तेरे संघर्षों को,
तेरी घुटन को,
तेरी तड़प को,
तेरे धैर्य को,
तेरे विनम्रता को,
तेरे विश्वास को,
तेरी आस को,
तेरे उस दर्शन को,
जिसने किया सदा मार्गदर्शन मेरा ,
कि जिस मुकाम पर तू मुझे पहुँचाना चाहती थी,
आज मैं वहीँ हूँ, माँ
और चाहता हूँ कि तेरे प्यार और असीस की
ये घनी छाया यूँ ही बनी रहे
नमन माँ.
maa ko saadar naman
जवाब देंहटाएंइस छाया में सब सुख पोषित..
जवाब देंहटाएंमाँ के कर्जदार हैं हम...!
जवाब देंहटाएंरविकर चर्चा मंच पर, गाफिल भटकत जाय |
जवाब देंहटाएंविदुषी किंवा विदुष गण, कोई तो समझाय ||
सोमवारीय चर्चा मंच / गाफिल का स्थानापन्न
charchamanch.blogspot.in
माँ को नमन...
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ दिवस विशेषांक - ब्लॉग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंदीपक बाबू,
जवाब देंहटाएंईश्वर की सबसे प्यारी इस देन के लिए बस सिर झुका सकता हूँ!!
माँ की गोद में सर रखने जैसा सुकून और कहीं नहीं मिलता... माँ को नमन...
जवाब देंहटाएंअगर दुनिया मां नहीं होती तो हम किसी की दया पर
या
किसी की एक अनाथालय में होते !
संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी
आपको मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
माँ है मंदिर मां तीर्थयात्रा है,
जवाब देंहटाएंमाँ प्रार्थना है, माँ भगवान है,
उसके बिना हम बिना माली के बगीचा हैं!
संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी
आपको मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंनमन!
जवाब देंहटाएंऔर चाहता हूँ कि तेरे प्यार और असीस की
जवाब देंहटाएंये घनी छाया यूँ ही बनी रहे
नमन माँ.
jai baba banaras...
माँ के साथ इस भावना को भी नमन !
जवाब देंहटाएंआमीन ... ऐसा ही हो और माँ का आसीस ऐसे ही बना रहे ....
जवाब देंहटाएंसबसे पहला गीत सुनाया
जवाब देंहटाएंमुझे सुलाते , अम्मा ने !
थपकी दे दे कर बहलाते
आंसू पोंछे , अम्मा ने !
सुनते सुनते निंदिया आई,आँचल से निकले थे गीत !
उन्हें आज तक भुला न पाया ,बड़े मधुर थे मेरे गीत !