पहले बात उतरप्रदेश की मुख्यमंत्री बहिन मायावती की. इनके २००७ में विजयी पर मुझे बहुत प्रसंता मिला थी. ये नहीं की में बी एस पी कर कार्यकर्ता हूँ – बल्कि इसलिए की देखो दलित पिछड़े वर्ग की एक महिला अपने दम ख़म पर इतने बड़े राज्य की मुख्यमंत्री बन्ने जा रही है.

बात इतनी है की जे पी ग्रुप और मायावती सीधे सीधे उपजाऊ भूमि बेच कर भागीदारी से पैसा बना रहे है. किसानो और मजदूरों की किसको चिंता है. कल ये लोग हतियार उठा लेंगे तो – माओवादी कहेलायेंगे.
दूसरी हमारी मनानाया सोनिया गाँधी जी हैं.
राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर चल रहे भ्रष्टाचार आरोप के मामलों सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़े कार्यों में यदि कोई भ्रष्टाचार का दोषी पाया जाएगा, तो उसे खेलों के आयोजन के बाद सजा दी जाएगी. पहले क्यों नहीं. समझ नहीं आता की हमारे देश में सांप के निकल जाने के बाद ही क्यों लकीर पीती जाती है. सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों का संबंध किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति से नहीं है. यह एक राष्ट्रीय गौरव है और इन्हें सफ़ल बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए. मैडम आपको क्या पता राष्टीय गौरव किस चिड़िया का नाम है. अगर इतनी ही चिंता इस गौरव की होती तो आज अफजल गुरु फंसी पर लटक चूका होता. और आपके संत्री मंत्री किसी चिता हैं इस शब्द की.

उधर, राज्यसभा सदस्य अय्यर ने कहा, "अगर राष्ट्रमंडल खेल सफल हुए तो निजी तौर पर मुझे इसकी कोई खुशी नहीं होगी।" उन्होंने कहा, "मैं इन दिनों हो रही बारिश से बहुत खुश हूं। इसकी पहली वजह यह है कि बारिश खेती के लिए अच्छी है। दूसरी बात यह कि इससे राष्ट्रमंडल खेलों का विफल होना भी सुनिश्चित हो जाएगा।" ये विचार विपक्षी नेता के नहीं है – ये राज्यसभा में सारकार के नुमाइंदे हैं.
कितने उच्च विचार है. धन्यवाद अय्यर साहिब.
तस्वीर का एक अन्य पहलू हैं : हमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्री मति शीला दीक्षित जी, नजाकत और नफासत की मिसाल. जिन्होंने दिल्ली में खेलों के लिए दिल्ली के विकास की परियोजनाओं के लिए पहले ही १६ हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। शीला ने सभी परियोजनाओं के पूरा होने की पिछले महीने की समयसीमा ३१ अगस्त बताई थी। देख लेंगे ३१ अगस्त को भी. करोडो अरबो रुपे खर्च हो चुके हैं पर अभी तक कोई भी नेता छाती ठोक का ये नहीं कह सकता की इन खेलों से हमारा “राष्ट्रीय गौरव” सही सलामत रह जायेगा.
खुदा खैर करे. हमारा क्या है ... खामखाह गरियाते रहते है।
इक़बाल की इन चंद पंक्तियों के साथ विराम
वतन की फ़िक्र कर नादां ! मुसीबत आने वाली है
तेरी बर्बादियों के मश्वरे हैं आसमानों में
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालों
तुम्हारी दास्तां तक भी न होगी दास्तानों में
जय राम जी की
वतन की फ़िक्र कर नादां ! मुसीबत आने वाली है
तेरी बर्बादियों के मश्वरे हैं आसमानों में
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालों
तुम्हारी दास्तां तक भी न होगी दास्तानों में
जय राम जी की
comenwealth for shame not game in india
जवाब देंहटाएंदीपक जी क्या कीजियेगा इनको पकरने या रोकने की साडी व्यवस्था ही ख़त्म हो गयी है ,अब तो सिर्फ एक भयानक जनआन्दोलन की ही आशा है जिससे कुछ सार्थक परिणाम मिल सके ...
जवाब देंहटाएंwah deepak ji wah kiya mausam ka maja liya hai
जवाब देंहटाएंara ek plot aap ko bhee dila denga aur to aur aap ka hissa bhee pahucha danga bas ek bar game to ho jana do extra tax bhee laad denga aur pata nahi kiya kiya inaam sarkar degi
कुछ नहीं होना बाबा जी , इंदिरा नेहरू परिवार ने फुल टाइम देशसेवा ( ?) की और अरवो की सम्पति बनाई; है कोई पूछने वाला.
जवाब देंहटाएंबल्कि उनकी तश्वीर लगते है विध्ह्यालायो मे की ये लोग कितने महान थे और धीरे धीरे वाकी महान लोगो को भूलते जाते है.
खेल के मैदान ( स्टेडियम ) से ले कर एअरपोर्ट मेडिकल collage तक और रोजगार योजना से ले कर वाल विकास योजना तक बस चार नाम से चलते है ( इंदिरा , जवाहर, राजीव और संजय गाँधी) ; जैसे देश ने और कोई महापुरुष पैदा ही नहीं हुआ.
एक हाई स्कूल पास व्यक्ति के नाम पर पोस्ट garduate मेडिकल Collage ( संजय गाँधी PGI ) देश के वाकी scintist के साथ मजाक नहीं तो क्या है ; लेकिन हम है की इस बात की तारीफ करे जा रहे है की भाई इस परिवार से महँ कोई परिवार हो ही नहीं सकता इस लिए कलमाड़ी जी वेशरामी से कहते है की में जनता की आवाज पर नहीं सोनिया जी के कहने पर इस्तीफा दूंगा नहीं तो मुझे हक है की मै जनता के पैसे को जैसे चाँहू बर्बाद करू कोई कुछ कैसे पूछ सकता है और सब चुप रहते है कोई ये नहीं कहता की देश बड़ा या सोनिया जी?
sahi kha hai deepak ji aap ne
जवाब देंहटाएंहमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्री मति शीला दीक्षित जी, नजाकत और नफासत की मिसाल. जिन्होंने दिल्ली में खेलों के लिए दिल्ली के विकास की परियोजनाओं के लिए पहले ही १६ हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। शीला ने सभी परियोजनाओं के पूरा होने की पिछले महीने की समयसीमा ३१ अगस्त बताई थी। देख लेंगे ३१ अगस्त को भी. करोडो अरबो रुपे खर्च हो चुके हैं पर अभी तक कोई भी नेता छाती ठोक का ये नहीं कह सकता की इन खेलों से हमारा “राष्ट्रीय गौरव” सही सलामत रह जायेगा.
अपनी हैगी काशी तो फिर क्यों जाऊं मैं काबा
जवाब देंहटाएंधन्य भाग हमारे जो तुम मिल गए हे बाबा !