6 अप्रैल 2011

अंतहीन कहानी: ये तो न्यू ही चालेगी’

हर कहानी का कोई अंत हो ये जरूरी नहीं,
कहानियां अंतहीन भी तो हो सकती हैं,
रेल लाईन की पटरी की तरह,
जो एक छोर पर खत्म होने से पहले
दुसरी अनुगामी के साथ मिल जाती है,
और उस पटरी को अपनी अधुरी ख्वाहिशे देकर
खुद उसी जगह रूक जाती है।
हां रेल की पटरियां अंतहीन ही तो होती हैं

हर कहानी का कोई अंत हो ये जरुरी नहीं,

पर कहानी में अचानक बदलाव होते है...
जो नाटकीय  कहे जाते हैं.

ये ठीक उसी प्रकार है -
जैसे राजसत्ता की अंतहीन भ्रष्टाचार गाथाएं
ये आज शोर्य गाथाओं का स्थान ले चुकी है,
राजसत्ता में सामंतों के छिन्न भिन्न अंग,
उनके शौर्य की कथा उनके जख्म खुद कहते थे और
आज के सामंतों का छिन्न-भिन्न जमीर
किसी स्पॉ और पार्लर में रगड़े गये चेहरे.....
उनके भ्रष्टाचार की कहानी खुद ब्यान करती हैं
ये देश, काल  के हिसाब से बदलते है
जैसे  विधायकों की निष्ठाएं बदलती हैं...
और अचानक ही राजसत्ता बदलती है....

कहानी में सूत्रधार भी होता है, और
कभी बंद कमरे में रहने वाले भी तो
बाद में सत्ताधीश बनकर
सत्ता के सूत्र  अपने हाथों से नचाते है....
कहानी चलती रहती है....
मनो  कठपुतलियां नाचती हैं....
बच्चे ताली बाजाते हैं..... और
प्रबुद्ध शिक्षक कुर्सी पर विराजे .... पान मुंह में संमेटे
कठपुतलीचालक की निपुणता की बात करते हैं....
ऐसे ही ठीक न्यूजरूम में कैमरे के सामने.....
समीक्षाएं/विवेचनाएं खूब होती है....
पात्र बदल जाते है ... और पाठक भी... लेखक भी
खानदानों की तरह.....
पर खत्म नहीं होते...
कहानी सदा ही अंतहीन होती है....
खत्म होते होते एक नई कथा का बीज बो जाती है...

यूं ही घोटाले चलते रहते हैं....
अंतहीन..
एक छोटा-सा घोटाला ही...
इक महाघोटाले को जन्म देता है....
यही महाघोटाले जब टक्कर देने लगते हैं सत्ता को
और सत्ता डगमगाती है.... पनाह मांगती है..
घोटालों के बल.... भ्रष्टाचार सशक्त होता है
अट्टहास करता है...... सत्ता गिड़गिड़ाती है...
न्याय की वेदी पर...
जांच अधिकारी की पैनी कलम को
घोटाले के पैसे से वकील भौथरी करता है।
डेट बदलती रहती है..... राजकाज चलता रहता है
कहानी है....... चलती रहती है...

ब्लू लाईन के पीछे लिखा
‘ये तो न्यू ही चालेगी’
शाश्वत लगता है।

24 टिप्‍पणियां:

  1. ब्ल्यू लाइन के पिछवाड़े लिकी सचाई से ऊबकर सरकार ने पिछवाड़े लात मारकर भगा दिया सडकों से उनको.. कमबख्त सच बोलती है!! जा भाग यहाँ से!

    जवाब देंहटाएं
  2. भाई पूरी दुनिया ही न्यू चाल री है...चिंता छोड़ दे रे चिंता मणि..

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह क्या जोरदार , यथार्थ अभिव्यक्ति है ...
    सारी बातें खरी-खरी .....
    भ्रष्टाचार का काकस .....आम आदमी की मजबूरी

    जवाब देंहटाएं
  4. baba yeh kiya likh raho .....

    yeh bharat hai yaha gugad chalta hai .....

    gugad hai aap ke pass satta main jane ka .....

    jai baba banaras......

    जवाब देंहटाएं
  5. ये तो नूं ही चलेगी

    बढ़िया,, बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं
  6. ठीक कहते हैं बाबा.. यह तो न्युही चालेगी..

    जवाब देंहटाएं
  7. ठीक कहते हैं बाबा.. यह तो न्युही चालेगी..

    जवाब देंहटाएं
  8. पूरी की पूरी एअरलाइन खरीद लीं राजनीति के ठलुओं ने, कोई पूछता तक नहीं कि लला कहां से नोट छाप लाए..

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रचलित ढोंग पाखण्ड संस्कृति ही है भ्रष्टाचार की जनक ,पहले उसे खत्म करना होगा तभी यह खत्म होगा.

    जवाब देंहटाएं
  10. अंतहीन कहानी के माध्यम से बहुत गहरी बात कह गए हैं आप.. और कविता तो अंतिम पंक्तियों में है... रेल की पटरियों का विम्ब बढ़िया और प्रभावशाली बन पड़ा है... सिस्टम पर प्रभाव करती कविता सार्थक बन पड़ी है..

    जवाब देंहटाएं
  11. दीपक जी इतनी जल्दी जल्दी पोस्टें .....
    आप तो साँस भी नहीं ले रहे ...?
    पापा आउट , नव सम्वत , अन्ना हजारे और अब ये अंतहीन कहानी ....
    गुरु जी धन्य हैं आप तो ....!!

    जवाब देंहटाएं
  12. घोटालों का अंत... तुरंत.
    साथी हाथ बढाना...

    जवाब देंहटाएं
  13. दीपक जी...
    हर कहानी का क्लाइमेक्स होता है..
    अतिशय रगड़ करे जो कोई
    अनल प्रकट चन्दन पे होए..

    पहले लिखा होता ये कृति..देखिये व्योस्था परिवर्तन शुरू हो गया जंतर मंतर से..
    जय हिंद

    जवाब देंहटाएं
  14. न्यूंए चालन देयो बाबाजी पोस्ट दर पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं
  15. प्रिय बंधुवर दीपक जी
    सादर सस्नेह अभिवादन !

    आपकी बक बक … ऽऽऽम्मेरा मतलब रचना दमदार लगी ये तो न्यू ही चालेगी
    और चलती भी रहनी चाहिए … :)

    आपके अंदाज़ निराले हैं … अच्छी भली प्रविष्टियों के लिए कह रहे हैं -
    कब से बक बक कर रहा हूँ........ :)

    अधिक पसंद की जाने वाली पोस्ट्स के लिए -
    वो बक बक ..... जो दिल को छू गई :)

    और तो और , ब्लॉगरोल में साथी ब्लॉगर्स के लिए भी लिख दिया -
    इनकी बक बक भी पसंद आती है....... :(
    शुक्र है हम नहीं हैं आपकी ब्लॉग सूची में… :)

    वैशाखी और महावीर जयंती की शुभकामनाएं !
    साथ ही
    * श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत बढ़िया लिखा है..अच्छा लगा पढ़कर...

    जवाब देंहटाएं
  17. सच्चाई बयाँ करती हुई सुन्दर प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  18. भूत में भी 'न्यू' ही चलते देखा, वर्तमान में भी 'न्यू' ही चल रही है. भविष्य की बात तो आप जैसे बाबा ही बता सकते हैं

    जवाब देंहटाएं
  19. Jo aakarshan chalne me hai vo gantavy me nahi...sundar post...shubhkamna....

    जवाब देंहटाएं

बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.