क्या बात है सुस्त बैठे हो...... रात सोये नहीं....
नहीं ऐसा कुछ नहीं है.
तो लगता है.... थक गए होगे.
नहीं ऐसा भी.....
अच्छा कविता-शविता पढ़ रहे हो.... तभी आँखे लाल....... हैं..
नहीं यार.
नहीं यार नहीं यार.......
कल शाम को रोड पर खड़े खड़े कुछ ज्यादा ही नैन सिकाई कर ली होगी.
छोडो वाहिहात बातों को...
कैसे छोड़ें.......
खत न आने के दो कारन है -
या तो डाकखाने बंद हैं या फिर मोहब्बत कम है....
रवि रस्तोगी जी उवाच रहे हैं.......
बहुत मुश्किल है....... इनके सवालों का जवाब नहीं दिया जा सकता......
पर बातों का सिलसिला चल पड़ा तो मैंने भी सोचा .... चलो आज की पोस्ट यही सही
अब कुछ भी नहीं हो सकता...... जो होना था वो हो गया.... बस सभी लोग इन्तेज़ार कर रहे है.... - कुछ (अच्छा) होने का . और तुम भी. यही सोच रहे हो न...
देखो - खाने-पीने को सभी कुछ है इतना पैसे दिल्ली में हरएक के पास हैं.. पर इंसान सोचता रहता है... हर दम..... कुछ और करने को.. ससुरा लगता इस दुनिया में लोगों के पास दिमाग बहुत है. जब तक मरेंगे नहीं - सोचते ही रहेंगे.... कुछ भी.
दिन रात लगे रहो........ कल औलाद तो यही कहेगी न पापा ने कुछ नहीं किया ..... कुछ भी नहीं. देखो पड़ोस वाले शर्मा अंकल को........ कितनी प्रोपर्टी खड़ी कर गए है...... खुद तो मर गए ... पर उनके बच्चो को कितना किराया आता है ...... मौज कर रहे है. बाप की पुण्यतिथि पर लंगर भी कर देते हैं.
हमारे बच्चे क्या ख़ाक लंगर करेंगे........ कोसा करेंगे. मम्मी कहती है कि रोज रात को लेट आते थे - दारू पीकर..... हाँ सारा पैसा दारू में उडा दिया होगा..... हमारे लिए क्या छोड़ कर गए.:)
भैया यही होना है - लिखवा लो. इसलिए टेंशन लेना छोड़ दो यार. अब बाबा की ही बात लो... कल तक खूब कहे कहे लगा रहे थे.......
अच्छे खासे बाबा जी थे..... योग करवा रहे थे..... आज पड़ गए सरकार के फेर में. कहाँ रहते है - क्या करते है -कहाँ हगते मूतते है..... सभी कुछ सरकार की निगरानी में हो रहा है...... सरकार को कम मत समझो भाई - ये कोर्ट शोर्ट सब इन्ही का है...... चाहे किसी की भी सत्ता क्यों न हो.... हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ........ अलां कोर्ट - बला कोर्ट - सभी कुछ...
कल तक कोई बात नहीं थी. आज इन्कुआरी हो रही है - तुम कहाँ से दसवी पास किये हो....... कौन सी दाई आयी थी तुम्हारी माँ के पास...... लुंगी कौन से दर्जी से सिलवाई थी :) आज सभी कुछ खंगाला रहा जा रहा है.....
बाबा भी पागल........ राजकुमार का पुराना डाईलोग भूल गया ... जिनके घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते........ बाबा को क्या मालूम था ...... फर्जी डिग्री ही इतना बड़ा अपराध हो जायेगी की शासन पूरी एड़ी चोटी का जोर लगा देगा.... फर्जी डिग्री ...... फर्जी डिग्री..... अच्छा भला व्यक्ति - कल तक आयुर्वेद के पुराने तरीकों से बीमारियों के इलाज़ बता रहे थे....... खांसी जुकाम से कब्ज बवासीर तक ..... आज जान के लाले पड़ गए है...... भाग रहे है.....
बाबा राम देव गलत कर गए .... जो ला-इलाज़ बिमारी (पैसा) है सत्ता मैं बैठे लोगो को उसका इलाज़ करने बैठ गए - पुराने जख्मो को छेड़ दिया........ यानी मधुमखियों के छत्ते में हाथ दे दिया...... भुगतो........ बाबा ... भुगतो ....
जय राम जी की....
रवि रस्तोगी = पुराने मित्र है - और बक बक में मुझसे भी आगे....
क्या कहा जाये ?
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaha " BABAJI "
जवाब देंहटाएंबेचारे बाबा ! धूर्तों के जाल में फंस गए !!
जवाब देंहटाएंमधुमक्खी के छत्ते में ही हाथ डाला है।
जवाब देंहटाएंएक ''बाबा'' ने दूसरे ''बाबा'' की सही से क्लास लगा दी
जवाब देंहटाएंतेते पाँव पसारिये, जेती लाम्बी सौर
जवाब देंहटाएंअच्छे खासे बाबा जी थे..... योग करवा रहे थे..... आज पड़ गए सरकार के फेर में. कहाँ रहते है - क्या करते है ..... सभी कुछ सरकार की निगरानी में हो रहा है...
जवाब देंहटाएंकल तक आयुर्वेद के पुराने तरीकों से बीमारियों के इलाज़ बता रहे थे.... आज जान के लाले पड़ गए है...... भाग रहे है
बात तो आप सही कह रहे हैं , लेकिन क्या किया जा सकता है