30 जन॰ 2011

बापू की बकरी के वंशज



आज गाँधीजी की पुण्य तिथि है..... राष्ट्रपिता को पूरा राष्ट्र नमन कर रहा है – याद कर रहा है. पर मेरे जैसे बुरबक को बापू की बकरी याद आ रही है. सुना है, बापू बकरी को बादाम खिलाते थे. बकरी की बहुत सेवा करते थे. और बकरी भी बापू से उतना ही प्यार करती थी. ये बात आश्रम में सभी को पता थी.... अत: जब भी कोई नेता या भक्त बापू से मिलने आता तो बकरी के सर पर हाथ जरूर फेर कर जाया करता था. पंडित नेहरु को भी बकरी में विशेष दिलचस्पी थी. वो बापू को खुश रखने के लिए अधिकतर बकरी को अपने हाथ से बादाम खिलाते.
देश आजाद हुवा, बकरी ने भी आजादी की साँस ली. पर कुछ ही महीनो में बापू के स्वर्गवास के बाद एक आपात बैठक में पंडितजी बोले कि इस बापू की बकरी कि सेवा मैं करूगा और ये अब आनंदभवन में आनंद से रहेगी. वैसे भी नेहरु जी के आगे बापू भी कुछ नहीं बोलते थे, अत: आश्रम में किसी व्यक्ति की हिम्मत ना हुई कि वो इस एतिहासिक धरोहर को आश्रम में रखने की बात करता.
जिस प्रकार तमाम गांधीवाद और गाँधी धरोहर को पंडितजी अगवा कर के ले गए या कहें कि आत्मसात कर लिया उसी परकार वो बकरी भी अब आनंद भवन की शोभा बन गयी........
समय बिताता चला गया. और बकरी के मृत्यु का दिन भी आ गया – ऐसे में फिर से सभा बैठती और उस बकरी के तमाम वशंजो में से एक को गाँधीजी की बकरी का दर्ज़ा दे दिया जाता.......
पंडित जी के स्वर्गवास के बाद भी ये परम्परा बदस्तूर जारी है.
बकरी बादाम खाती है...... और मज़े से रहती है..... पर उसे आज़ादी नहीं है कि कहीं खेत खलियान और गाँव देहात में घूम आये. कोई बात नहीं ........
लेकिन बादाम खा खा पर वो बोर हो गयी और उसने बादाम खाने बंद कर दिए... अब क्या हो? एक नयी समस्या खड़ी हो गयी...... बापू की बकरी के वंशज ने पंडित जी के वशंज के हाथो बादाम खाने से मन कर दिया.........
अगर मीडिया में आ गया तो दिक्कत पर दिक्कत...... वैसे ही समस्याए मुहं बाए खड़ी हैं और – एक नयी समयस्या और .......
बार पंडितजी के वशंजो के पास जो सलाहकार मण्डली थी, वो कोई मुफ्त में ही पैसा नहीं पाती थी, तुरंत युक्त भिडी और निष्कर्ष ये निकला की बकरी को २-३ प्याज खिलाए जाए...... जिससे बकरी का जयका बदल जाए.........
तुरंत सलाहकारों का एक समूह आजादपुर मंडी गया, और छाँट कर बेहतरीन २५० ग्राम प्याज लाया .... बकरी के आगे रखे गए... बकरी ने खुशी से खाना चालू किया ..... और सभी खुश हुवे और एक दूसरे को बधाई देने लगे.
पर एक बात जो और ध्यान में आयी कि बकरी ने अब मेमेमाना बंद कर दिया है..... बहुत पुचकारा गया....
और थोड़ी ही देर में बकरी के मुहं से निकला विदेशों से अब काला धन देश में ही आना चाहिए.
और सलाहकार खुशी से नाचने लगे..........
आगे दिन फिर अखबार की हेड लाइन बनी.......
'काला धन वापस लाने के लिए सभी प्रयास जरूरी'


मित्रों, माफ करना आपके डेरे (ब्लॉग) पर आते हैं - पढते है, पर बिना टीपे चले जाते है - श्याद महीना एक ऐसे ही चलेगा..... आप नाराज़ ना हों - और मुझे भूले नहीं.

....... जय राम जी की. 

27 टिप्‍पणियां:

  1. कमाल है। गजब का व्यंग्य मारा है बाबा जी ने।

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  2. बड़ी एहसान फ़रामोश बकरी है! जिनका प्याज खाती है उन्हीं पैसे को सेफ़ हैवन से लौटवाना चाहती है...

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  3. अरे! दीपक बाबा जी! आपको तो पहले हमने सलाह दी थी कि आराम कीजिये.. पर आज "हे राम" वाले दिन तो आपकी जुगाली हमने माफ कर दी, आगे नहीं मिलेगी माफी.. सेहत का ख़्याल रखें!!

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  4. बाबा को प्रणाम रहेगा...
    बापू जी को याद करके बस रोना आता है... क्या श्रद्धांजलि दें...
    बकरी तो अभी आप कह रहे हैं कि जीवित ही है ;)

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  5. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (31/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  6. अमां, बकरी ने तो जायका बदल लिया लेकिन बकरी का जायका भी बदल गया कि नहीं? बादाम से प्याज तक आ गई।

    सेहत का ध्यान रखो भाई, टिप्पणियों का हिसाब तो कर ही लेंगे खाते-पीते:))

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  7. शनादार व सार्थक व्यन्ग्य.....वाह!!

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  8. यह बकरी खरीद लो दीपक बाबा !

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  9. लो जी वो बकरी अभी तक जिन्दा है हम को लगा कब की कट वट के कही फ्लश हो चुकि होगी, नहीं हुई तो अब हो जानी है, ये क्या काला पिला बोलने लगी है समर्थक इस लिए ही खुश हुए होंगे लो कब से इंतजार कर रहे थे की ये कुछ ऐसा बोले और इसे काटने की वजह हमें मिले बस अब कल सुबह दूसरे रूप में फ्लश हो जाएगी |

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  10. अंशुमाला जी की टिप्पणी को मेरी भावना समझी जाय... जरार्दस्त व्यंग्य मारा है जी .. बधाई

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  11. बाबा जी, बड़ा की गहरा व्यंग मारा है आपने.... बेहतरीन . जल्द स्वस्थ होकर लौटें...........

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  12. दीपक जी ,
    व्यंग लिखने में माहिर हो गए हैं ....
    बकरी के माध्यम जी की कह ली ....
    लाजवाब .....!!

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  13. देश में कम से एक बकरी तो है जिसकी अपनी आवाज़ और सोच है...जय हो...
    नीरज

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  14. बापू की बकरी समूचा देश बन गया है... महज प्याज ..

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  15. अच्छा किया बकरी का जायका बदल दिया ...
    वैसे ये बकरी बहुत डिमांड में होगी आज कल ... सभी पार्टियां इसे अपनी अपनी पार्टी में रखना चाहेंगी ... हा हा .. अच्छा व्यंग लिखा है दीपक जी ... अपना ख्याल रखें ...
    .

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  16. गज़ब..गज़ब गज़ब का व्यंग्य....

    ओह ....आनंद आ गया पढ़कर....

    लाजवाब !!!!

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  17. निष्कर्ष: प्याज़खोर बकरी खतरनाक हो सकती है।

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  18. वाह..क्या खूब ...कटाक्ष किया है...पढ़ कर मन आनंदित हो गया !

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.