मेरे जाने के बाद
रह जायेंगे ये मेरे क़दमों के निशां
एक जुस्तजू पैदा करेंगे तुम्हे मेरे लिये
मेरी मंजिल को निहारोगे तुम
मेरी कदमों के इन निशानों पर
मेरी बदनसीबी पढोगे तुम
ये बताएँगे तुम्हे मेरी
उल्फतों , जज्बातों , नापाक खा वशिओं
और मेरे अधूरी हसरतों की कहानी
ये निशान नहीं, दस्तावेज बनेगे
मेरे खयालातों की
मेरे उन अफसानो के
जिन्हें ज़माने ने बेवफाई का नाम दिया
मेरी बिखरी यादें
कुछ टूटे पत्तों मानिंद
जिन्हें हवा अपने साथ
बहा ले जाती है
और
मेरी झोली में कुछ
बचे हुए लम्हे
जो छोड़ जाती हैं
मेरी स्वपनल दुनिया में
एक विराम देने के लिये
व् नींद से उठकर
सोचने के लिये
की मैंने जिया तो क्या जिया।
ये अस्त होता सूरज
सुना जाता है अपनी दास्ताँ
भोर को जल देकर स्वागत
करने वाली दुनिया
शाम तलक तो इनको भी थका देती है
इनकी प्रचंडता को विराम लगा देती है
मेटा देती है इनका वजूद
और मेरा तो वजूद ही क्या ?
ख़ुद क्यों नहीं थकती
ख़ुद क्यों नहीं रूकती
ये दुनिया
इसी मायावी दुनिया में रह कर जी रहे हैं हम
हम तो श्याद सूरज से भी ज्यादा
प्रचंड है
पर ढीठ भी सूरज से jyada
Lage Raho,Bababhai!!
जवाब देंहटाएंxiongyali
जवाब देंहटाएंaodili86
basainuona
aoguang55
fengshenbang