गण का तंत्र हूँ या फिर तंत्र का गण हूँ, पर सलाम कबूल फरमाइए और ये प्रशन भी, क्यों कि आज इस तंत्र की या फिर कहें गणतंत्र की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर भी इसका जवाब नहीं मिल पा रहा. या कहें कोई भी फैसला नहीं कर पा रहा कि वो इस तंत्र का गण है या फिर खुद ही तंत्र है.... इसका जवाब विकिपीडिया भी नहीं देता. सब मौन हैं – और ये मौन जो सन्नाटा उपजता है वो कई अर्थों में स्वयं गणतंत्र की अंतरध्वनि को झंझकोरता है. उत्देलित करता है.
एक जिम्मेवार सरकार का जिम्मेवार नुमाईंदा आज कह रहा है कि इस देश में कालाधन रखने वाले लोगों के नाम बताने के लिए सरकार जिम्मेवार नहीं है..... शायद उन लोगों के नाम छिपाने के लिए सरकार बाध्य है... कालाधन रखने वाले लोगों के नाम गुप्त के लिए कानून है और उजागर करने के लिए कानून बनाया जाएगा या फिर कालाधन के उन्मूलन के कानून बनाया जाएगा? - ये भी प्रश्न उस प्रकार खड़े हो जाते हैं जैसे कि गण और तंत्र के रिश्तों के.
आज इस महान राष्ट्र में इन्हीं तानो बानो से उलझे एक राष्ट्रिय त्यौहार की पूर्व संध्या पर एक एडिशनल कलेक्टर को सरे आम जला दिया जाता है. उस एडीएम का कसूर सिर्फ इतना था कि वो पैट्रोल में कैरोसिन की मिलावट रोक रहा था. कितना बड़ा गुनाह कर रहा था. इस देश में ऐसे ईमानदार लोगों की रही सजा है. चाहे उसके बाद उसके परिवार को २५ लाख रुपे दे दो.
उधर वो पगले लाल चौक पर तिरंगा फिराने की युक्त भिड़ा रहे हैं..... उन्हें ये नहीं मालूम कि वो जगह मात्र अलगाववादियों के लिए सुरक्षित है आरक्षित है..... वहाँ पकिस्तान का झंडा फिराया जा सकता है..... बिना किसी अड़चन के.... वहाँ से एक गृहमंत्री की बिटिया अपहृत की जा सकती है..... तब कोई कुछ नहीं बोलता... आज तिरंगे के नाम पर पुरे देश में तूफ़ान मचा है..... जैसे कोई गुनाह हो रहा हो...... गृहमंत्री से लेकर प्रधान मंत्री सभी परेशान है..... बरसों पुरानी धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दी जा रही है...... और कुछ इस तरह कहा जा रहा है मनो ..... अभी तो बच्चों (उग्रवादिओं) को समझा बुझा कर सुलाया (बहलाया) है फिर जाग गए तो आंतक बरपा देंगे....
गण परेशान हैं, वो देखो
वो देखिये, वो सरदार जी, जो इस तंत्र का एक हिस्सा हैं या फिर कहें गण हैं, (अभी तक प्रश्न अनुतरित हैं) बदहाल .... कदम डगमगा रहे हैं, पगड़ी .... पीछे १५ फूट तक चली आ रही है, और दोनों हाथों से उसे संवारते है डगमगाते हैं........ बुदबुदाते हैं....... यार एस सरदार ने साडा ना मिटटी विच मिला दित्ता...... खैर छोडिये इनको.. पहले तो ये शराबी है, दूसरे कसूरवार है समाज के और क़ानून के (सार्वजनिक जगह पर मदपान करना गैरकानूनी है) इसकी बात पर क्या भरोसा करें...... हम भरोसा करते हैं डी टी सी की टाटा वाली ग्रीन बस के कंडक्टर का....... “भाई साब आप खाम्खावाह महंगाई का रोना रो रहे हैं..... अगर प्याज ७० रुपे किलो मिल रहे हैं तो जरूरी है खाना ....... मेरी तरह मटर की चटट्नी बना के खा लो...... ये देखो (वो अपना टिफिन निकलता है उसमे एक छोटी सी डिबिया में हरे रंग की चटट्नी है) कुछ अभी दोपहर को रोटी के साथ खाऊंगा और बाकि रात को” कहाँ है मंहगाई. ये भी तंत्र के गण हैं.
कल जब शान से हमारे सेना अर्धसैनिक बलों और के जवान सीना चौड़ा कर के राजपथ पर सलामी देंगे तो हो सकता है कुछ देर के लिए ये सभी गम भुला दिए जाएँ..... अत: रात को ही ये पोस्ट लिखी जा रही है.
आप किस तरह के गण है इस तंत्र के? या फिर गण के लिए कैसा तंत्र रचा जा रहा है? जब तक इन प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलेंगे तब तक ये गणतंत्र अधूरा है.
बहुत दिन बाद आज आना हुवा, सर्वाइकल हो गया है पर दर्द २-३ दिन से नहीं है. डाक्टर ने कम्प्युटर पर ज्यादा बैठने को मना किया ...... पर दिल है के मानता नहीं.
बहरहाल जय राम जी की.
याद ही कर रहा था दीपक बाबू.. आपकी बकबक सुने बग़ैर दिन कैसे गुज़रे हैं क्या बताऊँ...
जवाब देंहटाएंवैसे इस GUN-तंत्र के युग में गणतंत्र की बातें!! कुछ अजिब सा लगता है!!
आप आराम करें!! और अपना ख़्याल रखें!!
सही क्लास ली है बाबाजी, गण के तंत्र की और तंत्र के गण की भी। मस्त लिखा है हमेशा की तरह।
जवाब देंहटाएंइलाज कराओ यार अच्छे से, ब्लागिंग व्लागिंग तो होती रहेगी। डाटकर ने क्म्पूटर पर बैठने से मना किया है तो कुर्सी पर बैठ जाओ यार, इत्ता क्यों सोचते हो? और जो स्साला मान ही जाये वो और कुछ बेशक हो जाये, दिल नहीं हो सकता:))
अपना ध्यान रखो दोस्त।
बाबा जी, आज के हिसाब से बहुत ही फालतू सवाल लेकर घूम रहे हो इसलिए तो जबाब नहीं मिल रहा......... जबाब देगा कौन , जबाब देने वालों ने गण को तंत्र से अलग करके अपना तंत्र बना लिया है. बहुत ही विचारणीय पोस्ट........... जल्द से स्वस्थ होकर आये, आपकी कमी खल रही थी
जवाब देंहटाएंमै तो आपका बहुत दिन से इंतजार कर रहा था,
जवाब देंहटाएंईश्वर आपको जल्दी स्वाथ्य लाभ दे
शुभकामनाये
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....
जवाब देंहटाएं---------
हिन्दी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले ब्लॉग।
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें.....
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक लेख ...यह सब जान कर पढ़ कर शर्म आती है कि क्या हो रहा है देश में ...
जवाब देंहटाएंफिर भी --
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
दौलत के लिये मिला नेताओ को मन्त्र है
जवाब देंहटाएंआम जनता भूखी यही तो गणतन्त्र है
फिर भी--- गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें ।
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ... जय हिंद
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...
जवाब देंहटाएंjai baba banaras jai haind
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुती
बाबा जी कृप्या यहाँ ध्यान दे
जवाब देंहटाएंhttp://purviya.blogspot.com/2011/01/gun.html
जिस सवाल का जवाब बड़े विद्वान लोग नहीं दे सके तो मै क्या दू | वही काम कीजिये जो अपने सरदार जी करते है है समस्या के लिए एक मंत्रियो की कमिटी बना दीजिये जी इस सवाल का जवाब खोज कर आप को देगी कुछ देर होगी पर कभी ना कभी तो देगी ही |
जवाब देंहटाएंआप की बीमारी का एक ही इलाज है फिजियो थेरेपिस्ट से पूछ कर ३६५ दिन कसरत की जाये | ३६५ दिन का लक्ष्य ले कर चलिये २०० दिन भी कर लिया तो समस्या बार बार परेशान नहीं करेगी |
राष्ट्रिय आपदा हैं इस देश के भ्रष्ट मंत्री,सांसद,विधायक,न्यायिक अधिकारी,पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी तथा इनके द्वारा पैदा किये गए तेल,बिल्डर,शिक्षा,ड्रग्स,सत्ता के दलाल और अपराध माफिया......इनके खिलाप सरकारी खर्चे पे आम जनता द्वारा जनयुद्ध चलाने की जरूरत है.......भ्रष्टाचार को राष्ट्रिय आपदा घोषित किया जाना चाहिए.......शर्मनाक स्तर के सभी भ्रष्टाचारी इंसान नहीं जानवर हैं......
जवाब देंहटाएं30 जनवरी 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में 1 बजे दोपहर (नई दिल्ली रेलवे स्टेसन के बगल में NDMC के सिविक सेंटर के बगल वाला रामलीला मैदान) में भ्रष्टाचार के खिलाप जनयुद्ध में जरूर शामिल होइए ....ये पूरी तरह नागरिकों द्वारा प्रायोजित जनयुद्ध है.......
अक्सर ...तो पाते है वही ; देते* है जैसा लोग,
जवाब देंहटाएंइस वास्ते तो इसका 'RE-PUBLIC' नाम है,
निर्भर हुए है खुद पे; ख़ुशी की तो बात है, .
अपने ही हाथो से हमें मिलता 'इनाम' है.
*[कमेंट्स, मत, प्रेम, योगदान]
-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com
सही मुद्दे उठाये हैं आपने दीपक जी .....
जवाब देंहटाएंपैट्रोल में कैरोसिन की मिलावट रोक ने पर एडीएम को जला देना प्रजातंत्र की धज्जियां उडाता है ....
न किसी का दर न खौफ
और उधर तिरंगा फहराने की बात को क्यों राका गया ..मेरी समझ में नहीं आया ....
जब दिलों में ज़ज्बा हो और उसे यूँ रोक दिया जाये तो ये ज़ज्बे खत्म हो जाते हैं ....
और अपना ख्याल रखिये ...
देर से ही सही पोस्ट डालते रहे ....
Nice blog and good information shared here.
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