पार्क, गाँव, पहाड़ बारस्ता खेत , मकान दूकान से सरकते सरकते , गूगलिंग कर सर पटकते चश्मे के नम्बर बडवाते, कविता गुनगुनाते, लेख पढ़ते, गीत गाते, औरों से गिरते रूपये को थामते, कागज़ कागज़, प्रेस - प्लेट, स्याही, बिजली, लेबर, मंदी का रुदन करते, पर फिर से गर्दन झटक दो पैग लगा, बाईक उड़ा, बच्चों संग हंसी ठिठोली करते, लेफ्ट राईट में टाईट होकर पैर पटक पटक जूता घिसाते फिरते, देर शाम तक किसी भी नशेडी से हँसी ठठा करते ... देश समाज चिंता से बेखबर, प्याज, आटा नून तेल, शेयर मार्किट, सोना, प्रोपर्टी को अस्सी पर बिठा, सदा मुस्कुराते बतियाते विजेता बन घूमते ......
मखा, आनंद बाबु कभी हमारी गली भी आया करो - रामा शामा कर जाया करो.
मखा, आनंद बाबु कभी हमारी गली भी आया करो - रामा शामा कर जाया करो.
घर के घसीटे से ऊपर उठती जिन्दगी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया, प्रवीण बाबू
हटाएंJindagi se kya gila, yun bhi gujarti rahe to achha hai ...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक रचना, इसी का नाम ज़िंदगी है
जवाब देंहटाएं@दिगम्बर साब और राजपूत साब...
जवाब देंहटाएंउत्साह वर्धन के लिए आभार.
मस्त।
जवाब देंहटाएंbahut khoob..
जवाब देंहटाएंबस्तियों की हस्तियों की मस्तियों को देख कर|
जवाब देंहटाएंदिल कहे अब शांत हो कर गीत गाये ज़िंदगी||
bahut khub
हाथ में ‘आटा’ लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी
हटाएंदेख कर यूं दिलरुबा को मुस्कुराये ज़िंदगी
बहुत खूब नवीन जी...
http://thalebaithe.blogspot.in/2011/06/blog-post_29.html
ब्लॉग बुलेटिन की ६०० वीं बुलेटिन कभी खुशी - कभी ग़म: 600 वीं ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंजिंदगी ख्वाब है …. ख्वाब में सच है क्या और भला…… झूठ है क्या!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और मस्तमौला पंक्तियाँ। आभार।।
एक रहस्य का जिंदा हो जाना - शीतला सिंह
जिंदगी खूबसूरत हैं
जवाब देंहटाएं......................“ तेरा एहसान हैं बाबा !{Attitude of Gratitude}"
@देवेन्द्र जी, कविता जी, नवीन जी, सलिल जी (ब्लॉग बुलेटिन) , हर्षवर्धन जी और अजय जी आपका धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजिंदगी बहुत खूबसूरत है जिंदगी का मजा हर इंसान नहीं ले पाता है जब तक वह जिंदगी का मतलब समझता है तब तक वह ख़तम होने के कगार पर होती है रहा आने जाने का वह हम आते जाते रहंगे ....जिंदगी जिन्दादिली का नाम है मुर्दा दिल किया ख़ाक जिया करते है ....
जवाब देंहटाएंजय बाबा बनारस....
@जब तक वह जिंदगी का मतलब समझता है तब तक वह ख़तम होने के कगार पर होती है
हटाएंमिश्र जी, सही कहा आपने ...
लेकिन
ख़त्म होने की प्रक्रिया ही पूर्णत: की ओर अग्रसर होती है...
जिंदगी की आपाधापी...कब किसे समझ में आई है ....राम राम
जवाब देंहटाएंwah re jindagi :)
जवाब देंहटाएंचलती रहती है ये भी :)
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