अंग्लो वर्ष २०१० जा रहा है, सोचा जाते जाते की राम राम दे दूं, पोस्ट लिखने लगा था ही कि जोगन सर पर आ कर खड़ी हो गई, बोली पहले दवाई खा लो,???? दवाई? लाओ जी, दुनिया कोकटेल कर रही है हम दवाई ही खा लें. दूध का गिलास भी साथ है.... कहते है भारत देश विषमताओं से भरा देश है...... और ऐसे ही यहाँ से बाबा भी.
अब मुझे ही देखिये...... रोज अंगूर की बेटी से नज़रे चार करते हैं और घर विलम्ब से आते हैं, पर आज दिन भर घर रहे और अंगूर की बेटी से बे-वफाई कर ली. क्यों ? क्योंकि आज वो कई लोगों के होंठो की प्यास बुझा रही होगी और मैं नहीं चाहता कि मेरे पी लेने के किसी भाई को कम पड़ जाए. चलो दूध का ग्लास ही सही, पर उसमे भी तकलीफ यह है की वो स्टील के ग्लास में दिया गया, कांच का ही होता तो ये अरमान तो रहता कि तू नहीं ते तेरी यादां सही.
अब तक की लाइनों से स्पष्ट है की पोस्ट लिखने का कोई इरादा नहीं था, कल से कन्धों में भयंकर दर्द था, अत: आजमा रहा हूँ कि दवाई ने कहाँ तक असर किया है. १ जनवरी २००८ को पोस्ट लिखी थी, उस समय तो आपने पढ़ी नहीं होगी, अत: अब उसे पेस्ट कर कर रहा हूँ, कसम से डिरेक्ट फ्रॉम दिल थी (आचार्य, कृपया इस पोस्ट की त्रुटियों पर नज़र मत डालना – खुदा कसम कापी लाल हो जायेगी) ....
नया साल - बता तुझ मैं नया क्या है ....
कुछ दोस्तों को SMS किया था कि बता तुझ मैं नया क्या है।
मुझे आज तक पता नहीं चला कि लोग नया साल क्यों मानते हैं। पंजाब केसरी मैं आया था ध्यान नहीं हैं - कितनी करोर रूपये कि दारू लोग पी गए। कनाट प्लेस मैं जाने को कितने तरस गए। पता नहीं।
कौन सी संस्कृति में हम जी रहे हैं, श्याद किसी को नहीं पता, क्यों पता हो । सही बात है क्या जरूरत है, बुरा क्या है, एक दिन आता है जब दिल खोल के पीते हैं और एअश करते हैं, साला , तुम्हे वो भी दिक्कत है, चल्लो तुम्हारी मान ली, अब ये बताओ कि किया कर लिया।
जिसको नया साल कहेतो हो उस दिन ऑफिस में लेट आये। सारा दिन खराब कर दिया, क्या किया, चलो नया साल तो मनाया। इसी बात कि ख़ुशी है , इंटरनेशनल तो बने , नए दुनिया के साथ तो चले , तरक्की पसंद लोगों कि जमात में शामिल तो हुए, चार अफसरों कि खुशामंद की, चार लोग तो जानते हैं, तुम्हारी क्यों जल रही है।
ठीक फ़रमाया. तुम्हे पता भी नहीं होगा की ३० दिसम्बर को राम सेतु का कार्यक्रम था, लाखों लोग दिल्ली में आये थे । तुम नहीं गए न , तुम्हे क्या वो वेले थे। हाँ , वो वेले थे , बच्चो को घुमाने ले जाना था, घर की सफ़ाई करनी थी, बीबी को हेल्प करनी थी. भाई अब तो मेरे पास एक ही एक्जेंदा हैं - में, मेरे बच्चे, मेरी बीवी और मेरे ससुराल. भाई अपन की लाइफ तो चल जायेगी, तुम बताओ. राम सेतु से तुम्हारा किया मतलब है. किया मिल जाएगा, भारती जनता पार्टी रोटी घर में नहीं देगी. भाई दुनिया दरी सीखो. ये लोग घर ये तो चाय पिला कर चलता करो ओर अपना काम देख. समझे.
बरहाल, आपके ये कुतर्क गले से नीचे नहीं उतरते. आपको वापिस पाकिस्तान भेज देना चाहिऐ. सब समझ जायोगे.
देखो दोस्तों, लाइफ को क्रिटिकल मत करो, जैसे हो वैसे ही दिखो, सिर्फ अपने काम में ध्यान लगाओ. दूसरो को मत देखो. दिक्कत होगी.
जय राम जी की
जी हाँ १ जनवरी २००८ को ये पोस्ट लिखी थी देर शाम को. साल २०१० बहुत कुछ दे कर जा रहा है...... सब आपके सामने है. पूरे साल कविता व्यंग इत्यादि बक बक के महापुरषों को याद करता रहा अब किसी को भीं नहीं याद कर रहा बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेय.... बस एक तमन्ना है, २०११ में ये सभी महापुरुष अपनी उचित स्थान पहुंचे ...
आखिर में एक पैरा आचार्य चतुरसेन की कहानी जीवन्मृत से उद्धृत कर रहा हूँ. मेरे हिसाब से इस कहानी का रचना काल स्वतंत्र पूर्व का है पर गज़ब देखिये कि आज भी सामयिक लग रही है. सिवाय सरदार जी के तथाकथित विकास दर के अलावा कुछ भी तो नहीं बदला.
“पर मैंने जो कुछ समझा वह मेरी जड़ता थी. देश का अस्तित्व एक कठोर और वास्तविक अस्तित्व था. उसकी परिस्तिति ऐसी थी कि करोड़ों नर-नारी मनुश्तत्व से गिरकर पशु के तरह जी रहे थे. संसार कि महाजातियाँ जहाँ परस्पर स्पर्धा करती हुई जीवन-पथ पर बढ़ रही थीं, वहाँ मेरा देश और मेरे देश के करोड़ों नर-नारी केवल या समस्या हल करने में असमर्थ थे कि कैसे अपने खंडित, तिरस्कृत, अवशिष्ट जीवन को खत्म किया जाए? देश भक्त मित्र मेरे पास धीरे धीरे जुटने लगे. उन्होंने देश की सुलगती आग का मुझे दिग्दर्शन कराया. मैंने भूख और अपमान की आग में जलते और छटपटाते देश के स्त्री-बच्चों को देखा. वहाँ करोड़ों विधवाएं, करोड़ों मंगते, करोड़ों भूखे-नंगे, करोड़ों कुपढ़-मुर्ख और करोड़ों ही अकाल-ग्रास बनते हुवे अबोध शिशु थे. मेरा कलेजा थर्रा गया. मैं सोचने लगा, जो बात केवल में कहानी-कल्पना समझता था, वह सच्ची है, और यदि मुझे सच्ची गैरत थी, तो मुझे सचमुच ही मारना चाहिए था. मैं भयभीत हो गया.”
जय राम जी की........ सही मायने में कुछ नए का इन्तेज़ार कर रहा हूँ...... कुछ अच्छी ख़बरों का.
नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये…एस.एम् .मासूम
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी और विचारणीय पोस्ट.......नूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंनर हो न निराश करो मन को
जवाब देंहटाएंअच्छी खबरें भी आयेंगी।
अंतर्राष्ट्रीय कैलेंडर को जब हमने अपना ही रखा है तो नया साल शुभ हो, ये कामना करने में कोई बुराई नहीं। ’सरबत का भला’ ये कामना गुरू महाराज भी करते रहे हैं। जब भारतीय कैलेंडर के हिसाब से नयावर्ष शुरू होगा, तब भी शुभकामनायें देंगे। ठीक है न बाबाजी?
स्वास्थ्य का ध्यान रखो, शरीर माध्यम खलु धर्म साधनम।
एकाध लाईन संस्कृत की भी याद कर रखी है हमने, इम्प्रैशन मारने के लिये:))
आपके परिवार को भी नववर्ष की शुभकामनायें।
हमारे पास न तो संस्कृत के शब्द हैं, न अंग्रेज़ी के... दिल के शब्दों से अगर बधाई स्वीकारो इस डायरेक्ट दिल वाली पोस्ट पर तो समझेंगे भाषा काम आ गई!!
जवाब देंहटाएंबधाई, बाबा, बॉबी सॉरी भाभी और बच्चों को भी!!
खूबसूरत संदेश. आभार.
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
@ तू नहीं ते तेरी यादां सही.
जवाब देंहटाएंक्या बात है!
हम तो आज के दिन याद ही करते रह जाते हैं कि यार लास्ट टैम कब सेलीब्रेट किया था? याद ही नहीं आता। हाँ, कुछ ग्रीटिंग कार्ड, कुछ फूल, कुछ मुस्कुराहटें अवश्य याद आती हैं। अपनी जमा पूँजी वही हैं, चक्रवृद्धि क्या साधारण ब्याज भी नहीं लगता और मूलधन की क्रय क्षमता घटती ही जा रही है।... दो दिन पहले पढ़ा था कि अब चवन्नी इतिहास की वस्तु होने जा रही है। कहीं क्रय क्षमता घटते घटते मेरी जमा पूँजी भी चवन्नी तो नहीं हो जाएगी? छड़ यार! मैं भी अल्लसुबह क्या बकबक करने लगा?
यादाँ में मगन रहिये और नववर्ष मनाइये।
दीपक जी, बहुत अच्छी पोस्ट। मैं सुबह सोच रही थी कि हम नव वर्ष मनाते हैं तो नव माह क्यों नहीं मनाते? और ज्यादा अवसर मिलेंगे मयखाने में जाने के।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी और विचारणीय पोस्ट.......नूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंjai babaji ki yeh saal aap ka bahut hi sunder saal hai aap jo kuch karana chahate hai wah sab aap safalta purvak hasil karange .
जवाब देंहटाएंNutan varsh Mangal maya ho.
तू नहीं ते तेरी यादां सही.bhai yeh kaun see nai mehbooba hai---------
आपको तो सदैव ही हमारी शुभकामनाएं रहती है यह पाश्चात्य नव-वर्ष का प्रथम दिन है, अवसरानुकूल है आज शुभेच्छा प्रकट करूँ………
जवाब देंहटाएंआपके हितवर्धक कार्य और शुभ संकल्प मंगलमय परिपूर्ण हो, शुभाकांक्षा!!
आपका जीवन ध्येय निरंतर वर्द्धमान होकर उत्कर्ष लक्ष्यों को प्राप्त करे।
सुज्ञ जी, भाई सीधे सीधे हिंदी लिख देते तो बढिया था.... देखो अब शब्दकोष ढूँढना पड़ रहा है, :)
जवाब देंहटाएंआपको तथा आपके पूरे परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंदेखो दोस्तों, लाइफ को क्रिटिकल मत करो, जैसे हो वैसे ही दिखो, सिर्फ अपने काम में ध्यान लगाओ. दूसरो को मत देखो. दिक्कत होगी.
जवाब देंहटाएंवाह जी वा...लख टके दी गल कर दित्ती है तुसी...छेती छेती ठीक हो जाओ...त्वाडे जये वधिया बंदे बीमार चंगे नहीं लगदे...
नवे साल दिया लख लख वधाईयां..
नीरज
नये वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं ..
जवाब देंहटाएंसुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
जवाब देंहटाएंयह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...
जय हिंद...
इसाई नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंHAPPY NEW YEAR..
जवाब देंहटाएंआपकी बक-बक अच्छी लगती है नए साल में भी ऐसे ही बोलते रहिये (बकबक करते रहिये)
पूरे परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ
नए साल की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक लेख ...नया साल आने से क्या नया होता है ? पहले से ज्यादा घोटाले ...मंहगाई ...और त्रस्त जनता ...बस ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएँ
सही मायने में इंतज़ार रहेगा , कुछ नया होने का, कुछ अच्छी ख़बरों का।
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