“मौत” शब्द सुनते ही कई बार शरीर में झुनझुनी सी लहर जाती है. और कहीं हंसी ठहाकों के बीच मौत शब्द का उच्चारण भी अगर कर लिया जाये तो महफ़िल एक दम संजीदा हो उठती है. पर अपने अस्सी का क्या किया जाए... काशी सिंह के नहीं. तिहाड गाँव में झीलवाले पार्क में लगने वाली सुबह की महफ़िल की बात कर रहा हूँ. जहाँ नजदीक ही शमशान घाट है. और मौत, फट्टा, चादर, घाट नो. ३६ जैसे शब्दों का प्रयोग ऐसे किया जाता मानो फन सिनेमा में लगी किसी फिल्म का.
सायं को जब पैसे मिला कर दारू
के व्यवस्था तो हो गयी, पर जब शीतल जल खरीदने की बारी आई तो मितर बोला, खाम्खावाह
पैसे खराब करने वाली बात है. शमशान में से ही चिल्ड वाटर भर लाते है. रात के ८ बजे
. तो क्या- सब तो जल गए – उठ थोड़े जायेंगे. हम कौन सा सेब आम लीची उठाने जा रहे
हैं (चौथे कर्म निमित रखे गए फल एवं मिठाई) J और उठ भी गए तो क्या, दो पेग वो भी ले लेगा.
और सुबह ..
मितर एक बात बताऊं, जब तुम
मरोगे तो मैं सुंदर सी चादर कम से कम ग्यारह सौ वाली तुम्हारे पर चढाऊंगा. सच्ची, हाँ
मितर... दुनिया भी याद करेगी, कि यारी सी यारां दी.
पर मितर क्या करे आदत से
मजबूर, पूरा दिन जुआ खेलने में निकल गया और किस्मत तो शुरू से ही पाण्डुओं वाली,
शाम तक खाली हाथ. पुरे दिन की मेहनत और हार के गम को सहन करने के लिए फिर से एक
हरे गांधी की दरकार हो उठी, कहीं कोई रास्ता नहीं सूझा तो, देर रात मितर के दरवाजे
पर ही आस ले पहुंचे,
दूसरा:
यार मेरी शुगर २२० पहुँच
गयी है, ७० साल के सिंह साहेब ने कहा, ये कंजरखाना (दारू-मुर्गे की पार्टी) बंद
करना पड़ेगा. नहीं, यार. शुगर की गोली आती है – वो शुरू कर दो. उससे क्या होगा.
मेरे यार
का फ्लेट खाली है, बच्चे बाहर गए है, आज का कन्जरखाना वहीँ. रोयल स्टेग की बोतल मेरी
तरफ से.
यारों तुम मुझे मार के ही
मानोगे. और मेरी मैय्यत पर शामिल होने भी नहीं आओगे. तुम्हे तो पता भी १०-१५ दिन
बाद लगेगा.
नहीं सिंह साब, कैसी बातें
करते हैं हर कंजरखाने सजाने के बाद अगले दिन आपका हाल पूछने आयेगे, और गर मर गए तो
एक चादर पार्क के कंजरखाने वाली पार्टी की तरफ से आपके शववाहन पर चढाएंगे. आप
चिंता मत कीजिए – बस शाम को ही शुरुआत कीजिए.
रहने दो, कल लोग तुम लोग मेरी
चादर के कंट्रीबुशन के लिए फिर से लड़ाई झगडा करोगे, रहने दो.
कैसी बातें करते हैं सिंह
साब, जब तक आपके रिश्तेदार पहुंचेगे तब तक तो हम चादर के लिए कंट्रीब्यूट कर चुके
होंगे,
अरे छोडो, सब पुराने के
पुराने कंजर हो जानता हूँ,
अरे नहीं सिंह साब, गर देर
भी हो गयी तो ३-४ बंदे आपके घर वालों को रोकेंगे, और २-३ लोग यहीं से (शमशान की
तरफ इशारा करते हुए) यूज की हुई चादर और नारियल उठा लायेंगे, यार यही तो सब जाकर
दुबारा मार्किट में बिक जाते हैं.
ठीक है फिर शामी कित्थे
मिलना है ते केडे टेम. रिंग करना, हूँन चलदा हाँ.
जी ये जिंदादिल लोग ठहाकों
के बीच अपना रिटायर्ड जीवन व्यतीत रहे हैं....
तय कीजिए ६० साल के जवान या बूढ़े.
जय राम जी की.
क्या क्या सुनते रहते हो बाबा ....
जवाब देंहटाएंसक्सेना साब, पालिश किये हुए चेहरे या फिर पालिश की हुई चाशनी बिखेरती बातों से आगे भी है जिंदगी .....
हटाएं'लाईट ले यार'
सच यही है ...
हटाएंउस कमेन्ट को भी लाईट लो यार !:)
साब कौन है ..??
हटाएंउस ब्लॉग का क्या हुआ : हमें तो भूलता नहीं, 'लाईट ले यार'
हटाएंकभी कभी बन जाया करो भाई ........ साब में बुरा क्या है.
...पार्क में खुल्ला और बिंदास बातें होती हैं !
जवाब देंहटाएंबाबाजी, रिटायरमेंट का अपना टारगेट पचास का है, मोहलत मिली तो| फिर हम भी ऐसी ही किसी पार्किया महफ़िल को गुलजार करेंगे:)
जवाब देंहटाएंसंजय बाऊ मानसिक रूप से तो हम अभी से रिटायर हो चुके है, और इस पार्किया महफिल को गुलज़ार करने का साहस तो है नहीं, पर कौतुकभरे निगाह से देखते रहते हैं.
हटाएंसाठा सो पाठा
जवाब देंहटाएंयानि जवानी किसी उम्र का मोहताज़ नहीं...
जवाब देंहटाएंमित्तर मेरे, इक बारी मेनू वी शमशान ते कंजर खाने दा भूत लभ गया सीगा, ओन्ने इक पव्वे दा खर्चा दे के पिंड छुड़ाया..........हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंसस्ते विच छड दिया यार .
हटाएंमजा आ गया पढ़ के, ये तो ब्लॉगर ही है जो शमशान से भी पोस्ट निकल लाते हैं, हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंइन ज़िन्दादिल लोगों से मिलकर लगा कि ज़िन्दगी जीने की कला हमें आती ही नहीं।
जवाब देंहटाएंवाह!
जी कई बार लगता है,...... ओर कोशिश है, लाइफ आफ लीविंग की... बिना किसी झंझट के .
हटाएंसोरी आर्ट ओफ लिविंग की...
हटाएंआभार रविकर .
जवाब देंहटाएंजिंदगी जिंदादिली का नाम है..
जवाब देंहटाएंअनुभव जीवन और मृत्यु दोनो को सहजता से लेना सिखा देते है.
जवाब देंहटाएंमृत्यु का डर तभी तक है जब तक इससे डरा जाए. आपने बढ़िया लिखा है.
जवाब देंहटाएंwah se aah tak baba ji ka lekhan hame pasand hai ....
जवाब देंहटाएंham to maut se bhee jindagee nikal lete hai bas baba ji ka saath ho..
jai baba banaras...
रिटायर मेंट के बाद समय काटने लगता है , तो गप्प सप्प जरुरी है पार्क में सुन्दर
जवाब देंहटाएंएक बार जीवन के अधिकांश उत्तरदायित्व खत्म हो जाएँ तो फिर जीवन को कसकर पकड़ने की बजाए थोड़ा हल्के से पकड़ा व लिया जा सकता है। मुझे तो लगता है कि 'आर्ट औफ़ लिविंग' आए ना आए 'आर्ट औफ़ लीविंग द वर्ल्ड व्हाइल द फीट स्टिल कैन लीव' अवश्य सीखना चाहिए।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
Kamaal ki post hai baba ji.
जवाब देंहटाएंअसली जवान, शौक़ अभी जिंदा हैं !!
जवाब देंहटाएंVastavik jivan se aati ek sundar rachna....
जवाब देंहटाएंमृत्यु के साथ मजाक मत करो, आती है तो बहुत दर्द दे जाती है। अभी तीन दिन पहले ही साक्षात्कार किया है।
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