एक अरब से ऊपर लोग......
अरुणोदय से ले कर कन्याकुंवारी.........
तिरंगे का वजूद बढता रहे...
संसद में ‘निरीह’ सांसदों को बचाते....
बन्दूक ताने वो .....
बचाते रहे इनको ......
गोली दागते रहे उनपर - मरते दम तक
जब गाँव में मिटटी पहुंचे तो...
तिरंगे में लिपटा हो.....
गाँव धन्य हो जाय........
मुख्यमंत्री जी के आने से...
विधायक की सलामी से......
तिरंगे का वजूद बढता रहे...
केस स्पेशल है, .. कोर्ट स्पेशल है...
ऑर्डर स्पेशल है... सेल स्पेशल है.....
फ़ाइल दब गई है - खबर दब गई है,
महाघोटालों के बोझ तले
वो खाता है बिरयानी......
नायक का दर्ज़ा है उस देश में...
कुछ भी नहीं होगा, यहाँ, इस सोफ्ट स्टेट में....
गाजी बने या नहीं, पर यहाँ से अच्छे रहोगे....
ये बम ले जा कर फोड़ दो
उनको मुबारक हो- तिरंगे के हरे रंग से प्रेम,
तुम बम फोड़ते रहो....
और पूर्ववर्ती की तरह.
बिरयानी उड़ाते रहो..
लोग शहीद होते रहे, और
तिरंगे का वजूद बढता रहे...
ऊँची कुर्सी पर बैठ कर ....
वह न्याय का हथोड़ा बजाता है.....
अपने नातेदारों को ...
और अधिक धनाढ्य बनाता है......
उसके बाद मानवाधिकारवादी बन
रिश्तों को निभाता है..
उस पर भी तो
तिरंगे का वजूद बढता रहे...
एक दूर देश की नारी.....
अबला विधवा बेचारी...
आती है यहाँ जाहिलों के देश में.
काहिलों के बीच राज करने को,
१२५ साल पुराने पापों को ढोने को,
नए पाप चमकाने को,
ताकि, तिरंगे का वजूद बढता रहे...
उस पार से आते ५०० के नोट
मेहनताना है बस पत्थर फैंकने का ...
और वो जो बचे हुए... नहीं फैंकते पत्थर ...
मांगते फिरते हैं भीख..
राजधानी की सड़कों पर
वो गुलाबी गालों वाली कलियाँ अब....
नहीं चहकती...
लरजते हैं कलेजे...
कापतें है पहाड़.....
व्यथित हैं सुधिजन...
पर, तिरंगे का वजूद बढता रहे...
दीपक बाबा,
जवाब देंहटाएंये आपकी बक-बक नहीं है, यह ठक-ठक है हथौड़े की… उस हथौड़े की, जो मौका देख रहा है कि कब उसे "उचित" सर मिले फ़ोड़ने को…
jai baba ji ki
जवाब देंहटाएंकेस स्पेशल है, .. कोर्ट स्पेशल है...
ऑर्डर स्पेशल है... सेल स्पेशल है.....
फ़ाइल दब गई है - खबर दब गई है,
jai baba ji ki
महाघोटालों के बोझ तले
वो खाता है बिरयानी......
नायक का दर्ज़ा है उस देश में...
कुछ भी नहीं होगा, यहाँ, इस सोफ्ट स्टेट में....
गाजी बने या नहीं, पर यहाँ से अच्छे रहोगे....
ये बम ले जा कर फोड़ दो
उनको मुबारक हो- तिरंगे के हरे रंग से प्रेम,
jai baba ji ki
बाबा जी
जवाब देंहटाएंयही तो विडम्बना है मेरे देश की,
अब लटठ उठाने के समय आ गया है
और कब तक सहन करेंगें
Deepak Baba : making of Baba Nagarjun
जवाब देंहटाएंदीपक जी , बहुत अच्छी कविता... बिल्कुल यथा स्थिति बयाँ करती हुई देश की...........
जवाब देंहटाएंक्या कहें?
जवाब देंहटाएंबढ़ ही रहा है तिरंगे का वजूद शायद, जब कश्मीर का मुख्यमंत्री कहता है कि लाल चौक पर तिरंगा फ़हराने देकर शांति भंग नहीं होने दी जायेगी।
दीपक जी , बहुत अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंjay-hind vande-maatram
बडा सटीक निशाना लगाया है।
जवाब देंहटाएंएक दूर देश की नारी.....
जवाब देंहटाएंअबला विधवा बेचारी...
आती है यहाँ जाहिलों के देश में.
काहिलों के बीच राज करने को,
१२५ साल पुराने पापों को ढोने को,
नए पाप चमकाने को,
ताकि, तिरंगे का वजूद बढता रहे...
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना...कमाल की रचना है...
नीरज
बहुत प्यारा है आपकी चाह। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं---------
पति को वश में करने का उपाय।
मन को आंदोलित करती हुई रचना...
जवाब देंहटाएंव्यथित कर गयी.
वो गुलाबी गालों वाली कलियाँ अब....
जवाब देंहटाएंनहीं चहकती...
लरजते हैं कलेजे...
कापतें है पहाड़.....
व्यथित हैं सुधिजन..
झकझोरती रचना और फिर यह मार्मिकता भी
बाबा जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंकहँा हो इतने दिन से, तबियत तो ठीक हैं
क्या बात है दीपक जी ....ये नारी अबला बेचारी क्यों .....?
जवाब देंहटाएंऊँची कुर्सी पर बैठ कर ....
जवाब देंहटाएंवह न्याय का हथोड़ा बजाता है.....
अपने नातेदारों को ...
और अधिक धनाढ्य बनाता है......
उसके बाद मानवाधिकारवादी बन
रिश्तों को निभाता है..
बहुत करारा व्यंग है दीपक जी जी ... आज की राजनीति को खोल के रख दिया हैआपने ... लाजवाब ..
भारत की आँखों का तारा
जवाब देंहटाएंगंगोजमन का राज-दुलारा
कोटि कोटि कंठों का नारा
गूँजे दूर वितान से
लाल चौक पर अमर तिरंगा
यों लहराए शान से..........
जो प्रबुद्ध हैं जो सत्वर हैं
आगे बढ़ने को तत्पर हैं
जो विकास के निश्चित स्वर हैं
फैलें नए विहान से
लाल चौक पर अमर तिरंगा
यों लहराए शान से........
हाथ मिले पनपे विश्वास
दूर दृष्टि नियमित अभ्यास
प्रगति लक्ष्य का सतत प्रयास
ठहरें नहीं विराम से
लाल चौक पर अमर तिरंगा
यों लहराए शान से............
पर्वत नदियाँ पार करें हम
बनकर पारावार चलें हम
बादल बिजली आँधी पानी
डर कैसा तूफ़ान से
लाल चौक पर अमर तिरंगा
यों लहराए शान से..
गणतंत्र-दिवस के अवसर पर मंगलकामनाएं स्वीकार कीजिए। आम आदमी के हित में आपका योगदान महत्वपूर्ण है। जीवन की विडंबनाओं को उकेरने वाली भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएं=======================
मुन्नियाँ देश की लक्ष्मीबाई बने,
डांस करके नशीला न बदनाम हों।
मुन्ना भाई करें ’बोस’ का अनुगमन-
देश-हित में प्रभावी ये पैगाम हों॥
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सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी