बाबा बहुत बोले है तू....... बहुत बोले है...... तने बैरा नहीं ठाकुर(आइन) को किसी भगवाधारी की ऊँची आवाज पसंद नहीं है ......... और तू है की बक बक (इसके अलावा और क्या है) किये जा रहा है....
ले गए न उठा कर .... संभाल अपनी लंगोटी और लौटा ...
अन्ना हजारे खामोश थे, मोमबती जलाने वाले (शहरी तबका) साथ थे, .... सरकार को कोई प्रोब नहीं थी, अलबत्ता मोमबती बनाने वाले उद्योगपतियों को बुला कर बैठक जरूर कर ली थी, :) भैया माल बहुत बिकवा देंगे, बस हमारी कमीशन का ध्यान रखना, पिज्जा खाने वालों से कोई खतरा नहीं, आयें है पिकनिक मना कर चले जायेंगे; और तू गाँव दिहातियों को इक्कट्ठा कर लाया है... जिनका खून १००% है .... जरा सी भावना में बहे नहीं और खून खौल गया ; अपना पैसा खर्च कर के आये थे, न सोने का ठिकाना न खाने का - पिकनिक मनाने नहीं ....
अरे बाबा गाँव की तो ये (सरकार) दुश्मन पहले ही बनी बैठी है.... छि छि छि -- कितने गंदे होते है गाँव वाले - दोपहर को नहाते हैं - सुबह खुले में निर्वुत होने जाते है - कई बार तो पानी का लौटा भी साथ नहीं ले जाते; भोले के बाराती लगते हैं; ... और तू उनको साथ ले चल रहा है ... भाई इन लोगों की जमीन पर ही तो सरकार की नज़र है .. जैसे सांप अच्छा नहीं लगता ... पर उसकी मणि अच्छी लगती है है.... हाथीदांत के लिए हाथियों का वध और कस्तूरी के लिए मृग का वध किया जाता है ........ तो फिर ये दिहाती किसान अपवाद थोड़े ही हैं........
अच्छा हुआ - कोई कमेटी नहीं बनी.... ठीक ही हुआ ....और ये भांड बक्से (टीवी ख़बरें) फिर से चिल्लाते रहते ... तेरा तो कुछ नहीं होना था .... पर बाबा उनकी सोच जो तेरे साथ हैं, कोई न कोई CD काण्ड में और उलझ जाता .... शशि भूषण की तरह...
जा बाबा जा ..... भगवा कपडे उतार कर - सफ़ेद कपडे पहन - शान्ति वाले (?) धीरेन्द्र ब्रहमचारी को अपना IDOL बना और सरकार में मौज कर .... जीवन क्षण भंगुर है.... काला धन - भ्रष्टाचार बस भावनायों का आचार है - इन पर काबू रख .... पेट चिपका कर घूम रहा है खा पी ऐश कर ....... मंत्री लोगों को सुबह बंद ठन्डे कमरों में योग सिखा ......... अपनी दवा की फेक्टरी बंद कर ... लोगो को उनके बी पी, कोलेस्ट्रोल के हाल पर छोड़ दे; और 'राजगुरु योगाचार्य' की पदवी प्राप्त कर ऐश कर इस लोक को ही नहीं अपितु परलोक भी सुधार .....
'सकल पर्दार्थ इ जब माहि - कर्म हीन पावत नाहीं' - सरकारी कर्मयोगी (चमचा) बन और सभी उत्तम प्रकार के पदार्थों का भोग लगा ;)
बाबा बातें कडवी तो जरूर लगेगीं - पर तेरे भले के लिए हैं ... जगत का कल्याण छोड़ - अपने कल्याण की सोच...
जय राम जी की
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स्पष्टीकरण १ : ये पोस्ट सुबह दैनिक जागरण की हेड लाईन देखने (पढ़ने तक की फुर्सत नहीं थी) के तुरंत बाद लिखी गयी थी.... और जाहिर है की निम्न लिंक दोपहर १२ बजे के हैं और हाँ ये स्पष्टीकरण रात ९.०० लगा रहा हूँ.
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स्पष्टीकरण १ : ये पोस्ट सुबह दैनिक जागरण की हेड लाईन देखने (पढ़ने तक की फुर्सत नहीं थी) के तुरंत बाद लिखी गयी थी.... और जाहिर है की निम्न लिंक दोपहर १२ बजे के हैं और हाँ ये स्पष्टीकरण रात ९.०० लगा रहा हूँ.
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Jun 05, 10:07 am
नई दिल्ली। रामलीला मैदान में पुलिस कार्रवाई को जायज ठहराते हुए काग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने
बाबा रामदेव को 'ठग' बताया और कहा कि उनके साथ वही हुआ जो एक ठग के साथ होना चाहिए।
बाबा रामदेव को 'ठग' बताया और कहा कि उनके साथ वही हुआ जो एक ठग के साथ होना चाहिए।
हिन्दुस्तान की जनता चाहती है की आपके डी एन ए
के जांच हो........
के जांच हो........
Jun 05, 11:20 am
नई दिल्ली। सरकार ने बाबा रामदेव के अनशन को खत्म करने की पुलिस कार्रवाई को जायज ठहराते हुए
रविवार को कहा कि योगगुरु ने रामलीला मैदान में आयोजन करने की अनुमति लिए जाने के दौरान किया
वादा तोड़ा और यहा तक कि वह अपने आश्वासनों से भी पलट गए।
रविवार को कहा कि योगगुरु ने रामलीला मैदान में आयोजन करने की अनुमति लिए जाने के दौरान किया
वादा तोड़ा और यहा तक कि वह अपने आश्वासनों से भी पलट गए।
जनता चाहती है की सरकार की वादाखिलाफी पर
कौन सी कार्यवाई होगी ???
कौन सी कार्यवाई होगी ???
Jun 05, 11:20 am
नई दिल्ली। रामलीला मैदान में पुलिस कार्रवाई और बाबा रामदेव की
गिरफ्तारीके बाद उनके समर्थकों की ओर से विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू
करने के किसी भी प्रयास को रोकने के उद्देश्य से दिल्ली पुलिस ने रविवार
को प्रदेश के नई दिल्ली जिले में निषेधाज्ञा लगा दी जहा इस तरह के किसी
प्रदर्शन की आशका थी।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने नई दिल्ली
गिरफ्तारीके बाद उनके समर्थकों की ओर से विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू
करने के किसी भी प्रयास को रोकने के उद्देश्य से दिल्ली पुलिस ने रविवार
को प्रदेश के नई दिल्ली जिले में निषेधाज्ञा लगा दी जहा इस तरह के किसी
प्रदर्शन की आशका थी।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने नई दिल्ली
जिले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लगा दिया है।
याद कीजिए - अंतिम बार ये शब्द कब सुने थे - निषेधाज्ञा
सरकार की मंशा समझ आएगी - पर धीरे धीरे
स्पष्टीकरण 2: रात्री १०.३० बजे से टीवी देख रहा हूँ ; और रोना आ रहा है अपनी
नपुंसकता पर........ उफ़.... रामजी क्या सदा सत्ता ऐसे ही हाथों में रहेगी
जो इसका दुरपयोग करना जानते हों.......... आज सुबह ही
रामचरितमानस पढ़ रहा था :
नपुंसकता पर........ उफ़.... रामजी क्या सदा सत्ता ऐसे ही हाथों में रहेगी
जो इसका दुरपयोग करना जानते हों.......... आज सुबह ही
रामचरितमानस पढ़ रहा था :
धरनि धरहि मन धीर कह बिरंचि हरिपद सुमिरु।
जानत जन की पीर प्रभु भंजिहि दारुन बिपति।।
सोमवार, रात्री १० बजे :
सुनील कुमार शर्मा मुझे गर्व है तुम्हारे पर...........
राजस्थान का १००% खून है ....
मेरी सद्भावनायें!
जवाब देंहटाएंऔर क्या सोचे थे बाबा लोग, सरकार हार डालेगी? वैसे अभी वरिष्ठ लोगों की पोस्ट्स\कमेंट्स भी आते होंगे कि सब ड्रामा है, तमाशा है, मजमा है वगैरह वगैरह।
जवाब देंहटाएंअच्छे महान कारनामे किये/करवाये रात भर, इस कथित धर्मनिरपेक्ष सरकार ने,
जवाब देंहटाएंडर गयी सरकार एक अकेले बाबा से वो तो शुक्र करो कि कोई भी पार्टी साथ नहीं दे रही थी, नहीं तो ना जाने क्या होता,
अब बाबा कौन सा चैन से बैठने वाले है, फ़िर से शुरुआत करनी होगी बाबा को, पर अभी नहीं, ठीक चुनाव से पहले करे तो,
नहीं तो ये भारत की भुलक्कड जनता जल्द भूल जाती है,
लोकतंत्र में अब लोक कहाँ...सुन्दर पोस्ट...
जवाब देंहटाएंअब कह तो दिए थे दिग्गी जी - सरकार डरती तो जेल में डाल देती - तो अब ले गए पकड़ कर पुलिस वाले !! और आरोपों की बौछार तो एक्सपेक्टेड ही थी ना? और - आजाद भारत में जलियाँ वाला बाग भी आ ही जायगा धीरे धीरे !!
जवाब देंहटाएंसटीक।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (6-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
रोचक बाबा वृतांत.
जवाब देंहटाएंधरनि धरहि मन धीर कह बिरंचि हरिपद सुमिरु।
जवाब देंहटाएंजानत जन की पीर प्रभु भंजिहि दारुन बिपति।।
धीर धरो ए भारत भूमि - ऐसा भी दिन आएगा ..
जब भारत का बच्चा बच्चा - राष्ट्र भक्त बन जाएगा..
बहुत ख़ूबसूरत, भावपूर्ण और सटीक प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
वस्तुतः अन्ना हजारे और रामदेव नाटक करके जनता को मूर्ख बना रहे हैं.आर्थिक भ्रष्टाचार तब तक दूर नहीं होगा जब तक धार्मिक भ्रष्टाचार दूर नहीं किया जाता.जब तक मजार पर चादर और मंदिर में प्रशाद चढाना जारी रहेगा भ्रष्टाचार दूर नहीं होगा.
जवाब देंहटाएंविजय माथुर साहेब, आप क्या कर रहे हैं : ज्योतिष आपका पेशा है :) क्या आप समझदार ग्राहक की उम्मीद रख सकते है - नहीं; - हाँ ब्राहमण होते तो समझ आता - की यही आपका पेशा है ....
जवाब देंहटाएंराजनीति ? का शौंक -
तो भैया ये सब नाटक ही लगेगा न.
baba ji bahut hi sarthak prastuti hai .badhai
जवाब देंहटाएंye desh ab balidaan maag raha hai......
जवाब देंहटाएंhanm sab tayaar hai .....
gandhi ke saath saath subhash chand bose ,azad aur bhagat singh ki bhee jarurat hai iee desh ko....
jai baba banaras.....
मज़ा आ गया होगा उन्हें तो जो कल तक भारतीय लोकतंत्र की क़स्में खाया करते थे
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें बाबा, आपको भी !
जवाब देंहटाएं@ विजय माथुर
जवाब देंहटाएं1. भ्रष्टाचार दूर करने के लिये चादर और मंदिर में प्रशाद हटाने की शर्त कुछ बचकानी जैसी नहीं लगती?
2. सोते हुए निर्दोष नागरिकों पर उन्हीं की चुनी हुई सरकार द्वारा आधी रात में आंसू गैस और लाठी चलाने के बारे में भी कुछ कहा जा सकता है क्या?
@दीपक जी: आपने बहुत सही लिखा है, बाकई जालियां वाला कांड हो ही गया होता|
जवाब देंहटाएंविजय माथुर जी: आपका ब्लॉग क्रांति स्वर मुझे बहुत अच्छा लगता है पर आपकी यह टिप्पणी बहुत ही घटिया है
kaun sahi kaun galat batanaa bahut mushkil hai .isi ladai main hi to desh ka satyaanaash ho raha hai vipaksgiyon ko naya mudda mil gayaa.siyaasi chaalen chalane lage.bahut saarthak lekh likha aapne.badhaai.
जवाब देंहटाएंplease visit my blog.thanks
ham aapki bahvnao ki kadr karte hain!
जवाब देंहटाएंsudnar aalkeh!
lekin main ya panktiyan gungunana chahunga
"E dil tujhe kasam hai, e dil tujhe kasam hai
tu himmat na haarna, is bhirasht vyavastha se
jaise bhi ladke hai gujaarna!
बहुत रोचक लिखा है ... व्यंग .. रोष आक्रोश ... सभी कुछ तो है ...
जवाब देंहटाएंएक बार फिर शिव त्रिनेत्र को,प्रलय रूप खुल जाने दो
जवाब देंहटाएंएक बार फिर महाकाल बन इन कुत्तों को तो मिटाने दो..
एक बार रघुपति राघव छोड़ , सावरकर को गाने दो...
एक बार फिर रामदेव को, दुर्वासा बन जाने दो...
"आशुतोष नाथ तिवारी"
काले धन को वापस लाने की मांग, और अनशन को दंगा फैलाने की कार्रवाई कहा जाता है। सोए हुए महिला और बच्चों के साथ निर्ममता से पीटा जाता है। जिस व्यक्ति से देश के चार मंत्री एक दिन पहले मिलने गए थे, उन्हें ठग कहा जाता है। भ्रष्टाचार और काला धन जनहित से जुड़े मुद्दे हैं, इस पर बात करना ठगी है ...!
जवाब देंहटाएंकहते हैं वो अपनी संन्यासीगिरी करें राजनीति उनका काम नहीं है। देश से प्रेम भी करना एक गुनाह है।
एक ओर बात-चीत का नाटक, दूसरी ओर पुलिस बल का आधी रात को प्रयोग ... नाटक कौन कर रहा है?
बाबा जी! बेशर्मों की जमात जब खुलकर बेशर्मी पर उतर आए और बेशर्म बयानबाजी करे, तो क्या बाकी रह जाता है.. अफ़सोस तो तब होता है जब तथाकथित बुद्धिजीवी लोंग भी वही जुबां बोलने लगते हैं!!धिक्कार है!!
जवाब देंहटाएंबाबा जी को भी क्या जरुरत थी साध्वी ऋतंभरा को मंच पर ले जाने के,क्या बाबा भोले हैं या बाबा भी नेता बन गये हैं,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बाबा रामदेव जी से बोलो-
जवाब देंहटाएंयह नहीं शांति की गुफा युद्ध है रन है
,तप नहीं आज केवल तलवार शरण है.
भई, दीपक जी मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। यह आपका व्यक्तिगत मामला लगता है। वे बाबा रामदेव और आप दीपक बाबा। एक पहले बाबा है और एक बाद में। लेकिन हैं दोनों। आप जानो और बाबा जाने.... मेरा मतलब बाबा रामदेव।
जवाब देंहटाएंदीपक जी
जवाब देंहटाएंसादर वंदे मातरम्!
हक़ीक़त यह है कि 4 जून की काली रात के बाद हम सबको सावधान और एकजुट हो जाना चाहिए ।
इस प्रकरण के संकेत से देश की यथास्थिति पहचानें …
आपकी-हम सब की औक़ात-हैसियत इस सरकार के आगे परखें ।
और कृपया , गंभीरतापूर्वक दायित्व-निर्वहन के प्रयत्न करें , तो अधिक जनहित की बात होगी …
# मसखरी में बात उड़ा देने का समय नहीं है …
विजय माथुर जी जैसे लोग अपने दलगत पूर्वाग्रह और कुंठाएं किसी साधारण दौर में ही अंज़ाम देने को रखलें तो बेहतर !
ख़ुद पर और अपने बच्चों पर आंच आने पर ही इस जैसे कांड पर ईमानदार हुआ जा सकता है -
सोते लोगों पर करे जो गोली बौछार !
छू’कर तुम औलाद को कहो- “भली सरकार”!!
और यह भी …
अब तक तो लादेन-इलियास
करते थे छुप-छुप कर वार !
सोए हुओं पर अश्रुगैस
डंडे और गोली बौछार !
बूढ़ों-मांओं-बच्चों पर
पागल कुत्ते पांच हज़ार !
सौ धिक्कार ! सौ धिक्कार !
ऐ दिल्ली वाली सरकार !
पूरी रचना के लिए उपरोक्त लिंक पर पधारिए…
आपका हार्दिक स्वागत है
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह भाई वाह !
जवाब देंहटाएंविश्वास मानिए इस दुखद घटना और परिस्थिति में जिस व्यंग्यात्मक लहजे में आपने आमजन की पीड़ा को अभिव्यक्ति दी है , अप्रतिम है |
ऐसे समय में लिखे गए लेखों में आपका यह लेख श्रेष्ठतम की श्रेणी में ही रखा जाने योग्य है |
बहुत बढ़िया प्रस्तुति...रोचक
जवाब देंहटाएं