबा भी प्राइम मिनिस्टर बनेगा और हम मंत्री ! हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंप्रॉब्लम वही पुरानी है, सबसे बुरा स्वीकार्य है परंतु कुछ अच्छा हो तो फिर सीधा भगवान ही होना चाहिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा
जवाब देंहटाएंsahi kah rahe hain aap ,
जवाब देंहटाएंjab aur pm ban sakte hain to baba kyon nahin ?
bahut achchha likha
meri nayi post par padharen
आज भी जीवित है दुनिया का सबसे खूंखार आतंकवादी ! जरा ध्यान दीजिये .....>>> संजय कुमार
http://sanjaykuamr.blogspot.com/2011/06/blog-post.html#comments
देश के समस्त भ्रष्टाचारियों एक हो जाओ, तुम्हारा जीवन संकट में है। आवाज कहीं नेपथ्य से आ रही है और लोग जुटते जा रहे हैं कोई रामदेव को सायकिल सवार बता रहा है तो कोई व्यापारी। किसी को भगवा वस्त्र पहनने से कठिनाई है तो किसी को किसी देशभक्त के समर्थन की। यह युद्ध है और इसमें दो ध्रुव बनेंगे ही, अच्छा है बने तो, समझ में तो आए कि कौन लोग कहाँ खड़े हैं? जिन्हें यह देश अपनी माँ समान लगता है वे इसे सुफललाम सुजलाम बनाना चाहते हैं और जिसे इस धरती को लूटने की चाह है वे आज बौखलाए घूम रहं हैं।
जवाब देंहटाएंham baba ke saath hai......baba ko hamara samrthan hai .....
जवाब देंहटाएंjai baba banaras...................
हमारे सरकारी पदों पर बैठे लोगो की काबिलियत कम मत आंकिये - अन्ना जी के अनशन के बाद कमिटी पर राजी हो गए थे - फिर जैसे ही अनशन ख़त्म - उन सभी कमिटी मेम्बर्स पर आरोपों की बौछारे यूँ बरसीं कि जैसे कमिटी में शामिल वे लोग अचानक धरती पर प्रकटे हों | जिन पर कल तक उंगलियाँ नहीं उठती थीं - उन पर शीशे के घरों के वासी पत्थर बरसाने लगे | क्यों भाई - यदि वे लोग सच में गड़बड़ी कर रहे थे - तो आपकी सरकार ने अब तक कुछ किया क्यों नहीं ? और नहीं कर रहे थे - तो यह आरोपों की वर्षा क्यों? जो दिग्गी जी "ओसामा जी" की मौत पर रोते हैं - वे इल्जाम लगाने लगे | फिर एक ड्रामा हुआ के सत्ता पार्टी की अध्यक्ष जी ने फटकारा है - तो दिग्गी जे ने कहा - कि "मैंने थोड़े ही कहा कि .... ये , और , मैंने थोड़े हे कहा कि .... वो " और यह कह कह कर क्या क्या ना कह दिया ! को नेता बोले " अन्ना चुनाव लड़ें - फिर मनमर्जी करें - क्योंकि यह कहने वाले महाशय चुनाव मन मर्जी करने के लिए ही लड़ते हैं | तो किसी और ने कहा कि - भगवा पहन कर बाबा रामदेव पोलिटिक्स क्यों करते हैं - इससे परहेज़ करें | क्यों जी? संविधान में लिखा है क्या कि यदि आप हिन्दू भगवा धरी हैं तो राजनीति नहीं कर सकते? सिर्फ भ्रष्ट लोग ही आ सकते हैं इस लाइन में? राईट टू इक्वालिटी का क्या हुआ?
जवाब देंहटाएं@सक्सेना जी, शपथ ग्रहण समारोह के लिए तैयार रहिये.
जवाब देंहटाएं@शिल्पा जी, हम आपके तर्कों के कायल हो गए.
@ जाट देवता : दो बाबाओं के बीच अगर एक चौधरी आ गया तो त्रिदेव न बन जायेंगे :)
जवाब देंहटाएंआपकी बात से शत प्रतिशत सहमत, और जब ऐरे-गैरे, नत्थू-खैरे प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो बाबा को भी एक बार मौका देना चाहिए|
जवाब देंहटाएंहमें भी विश्वास है कि ये बाबा कुछ गलत नहीं करेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट, धन्यवाद
प्रणाम
स्मार्ट इंडियन जी की स्मार्टेस्ट टिप्पणी को हमारा सशर्त समर्थन:)
जवाब देंहटाएंजय राम जी की
जवाब देंहटाएंएक विचारोत्तेजक और समसामयिक पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसमय पर सार्थक टिप्पणी आपका ट्रेडमार्क है ..बढ़िया आलेख
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख/व्यंग्य.
जवाब देंहटाएंसरकार ने दिखा ही दिया की वह सिर्फ राजनीती कर सकती है ...
जवाब देंहटाएंअच्छा आलेख !
बाबा को यदि जनता प्रधानमंत्री बनाएगी तो उसे रोकने वाला भी कौन है, रहा सवाल आरएसएस को तो आखिर वह खुल कर सामने आ ही गई
जवाब देंहटाएंहे महान विचारको शत शत नमन है क्या घोंट के हिंदुत्व को पिया है आपने मुझे इससे एतराज नहीं है की कोन सत्ता में आये कोन नहीं लेकिन जैसा की साधू सन्यासी को काम क्रोध मोह लोभ अहंकार शोभा नहीं देते और आप की भाषा में और बाबा के आचरण में सभी प्रचुर मात्र में हैं.
जवाब देंहटाएंबेनामी महोदय ... कृपया नाम तो बताते जाते...... इतना भी क्या डरना की खानदान का नाम ही खतरे में पड़ जाए
जवाब देंहटाएंअच्छे उद्देश्य से जो भी आन्दोलन करे उसका समर्थन किया जाना चाहिए। बाबा रामदेव का उद्देश्य फिलहाल बहुत अच्छा है। इनका समर्थन किया जाना चाहिए। आपकी पोस्ट बहुत अच्छी है।
जवाब देंहटाएंबाबा रामदेव का उद्देश्य निसंदेह बहुत अच्छा है। इनका समर्थन किया ही जाना चाहिए। सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी से सहमत हूं …
जवाब देंहटाएंसंविधान में लिखा है क्या कि यदि आप हिन्दू भगवा धारी हैं तो राजनीति नहीं कर सकते?
सिर्फ भ्रष्ट लोग ही आ सकते हैं इस लाइन में?
राईट टू इक्वालिटी का क्या हुआ? बहन शिल्पा मेहता जी ने बहुत सही कहा … आभार !
जिन्हें यह देश अपनी माँ समान लगता है वे इसे सुफललाम सुजलाम बनाना चाहते हैं और जिसे इस धरती को लूटने की चाह है वे आज बौखलाए घूम रहं हैं। आदरणीया अजीत गुप्ताजी के विचार वंदनीय हैं …
मित्रों , इस प्रकरण के सहारे देश की यथास्थिति पहचानें …
और कृपया , गंभीरतापूर्वक दायित्व-निर्वहन के प्रयत्न करें …
# मसखरी में बात उड़ा देने का समय नहीं है …
राजेन्द्र स्वर्णकार
kya RSS/BJP/VHP/ Hindustan k nahi hain .Desh hit chintan keval congress hi karegi.yadl usi ko huk hai to ab tak kya kiya .kya karz mang kar bahar ke bank bharna hi desh bhakti hai .bat baba ki nahi desh ki izzat ka hai kya hame apna paisa vapas lakar vikas nahi karna chahiy ye kam satta dhari hi kar de to isme burai to nazar nahi ati phir der kis bat ki sahmat to ho hi lagu karo jago aour mita do bhastachar.... anil
जवाब देंहटाएंक्या बात कही है. १००% सहमत. इसी चिंतन में तन मन धन से लगी हूँ न सिर्फ चिंतन अपितु कर्म में भी बाबा को पूरा समर्थन तथा दिन रात यही धुन है. इसके पीछे ऑनलाइन बिजनेस भी छोड़ दिया है.
जवाब देंहटाएं"तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित, चाहती हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं"