मय दे साकी, तेरे मयखाने में आये हैं..
कई दिनों से गम अपना छुपाये हुए हैं.
छलकती है मय जो तेरी इन आँखों से.
कसम से कल से मयखाना भुलाए हुए हैं.
आ पी ओ मय पीने वाले.... यूँ लब तेरे बुलाते है.
तेरे दर पर ही आकर जीने की कसम खाए हुए हैं.
इस जमाने ने बेवफाई के सिवा भी बहुत कुछ दिया है...
बैठ मेरे पास साकी, कब से सीने में ये गुबार छुपाये हुए है.
तेरी अदा जो क़त्ल-ओ-गैरत करती है ज़माने में...
हाय हम तो - बस दिल अपना बचाए हुए है.
वादे, कसमे, रिश्ते नाते - झूठ सभी कसम से साकी..
बस ये मय और प्याला ही - इक डोर बनाए हुए हैं.
कुछ भी ,..... यूँ ही लिख दिया.... बस ... बहुत दिन हो गए थे ... सोचते है की तमाम विद्जनो में बैठना अच्छी बात नहीं, पर इतनी दूरी भी तो ठीक नहीं..... आप सभी विद्वान लोगों में कोई न कोई बक बक करने वाला भी तो होना चाहिए :)
तो लिख दिया - बस, यूँ ही लिख दिया.....
जय राम जी की.
बहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुये जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियां
छलकती है मय जो तेरी इन आँखों से.
कसम से कल से मयखाना भुलाए हुए हैं.
प्रणाम स्वीकार करें
Baba ji Ram Ram
जवाब देंहटाएंbahut din baad bak bak sunne ko mili , aur jab mili to itani nashili ki maza aa gaya
bhala hamse aisi bhi kya narazgi , post karna hi chod diya
in vidwan logo ke beech me mere jaise nasamajh bhi hai ,
aabhar
पूरे डेढ़ महीने बाद आपके दर्शन हुए हैं बाबा. आपकी बातें (बक-बक) के बिना कुछ अधूरा सा लग रहा था.
जवाब देंहटाएंउम्दा पंक्तियाँ. आते रहियेगा!
कहाँ थे बाबा जी ! इत्ते दिन बाद आये, हाथ में दारु लेकर ...
जवाब देंहटाएंजय हो महाराज !!
bahut sunder baba ji ....
जवाब देंहटाएंवादे, कसमे, रिश्ते नाते - झूठ सभी कसम से साकी..
बस ये मय और प्याला ही - इक डोर बनाए हुए हैं.
jai baba banaras........
वादे, कसमे, रिश्ते नाते - झूठ सभी कसम से साकी..
जवाब देंहटाएंबस ये मय और प्याला ही - इक डोर बनाए हुए हैं.
बड़े दिनों के बाद पढ़ने को मिली है बाबाजी की पोस्ट - आशा है स्वास्थ्य ठीक है अब।
गुड लक बाबाजी:)
स्वास्थ्य में सुधार दिख रहा है.. अपने रंग में लौट रहे हैं आप!! सुखद आगमन है आपका!!सुस्वागतम!!
जवाब देंहटाएंnayi post ke sath mahaul madmast ho gaya hai,
जवाब देंहटाएंachchhi rachna
कई दिन से अपना ग़म छुपाये हैं ...
जवाब देंहटाएंये ग़म अब कलम से निकल ही जाए ...
जवाब देंहटाएंबाबा आज भटकता हुआ फिर तुम्हारे आश्रम में आ गया ...
तुम्हारी इस रचना पर कुछ लिखने का दिल कर गया ...
गलती हो तो दारू पीकर प्रूफ ठीक कर देना ....
:-)
वादे, कसमें, रिश्ते, नाते, झूठ कसम से, हैं साकी
बस ये मय और प्याला ही एक डोर बनाये रहता है !
और पिला दे साकी मुझको, मयखाने में आये हैं !
मदहोशी में दिल बाबा का , दर्द भुलाये रहता है !
तेरी अदा, जो क़त्ल ए गैरत करती रहे ज़माने में
पता नहीं कैसे बाबा ! इस दिल को बचाए रहता है !
बाबा आज भटकता हुआ फिर तुम्हारे आश्रम में आ गया ...
जवाब देंहटाएंतुम्हारी इस रचना पर कुछ लिखने का दिल कर गया ...
गलती हो तो दारू पीकर प्रूफ ठीक कर देना ....
:-)
वादे, कसमें, रिश्ते, नाते, झूठ कसम से, हैं साकी
बस ये मय और प्याला ही एक डोर बनाये रहता है !
और पिला दे साकी मुझको, मयखाने में आये हैं !
मदहोशी में दिल बाबा का , दर्द भुलाये रहता है !
तेरी अदा, जो क़त्ल ए गैरत करती रहे ज़माने में
पता नहीं कैसे बाबा ! इस दिल को बचाए रहता है !