14 दिस॰ 2010

प्रपंच कथा......... तुम्हारा जीवन 90% व्यर्थ है

    एक महान लोकतान्त्रिक देश का सरदार एक बार वाराणसी जाता है. गंगा किनारे सामने दुसरे किनारे को देख उसका मन ललचा जाता है – कि वहाँ क्या होगा ? इस पर एक मल्लाह से नाव का किराया तय कर के उस में बैठ जाता है..... और नाव चल पड़ती है गंगा जी के पार.
    देश का सरदार बहुत ही पढ़ा लिखा विद्वान – विद्या के दंभ में चूर – वाला व्यक्ति है. मल्लाह अनपढ़ सा दीखता है...... अत: उसे चिढाने के लिए वो कहता है, क्या तुम्हे अर्थशास्त्र मालूम है
मल्लाह उत्तर देता है, नहीं मालूम.
वो विद्वान सरदार पूछता है, जिस देश का सोना तक बिकने जा रहा हो, क्या तुम उस देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकते हो..... उस देश को भंवर से निकाल सकते हो.
नहीं सरकार, मल्लाह उत्तर देता है.
क्या तुम्हे विश्व बैंक से पेंशन आती है......... इस देश की मुफ्त में सेवा कर सकते हो....
मल्लाह उत्तर देता है, मालिक आप मुफ्त की बात कर रहे हैं, यहाँ तो अगर नदी पार करने की मजदूरी से अलायादा कुछ पैसे (टिप्स) मिलती है तो जाकर महुवा की दारू पीते हैं.... मुफ्त की सेवा कहाँ करेंगे सरकार.
तो तुम्हारा जीवन 90% व्यर्थ है.......... विद्वान सरदार दंभ में हुंकार भरता है.


अचान्चक, नदी में तूफ़ान आता है, और नाव भंवर में फंस जाती है,  मल्लाह खूब महनत करता है कि नाव को भंवर में निकाल लाये .....
लोकतान्त्रिक देश का सरदार असहाय दृष्टी से उसकी और देखता है,  तो मल्लाह पूछता है, क्या सरकार को तैरना आता है,
नहीं,
तो आपका 100% जीवन व्यर्थ है.

यही सत्य है न, अगर आप एक लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सकते,  जब नेता विपक्ष सदन में दहाड़ रहा होता है, आपमें इतना दम नहीं कि उनका सामना कर लें ....... आप विदेश दौरे पर चले जाते हो, आपके मंत्री अपने मन की मर्ज़ी से फैसले लेते हैं और आपकी चिट्ठी का जवाब तक देना अपेक्षित नहीं समझते और फिर भी आपको गुमान होता है – अपनी सरदारी पर................


12 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ..क्या व्यंग किया है ....सच प्रपंच ही है ...

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  2. झींगा लाला हुम!झींगा लाला हुम!झींगा लाला हुम!
    .
    ये भी कबीले के सरदार का गाना है! अच्छा प्रपंचतन्त्र बिखेर रहे हो बाबा जी!! ध्यान रहे कहीं लोग सुधर न जाएँ!!

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  3. वाह बहुत सटीक व्‍यंग्‍य लिखा है अपने सरदार जी पर। बधाई।

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  4. बाबा जी प्रणाम,
    अनुपस्थिति के लिए माफी,
    सरदार जी की बढिया खिचाई की है।

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  5. बाबा जी सरदार जी की एक मैडम भी है , वो तो सिर्फ मुखौटे है. कभी एक नज़र उनपर भी डालिए... वैसे १०० % आप की पोस्ट सच्चाई बयां करती हुई.............

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  6. बड्डे लोगों की बड्डी बातें हैं जी।
    गुमान का क्या है जी, किसी चीज पर कर लो:)

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  7. देश का सरदार बहुत ही पढ़ा लिखा विद्वान – विद्या के दंभ में चूर – वाला व्यक्ति है. मल्लाह अनपढ़ सा दीखता है...... अत: उसे चिढाने के लिए वो कहता है, “क्या तुम्हे अर्थशास्त्र मालूम है”
    मल्लाह उत्तर देता है, नहीं मालूम.
    यही सत्य है न, अगर आप एक लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सकते, जब नेता विपक्ष सदन में दहाड़ रहा होता है, आपमें इतना दम नहीं कि उनका सामना कर लें ....... आप विदेश दौरे पर चले जाते हो, आपके मंत्री अपने मन की मर्ज़ी से फैसले लेते हैं और आपकी चिट्ठी का जवाब तक देना अपेक्षित नहीं समझते और फिर भी आपको गुमान होता है – अपनी सरदारी पर................

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  8. खूब लिखा है दीपक जी..

    बहुत दिनों बाद आया, माफ़ी चाहता हूँ

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  9. इस बार के चर्चा मंच पर आपके लिये कुछ विशेष
    आकर्षण है तो एक बार आइये जरूर और देखिये
    क्या आपको ये आकर्षण बांध पाया ……………
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (20/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  10. अच्छा व्यंग्य - अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.