19 अग॰ 2010

राष्ट्रमंडल खेल - चोर उचक्के चोधरी ते लुच्ची रन प्रधान

पंजाबी में एक कहावत है "चोर उचक्के चोधरी ते लुच्ची रन प्रधान" . पता नहीं पूर्व में कहावतों का विस्तार या फिर कहें निर्माण कैसे हुवा होगा. कुछ भी नहीं कहा जा सकता. समाज के हालात देख कर कुछ समझदार लोगों नें कुछ वाक्य कहें होगे – जो प्रचलित हो गए इत्यादी. पर आज में इस कहावत की बात इस लिए कर रहा हूँ – की आज की राजनितिक परिपेक्ष में ये कहावत बिलकुल सटीक बैठेती है.
पहले बात उतरप्रदेश की मुख्यमंत्री बहिन मायावती की. इनके २००७ में विजयी पर मुझे बहुत प्रसंता मिला थी. ये नहीं की में बी एस पी कर कार्यकर्ता हूँ – बल्कि इसलिए की देखो दलित पिछड़े वर्ग की एक महिला अपने दम ख़म पर इतने बड़े राज्य की मुख्यमंत्री बन्ने जा रही है. फक्र हुवा अपने देश और अपनी संस्कृति पर. पर आज जब नेता लोग आजादी की पूर्व संध्या पर सन्देश दे रहे थे – बहिनजी नें किसानों पर गोलियाँ बरसा कर जलियांवाला बाग की याद दिला दी. गेटर नोएडा से आगरा के बीच बन रहे यमुना एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन के अधिग्रहण को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा. किसानो को एक्सप्रेस-वे से कोई परेशानी नहीं है, परन्तु एक्सप्रेस-वे के नाम पर जो उपजाओ भूमि जे पी ग्रुप को दी जा रही है वहाँ एक बिल्डर से क्या अपक्षा की जा सकता है – प्लाट कटेंगे – माल बनेगे – महंगी कालोनियां बनेगी. और येही धरती पुत्र इनको दूर से निहारेंगे. हो सकता है यहाँ की महिलाएं इन कालोनी में बाई का काम करें- यहाँ के पुत्र कल इन कालोनी में सब्जी बेचें. हाँ, यहाँ कोई उद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाता – जहाँ नौजवानों को रोजगार की उम्मीद होती तो बात अलग थी. इन ग्रामीणों के लिए कोई रोज़गार के अवसर पैदा किया जाता तो इनता कलेश नहीं था. किसानो से जमीन ले ली गई तो क्या करेंगे. न तो अब तक सरकार नें इनके हाथ में कोई तकनिकी हुनर दिया है – न ही ज्यादा पड़े लिखे हैं की कहीं ढंग की नौकरी कर लें.
बात इतनी है की जे पी ग्रुप और मायावती सीधे सीधे उपजाऊ भूमि बेच कर भागीदारी से पैसा बना रहे है. किसानो और मजदूरों की किसको चिंता है. कल ये लोग हतियार उठा लेंगे तो – माओवादी कहेलायेंगे.

दूसरी हमारी मनानाया सोनिया गाँधी जी हैं.
राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर चल रहे भ्रष्टाचार आरोप के मामलों सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़े कार्यों में यदि कोई भ्रष्टाचार का दोषी पाया जाएगा, तो उसे खेलों के आयोजन के बाद सजा दी जाएगी. पहले क्यों नहीं. समझ नहीं आता की हमारे देश में सांप के निकल जाने के बाद ही क्यों लकीर पीती जाती है. सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों का संबंध किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति से नहीं है. यह एक राष्ट्रीय गौरव है और इन्हें सफ़ल बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए. मैडम आपको क्या पता राष्टीय गौरव किस चिड़िया का नाम है. अगर इतनी ही चिंता इस गौरव की होती तो आज अफजल गुरु फंसी पर लटक चूका होता. और आपके संत्री मंत्री किसी चिता हैं इस शब्द की.
कलमाडी साहिब छाती ठोक कर कह रहे हैं : उनकी नेता सोनिया गाँधी व मनमोहन सिंह कहेंगे तो वो इस्तीफा दे देंगे. अपना ज़मीर तो खत्म हो चूका है या कह लें की मर चूका है. अब नेता कहेंगे तो. नेता को क्या जरूरत है – तुम्हारे से इस्तीफा मांगने की.
उधर, राज्यसभा सदस्य अय्यर ने कहा, "अगर राष्ट्रमंडल खेल सफल हुए तो निजी तौर पर मुझे इसकी कोई खुशी नहीं होगी।" उन्होंने कहा, "मैं इन दिनों हो रही बारिश से बहुत खुश हूं। इसकी पहली वजह यह है कि बारिश खेती के लिए अच्छी है। दूसरी बात यह कि इससे राष्ट्रमंडल खेलों का विफल होना भी सुनिश्चित हो जाएगा।" ये विचार विपक्षी नेता के नहीं है – ये राज्यसभा में सारकार के नुमाइंदे हैं.
कितने उच्च विचार है. धन्यवाद अय्यर साहिब.
तस्वीर का एक अन्य पहलू हैं : हमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्री मति शीला दीक्षित जी, नजाकत और नफासत की मिसाल. जिन्होंने दिल्ली में खेलों के लिए दिल्ली के विकास की परियोजनाओं के लिए पहले ही १६ हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। शीला ने सभी परियोजनाओं के पूरा होने की पिछले महीने की समयसीमा ३१ अगस्त बताई थी। देख लेंगे ३१ अगस्त को भी. करोडो अरबो रुपे खर्च हो चुके हैं पर अभी तक कोई भी नेता छाती ठोक का ये नहीं कह सकता की इन खेलों से हमारा “राष्ट्रीय गौरव” सही सलामत रह जायेगा.
खुदा खैर करे. हमारा क्या है ... खामखाह गरियाते रहते है।

इक़बाल की इन चंद पंक्तियों के साथ विराम
वतन की फ़िक्र कर नादां ! मुसीबत आने वाली है
तेरी बर्बादियों के मश्वरे हैं आसमानों में
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालों
तुम्हारी दास्तां तक भी न होगी दास्तानों में

जय राम जी की

6 टिप्‍पणियां:

  1. comenwealth for shame not game in india

    जवाब देंहटाएं
  2. दीपक जी क्या कीजियेगा इनको पकरने या रोकने की साडी व्यवस्था ही ख़त्म हो गयी है ,अब तो सिर्फ एक भयानक जनआन्दोलन की ही आशा है जिससे कुछ सार्थक परिणाम मिल सके ...

    जवाब देंहटाएं
  3. wah deepak ji wah kiya mausam ka maja liya hai
    ara ek plot aap ko bhee dila denga aur to aur aap ka hissa bhee pahucha danga bas ek bar game to ho jana do extra tax bhee laad denga aur pata nahi kiya kiya inaam sarkar degi

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ नहीं होना बाबा जी , इंदिरा नेहरू परिवार ने फुल टाइम देशसेवा ( ?) की और अरवो की सम्पति बनाई; है कोई पूछने वाला.
    बल्कि उनकी तश्वीर लगते है विध्ह्यालायो मे की ये लोग कितने महान थे और धीरे धीरे वाकी महान लोगो को भूलते जाते है.
    खेल के मैदान ( स्टेडियम ) से ले कर एअरपोर्ट मेडिकल collage तक और रोजगार योजना से ले कर वाल विकास योजना तक बस चार नाम से चलते है ( इंदिरा , जवाहर, राजीव और संजय गाँधी) ; जैसे देश ने और कोई महापुरुष पैदा ही नहीं हुआ.
    एक हाई स्कूल पास व्यक्ति के नाम पर पोस्ट garduate मेडिकल Collage ( संजय गाँधी PGI ) देश के वाकी scintist के साथ मजाक नहीं तो क्या है ; लेकिन हम है की इस बात की तारीफ करे जा रहे है की भाई इस परिवार से महँ कोई परिवार हो ही नहीं सकता इस लिए कलमाड़ी जी वेशरामी से कहते है की में जनता की आवाज पर नहीं सोनिया जी के कहने पर इस्तीफा दूंगा नहीं तो मुझे हक है की मै जनता के पैसे को जैसे चाँहू बर्बाद करू कोई कुछ कैसे पूछ सकता है और सब चुप रहते है कोई ये नहीं कहता की देश बड़ा या सोनिया जी?

    जवाब देंहटाएं
  5. sahi kha hai deepak ji aap ne
    हमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्री मति शीला दीक्षित जी, नजाकत और नफासत की मिसाल. जिन्होंने दिल्ली में खेलों के लिए दिल्ली के विकास की परियोजनाओं के लिए पहले ही १६ हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। शीला ने सभी परियोजनाओं के पूरा होने की पिछले महीने की समयसीमा ३१ अगस्त बताई थी। देख लेंगे ३१ अगस्त को भी. करोडो अरबो रुपे खर्च हो चुके हैं पर अभी तक कोई भी नेता छाती ठोक का ये नहीं कह सकता की इन खेलों से हमारा “राष्ट्रीय गौरव” सही सलामत रह जायेगा.

    जवाब देंहटाएं
  6. अपनी हैगी काशी तो फिर क्यों जाऊं मैं काबा
    धन्य भाग हमारे जो तुम मिल गए हे बाबा !

    जवाब देंहटाएं

बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.