3 नव॰ 2010

एक ठो लघु कुत्ता कथा......

फोटो साभार : www.wheelchairsfordogs.com


जंगल में एक हरे भरे जगह पर कुकर सभी इक्कट्ठा हैं........ मौका है - नया सरदार चुनने  की रस्म पूर्ति करने का .......
वैसे तो कुक्कर स्वाभाव से ही स्वामिभक्त होते है और ये चुनाव वगैरा में मन नहीं लगाते  - पर क्या है कि इस जंगल में लोकतंत्र की रावायत चली हुई है....... इसलिय दिखाने को ही सही... सभी कुक्कर चुनाव में भाग लेते हैं व् अगले तील साल के लिए सरदारी तय करते हैं.... वैसे ये सरदारी भी एक ही वंश के अधीन है........ शुरू से ही इस वंश को सरदारी करने का शौंक रहा था..... इसके लिए जंगल भी बाँट डाला गया...... ताकि अपनी सरदारी कायम रहे...... उसके बाद जो पुश्ते हुई .... उन्होंने और इस सरदारी को पुख्ता किया.....

वैसे इस जंगल का इतिहास बहुत ही पुराना है. कई सैकड़ों साल पहले दुसरे जंगल के जानवरों ने यहाँ के सिंहों पर शासन किया..... इतनी गुलामी के बाद सिंह दहाड़ना तो दूर, गुराना ही भूल गए.. कोई २०० साल पहले कुछ गोरे रंग के अलग तरह से जानवर इस जंगल में आये और ....... उन्होंने सिंहो को बिलकुल ही बदल डाला...... और उन्हें नख दांत शक्ति वहीन कर दिया ..... हालाँकि समय समय पर कुछ सिंह सरदार भी आये पर और उन्होंने अपनी कौम को जाग्रत करने का प्रयास किया पर - गौरे जानवरों की शिक्षा का इत्ता प्रभाव था कि उनका कोई प्रयास कामयाब नहीं हुवा.

आइये फिर उसी हरे-भरे  स्थल पर चलते हैं - इस समय 50  से भी ज्यादा कुक्करों ने खड़े होकर पुराने सरदार के पक्ष में अपनी निष्ठा  दर्शाई ..... और देखते ही देखते ... कई कुक्करों  ने इक्कठे एक सुर में भौंकने लगे....

निवर्तमान सरदार ..... संतुष्ट हुवा..... और एक ऊँचे टीले पर चढ़कर ... जोर की गुर्हात भर का सब को शांत रहने का इशारा किया...... कुक्कर समुदाय बहुत ही प्रस्सन था ...... जज्बातों को काबू में रख कर चुप तो हुवा..... पर उमंगें इत्ती ज्यादा थी अत:  उन्होंने सरदार के वर्णसकर्ण युवा पुत्र को घेर लिया ........ और उसकी भी स्तुति गान करने लगे.. निष्ठा और चम्मागिरी का ये अनुपम उद्धरण कहीं और देखने को नहीं मिला.

हालांकि मुद्दे तो बहुत थे...... कई कुक्कर भष्टाचार की सभी हदें पार कर चुके थे..... कुछ तो रक्षकों के मकान को अपने नाम किये बैठे थे, कुछ जंगल के जानवरों का राशन गोदाम में रख कर भूल गए थे - जो बाद में पड़ा-पड़ा सड़ गया . कुछ ने जंगल गौरव के नाम  हजारों करोड़ डकार चुके लिए ...... पर सरदार ने इन सब को भुला कर सिंहो के उस गिरोह पर ही निशाना साधा. उन्हें आंतकवादी करार दे दिया गया ........ कुक्कर समुदाय और प्रस्सन हुवा......... मीडिया भी थी..... चकाचक फोटू, अखबार में पहले पेज पर ८० पॉइंट बोल्ड हेडिंग लगी " आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता" को बक्शा नहीं जाएगा........

जिन कुकरों ने दुनिया भर के घोटाले कर रखे थे.....  बहुत खुश हुए और सरदार का इशारा पार का भौंकते हुए हमला करने भाग पड़े 

24 टिप्‍पणियां:

  1. कुक्कर स्वाभाव से ही स्वामिभक्त होते है

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  2. सुंदर अतिसुन्दर , कई अर्थों को अपने में समाये हुई रचना, बधाई

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  3. भाई आप सब अपना दिमाग लगाइए........... हमने तो बकना था.. बक दिया......

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  4. वैसे इस जंगल का इतिहास बहुत ही पुराना है. कई सैकड़ों साल पहले दुसरे जंगल के जानवरों ने यहाँ के सिंहों पर शासन किया..... इतनी गुलामी के बाद सिंह दहाड़ना तो दूर, गुराना ही भूल गए.. कोई २०० साल पहले कुछ गोरे रंग के अलग तरह से जानवर इस जंगल में आये और ....... उन्होंने सिंहो को बिलकुल ही बदल डाला...... और उन्हें नख दांत शक्ति वहीन कर दिया ..... हालाँकि समय समय पर कुछ सिंह सरदार भी आये पर और उन्होंने अपनी कौम को जाग्रत करने का प्रयास किया पर - गौरे जानवरों की शिक्षा का इत्ता प्रभाव था कि उनका कोई प्रयास कामयाब नहीं हुवा.

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  5. आइये फिर उसी हरे-भरे स्थल पर चलते हैं - इस समय 50 से भी ज्यादा कुक्करों ने खड़े होकर पुराने सरदार के पक्ष में अपनी निष्ठा दर्शाई ..... और देखते ही देखते ... कई कुक्करों ने इक्कठे एक सुर में भौंकने लगे....

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  6. निवर्तमान सरदार ..... संतुष्ट हुवा..... और एक ऊँचे टीले पर चढ़कर ... जोर की गुर्हात भर का सब को शांत रहने का इशारा किया...... कुक्कर समुदाय बहुत ही प्रस्सन था ...... जज्बातों को काबू में रख कर चुप तो हुवा..... पर उमंगें इत्ती ज्यादा थी अत: उन्होंने सरदार के वर्णसकर्ण युवा पुत्र को घेर लिया ........ और उसकी भी स्तुति गान करने लगे.. निष्ठा और चम्मागिरी का ये अनुपम उद्धरण कहीं और देखने को नहीं मिला.

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  7. जिन कुकरों ने दुनिया भर के घोटाले कर रखे थे..... बहुत खुश हुए और सरदार का इशारा पार का भौंकते हुए हमला करने भाग पड़े

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. यह हुई ना बात बाबा, बात बात में सब कह दिया. इन कुत्तों कि साली जात ही ऐसी है ..

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  10. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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  11. बहुत सटीक!!




    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

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  12. आप भी कुत्तों के चक्कर में पद गए दीपक बाबा ! यह बहुत खतरनाक होते हैं चिपट गए तो धोती .... ! संभल के ..
    दीपावली पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें

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  13. मजेदार कथा -दीपों की देदीप्यमान ज्योतियाँ आपके जीवन में अपार खुशियाँ लाये !

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  14. बाबाजी , आपने हमें कव्वे में भी ढूंढ लिया| हमने तो सोचा था कि वो ब्लॉग पर सस्ता सा इन्टेलेक्ट परोसेंगे| अटल जी के शब्दों में कहा जाए तो - ' ये अच्छी बात नहीं है |' :)

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  15. बाबा जी आप क्या कहना चाहते है हमे पता चल गया है मगर चुप रहेगे. बहुत सही कटाक्ष है..... दीपावली के शुभ अवसर पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें

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  16. दीपक भाई.. आपने तो नया एनिमल फार्म रच दिया!!

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  17. दीपावली पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं....

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  18. वा वूऊऊऊऊऊ....वा वूऊऊऊऊ...वा वूऊऊऊ...अपने और अपने जैसों के बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा...

    दिवाली की शुभकामनाएं

    नीरज

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  19. बढ़िया व्यंग्य है ... कुत्तों की नहीं अपने देश की कहानी है ...

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  20. दीपक जी, यह लिखना भूल गए कि इन कुत्तों के आगे कोई भी रोटी डाल दे ये उनके आगे पूंछ हिलाने लगते हैं चाहे वेह किसी भी जंगल के शेर हों या आतंकवादी

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.