हवाओं में कुछ जुल्फे ऐसे लहराई
कि बेनजीर तुम बहुत याद आयी
कि जुल्फों वाली पडोसी गर घर में आ जाए .. तो जाहिर है कि नींद तो खराब हो ही ज़ाती है...... हाँ नींद खराब हो ही गयी ... आचारज की और सफ़ेद घर में पंचम जी की.
अब कुछ नहीं हो सकता..... दोनों ने अपने अपने तरीके से सभालने को कहा. पर क्या करे भावुक मन मेरा ... कहाँ कहाँ गोते लगाने लगा..... शायद १२ कक्षा का छात्र रहा हूँगा .... जब पड़ोस से एक और बला आयी थी...... जुल्फे तब भी लहराई थी.... पर क्या किया जाए गूगल बाबा नहीं थे.... जो अपने अपने दिलों का हाल सभी लोग लिख देते.
याद कीजिए गुजरा जमाना : चंद तस्वीरे हैं जो नेट से कॉपी की हैं.... वेबसाइट के नाम ध्यान नहीं आ रहे
ब्लेक एंड वाईट के जमाने की वो रुमानियत याद आ गयी न....... हाँ मुझे तो याद आ गयी..... आवारा .... श्री ४२० वगैरा वगैरा .....
माफ़ी चाहते हैं पड़ोसियों से ....... इस दोस्ती... सहअस्तित्व ..... प्राचीन सभ्यता... आपसी सोहार्द ....... रंजिश को भूलने वाले.... धर्म निरपेक्ष ... तेज़ी से उभरता..... विकसित..... शक्तिशाली देश, इन जुल्फों की क़द्र नहीं कर पाया.....
उन हसीन जुल्फों को बेहद ही उबाऊ और नीरस व्यक्तिव से उलझा दिया ...
इतिहास कभी माफ नहीं करेगा.. :)
सभी चित्र गु्गल से साभार
जय राम जी की.........
कि बेनजीर तुम बहुत याद आयी
कि जुल्फों वाली पडोसी गर घर में आ जाए .. तो जाहिर है कि नींद तो खराब हो ही ज़ाती है...... हाँ नींद खराब हो ही गयी ... आचारज की और सफ़ेद घर में पंचम जी की.
अब कुछ नहीं हो सकता..... दोनों ने अपने अपने तरीके से सभालने को कहा. पर क्या करे भावुक मन मेरा ... कहाँ कहाँ गोते लगाने लगा..... शायद १२ कक्षा का छात्र रहा हूँगा .... जब पड़ोस से एक और बला आयी थी...... जुल्फे तब भी लहराई थी.... पर क्या किया जाए गूगल बाबा नहीं थे.... जो अपने अपने दिलों का हाल सभी लोग लिख देते.
याद कीजिए गुजरा जमाना : चंद तस्वीरे हैं जो नेट से कॉपी की हैं.... वेबसाइट के नाम ध्यान नहीं आ रहे
ब्लेक एंड वाईट के जमाने की वो रुमानियत याद आ गयी न....... हाँ मुझे तो याद आ गयी..... आवारा .... श्री ४२० वगैरा वगैरा .....
लीजिए कुछ रंगीन तस्वीरें भी हाज़िर हैं......
माफ़ी चाहते हैं पड़ोसियों से ....... इस दोस्ती... सहअस्तित्व ..... प्राचीन सभ्यता... आपसी सोहार्द ....... रंजिश को भूलने वाले.... धर्म निरपेक्ष ... तेज़ी से उभरता..... विकसित..... शक्तिशाली देश, इन जुल्फों की क़द्र नहीं कर पाया.....
उन हसीन जुल्फों को बेहद ही उबाऊ और नीरस व्यक्तिव से उलझा दिया ...
इतिहास कभी माफ नहीं करेगा.. :)
सभी चित्र गु्गल से साभार
गीत याद आ गया : बिन बादल बरसात का ..
जब जाग उठे अरमान तो किसे नींद आये......
जय राम जी की.........
बहुत पुराने दिनों को याद कर लिया आपने....अब इन दोनों में से कोई नहीं इस जहान में ............आभार
जवाब देंहटाएंरूमानियत भरा पोस्ट...
जवाब देंहटाएंjab yad kisi ki aati hai otho pai hasi aa jaati hai..
जवाब देंहटाएंjai baba banaras.....
yaad kiye jaiye bas
जवाब देंहटाएंबाबा जी राम राम
जवाब देंहटाएंबहुत रंगीन हो रहे जनाब
रब खैर करे
भूली बिसरी एक कहानी
जवाब देंहटाएंअब आई है याद पुरानी।
sach kaha ji
जवाब देंहटाएंप्रवृत्ति है अनुहार ढूंढने की, तो ठगा क्यू न जाये मन!
जवाब देंहटाएंक्या बता है ...??
जवाब देंहटाएंआज तो ब्लोगर प्रोफाइल में हमारे दीपक बाबा, आसिफ ज़रदारी नज़र आ रहे हैं :-)
शुभकामनाएं !
तो अब बाबा शायरी करने लगे ! खूब !!
जवाब देंहटाएंसुहानी और सुगम सफ़र ! जब तक यहाँ रही , इस धरती पर आकर्षण ही रहा !सभी नजरो के तीर के घायल थे ! कुछ तो राज है इस आकर्षण को आगे लाने के लिए !
जवाब देंहटाएंतेरी ज़ुज्फों से जुदाई तो नहीं माँगी थी,
जवाब देंहटाएंक़ैद माँगी थी, रिहाई तो नहीं माँगी थी!!
... दिल के अरमानों की करवट ..उफ्फ्फ!!!
deepak baba ji jab jab yeah padosi mehmaan aa ke gaya hai naya dard de gaya hai lijiye aage koi naya kargil hamare aur aap ke liye tayar ho raha hoga ospar
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