13 मई 2012

नमन माँ


तेरे संघर्षों को, 
तेरी घुटन को,
तेरी तड़प को,
तेरे धैर्य को,
तेरे विनम्रता को,
तेरे विश्वास को,
तेरी आस को,
तेरे उस दर्शन को,
जिसने किया सदा मार्गदर्शन मेरा ,
कि जिस मुकाम पर तू मुझे पहुँचाना चाहती थी,
आज मैं वहीँ हूँ, माँ 
और चाहता हूँ कि तेरे प्यार और असीस की 
ये घनी छाया यूँ ही बनी रहे

नमन माँ.

15 टिप्‍पणियां:

  1. रविकर चर्चा मंच पर, गाफिल भटकत जाय |
    विदुषी किंवा विदुष गण, कोई तो समझाय ||

    सोमवारीय चर्चा मंच / गाफिल का स्थानापन्न

    charchamanch.blogspot.in

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  2. दीपक बाबू,
    ईश्वर की सबसे प्यारी इस देन के लिए बस सिर झुका सकता हूँ!!

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  3. माँ की गोद में सर रखने जैसा सुकून और कहीं नहीं मिलता... माँ को नमन...

    अगर दुनिया मां नहीं होती तो हम किसी की दया पर

    या
    किसी की एक अनाथालय में होते !
    संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

    आपको मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. माँ है मंदिर मां तीर्थयात्रा है,
    माँ प्रार्थना है, माँ भगवान है,
    उसके बिना हम बिना माली के बगीचा हैं!

    संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी
    आपको मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  6. और चाहता हूँ कि तेरे प्यार और असीस की
    ये घनी छाया यूँ ही बनी रहे

    नमन माँ.

    jai baba banaras...

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  7. माँ के साथ इस भावना को भी नमन !

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  8. आमीन ... ऐसा ही हो और माँ का आसीस ऐसे ही बना रहे ....

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  9. सबसे पहला गीत सुनाया
    मुझे सुलाते , अम्मा ने !
    थपकी दे दे कर बहलाते
    आंसू पोंछे , अम्मा ने !
    सुनते सुनते निंदिया आई,आँचल से निकले थे गीत !
    उन्हें आज तक भुला न पाया ,बड़े मधुर थे मेरे गीत !

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.