


कलम, आज उनकी जय बोल
- रामधारी सिंह दिनकर
जो अगणित लघु दीप हमारे
तुफानों में एक किनारे
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल
पीकर जिनकी लाल शिखाएं
- रामधारी सिंह दिनकर
जो अगणित लघु दीप हमारे
तुफानों में एक किनारे
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल
पीकर जिनकी लाल शिखाएं
उगल रही लपट दिशाएं
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल
दोस्तों बधाई सवीकार करो ... 6०वे गणतंत्र की . दुनिया के सामने सर ऊँचा और सीना चोडा है . ये है हमारी ताकत .. देख लें और तोले लें. हिमत है तो बोले ... हमारी आर्मी, नोसेना, वायुसेना, हमारे अर्ध सैनिक बल, कोस्ट गार्ड , ..... इस दिन हमें अपना जलवा दिखाते है और भरोसा दिलाते है की रात की नींद सुख चैन से लिया करो, चिंता की कोई बात नहीं हम है न . हम तैनात है वहां जहाँ २४ घंटे और १२ महीने बर्फ परती है ... वहां जहाँ वायु में ऑक्सीजन कम हो जाती है . हम तैनात है बस इसलिए की आप सुरक्षित हो. हमारा हिमालय जो मुकुट के रूट मैं माता की शोभा बड़ा रहा है वेह सुरक्षित रहे. ये पवन भूमि, पावन ही रहे जहाँ गंगा जमुना जैसी पवित्र नदियाँ बहेती है . अयोध्या , कशी, मथुरा द्वारका जैसे पवित्र स्थान है सदा पावन ही रहे किसी मलेछ या अन्य अंतिकी से अपवित्र न हों. हमारे बच्चे सदा की तरह स्कूल जायें. हमारे बुजुर्ग सदा की तरह आराम से जाप करें. सकूं से रहे. माता के चरणों को धोता अथाह जल प्रवाह -- इसे ही धोता रहे ..
इसलिए ये जवान कायम है अपने वचन पर , अपनी बात पर अपनी ओकात पर ... सदा चोकस इनकी निगाहें ... दुश्मनों के मन में खोफ पैदा करती है ...
आओ शपथ लें की कभी कोई सैन्य बल में कार्यरत व्यक्ति कभी कोई मदद मांगे तो जान से बड़कर देंगे.. क्योंकि इनकी बदोलत ही हम और हमारा अस्तित्व है .
एक राष्ट्रीय कवि की कविता प्रस्तुत है :
एक राष्ट्रीय कवि की कविता प्रस्तुत है :
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी
अराति सैन्य सिंधु में, सुबाड़वाग्नि से जलो
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो
स्वयंप्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी
अराति सैन्य सिंधु में, सुबाड़वाग्नि से जलो
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो
बहुत सुंदर..............गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंSundar prastuti..chitr bhi bahut achchey lagey.
जवाब देंहटाएंabhaar
'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा, हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा '.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं
regent751
जवाब देंहटाएंragout678
rage672
steed5241
road6333