क्या प्रेस में बैठ कर खैनी रगड़ते रहे हो ........ शर्म करो - छोडो ये सब...... चाय पानी का प्रबंध करो. - झा अंकल उवाच...........
और शर्म के मारे हमने भी हाथ झडक लिए......
पानी आया ....... और उसके पश्चात चाय....
अब सुरती खानी - मैं खिलाता हूँ....... तुमसे नहीं बनेगी. लाओ पुडिया दो. झा अंकल ने कुछ रोब झाड़ते हुए कहा.......
देखो सुरती खाने के कुछ नियम कानून होते है - सबसे पहला जो तुमने तोडा - अकेले के लिए सुरती नहीं बनाते ...कम से कम दो लोग मिले - तब एक सुरती बनावे...
अंकल जी, कैंसर का ज़माना है - रोज ही कोई न कोई मर रहा है - मुंह के कैंसर से ..
मारना है - बस यही सत्य है बाकि सब मिथ्या .... कोई सब्जी तो कोई अनाज, कोई दारू तो कोई सुल्फा.... कोई घी बादाम तो कोई मूंगफली....... पर सत्य तो है कि मारना है - बचेगा तो कोई नहीं न......... हज़ारों लोग ऐसे है जो तम्बाकू न खाते हुए भी केंसर का सिकार हो रहे है...... काहे सोचना..... कुछ तो भूखे ही मर रहे है - और कुछ पड़ोस से आये आंतकवादियों की गोलिओं से - बेवज़ह ....... सरकार को उसके लिए भी तो कुछ सोचना चाहिए..... खाली पीली कैंसर का भबका देने से काम नहीं चलेगा न.
देखो बाबू, केला, पान, तुलसी, मखाना और तम्बाकू ये ऐसे पदार्थ है जो बैकुंठ में भी नहीं मिलते........
कृष्ण चले बैकुंठ को - राधा पकड़ी बांह
यहाँ तम्बाकू खाय लो - वहाँ तम्बाकू नाह
एक बार कृष्ण जी बैकुंठ जाने को हुए - तो राधा ने रोका और बोली प्रभु बैकुंठ जा रहे है - तम्बाकू तो खाते जाइये ..... वहाँ नहीं मिलना . इस प्रकार बहुत वर्णन है. अत: इसे बहुत ही प्रेमपूर्वक करके खाना चाहिए.और तो और हमारे मिथिलांचल में एक और बात है :
छोट गाच्छ - लम्ब पात : होंठ में समात है
वंश में कपूत जो - तम्बाकू नहीं खात है .
वाह पंडित जी, वाह आपने तो निशब्द कर दिया.. पर अभी तक सुरती बनी नहीं - इतना वर्णन कर दिया और इतना घिस दिया..
इसका तरीका होता है..... ये नहीं कि गब्बर सिंह की तरह २-३ सेकण्ड रगडा और मुंह में डाल दिया
१०३ गुस्स्सा ३ चुटकी १३ ताल
फिर देखो सुरती का हाल.
अरे बाबू जब पंडित जी कह ही दिया है तो कुछ संस्कृत में भी सुनो .. फिर मत कहना नकली पंडित हूँ, वामहस्ते दक्षिणहस्तागुश्ते मर्दने फटकने मुखमार्जने विनियोग.
समझे.
लो हाथ करो - और इज्ज़त से इस सुरती को ग्रहण कर मुंह में रखो और मेरे ११ रुपे दक्षिणा दो ...... चलते हैं
जय राम जी की.
राम राम ........क्या सुरती खिलाई है आपने बाबा जी ........जय हो .......
जवाब देंहटाएंलेख भी लिख लिया और एक जन सन्देश भी दे दिया और ऊपर से आपके दोहे ...कमाल है ........ये हुई ना बात.........आभार .......
bbc- budhi bardhak churn
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी बी.बी.सी. (बुद्धि बर्धक चूर्ण) की महिमा!!
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया सुरती की बकबक सुनकर ....ससुरा हथवा से सुरती का खुसबू आने लगा
जवाब देंहटाएंअब सोच रहा हूँ बाबा की खैनी का स्वाद चख ही लूँ..
वंश में कपूत जो - तम्बाकू नहीं खात है .
जय हो बाबा की
अब खैनी का स्वाद चख ही लूँ.. na baba baba na
जवाब देंहटाएंहमारे सबसे बड़े आदर्श देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी हैं...
जवाब देंहटाएंदेखो बाबू, केला, पान, तुलसी, मखाना और तम्बाकू ये ऐसे पदार्थ है जो बैकुंठ में भी नहीं मिलते........
जवाब देंहटाएंकृष्ण चले बैकुंठ को - राधा पकड़ी बांह
यहाँ तम्बाकू खाय लो - वहाँ तम्बाकू नाह
एक बार कृष्ण जी बैकुंठ जाने को हुए - तो राधा ने रोका और बोली प्रभु बैकुंठ जा रहे है - तम्बाकू तो खाते जाइये ..... वहाँ नहीं मिलना . इस प्रकार बहुत वर्णन है. अत: इसे बहुत ही प्रेमपूर्वक करके खाना चाहिए.
और तो और हमारे मिथिलांचल में एक और बात है :
छोट गाच्छ - लम्ब पात : होंठ में समात है
वंश में कपूत जो - तम्बाकू नहीं खात है .
वाह पंडित जी, वाह आपने तो निशब्द कर दिया.. पर अभी तक सुरती बनी नहीं - इतना वर्णन कर दिया और इतना घिस दिया..
इसका तरीका होता है..... ये नहीं कि गब्बर सिंह की तरह २-३ सेकण्ड रगडा और मुंह में डाल दिया
१०३ गुस्स्सा ३ चुटकी १३ ताल
फिर देखो सुरती का हाल.
अरे बाबू जब पंडित जी कह ही दिया है तो कुछ संस्कृत में भी सुनो .. फिर मत कहना नकली पंडित हूँ, वामहस्ते दक्षिणहस्तागुश्ते मर्दने फटकने मुखमार्जने विनियोग.
समझे.
लो हाथ करो - और इज्ज़त से इस सुरती को ग्रहण कर मुंह में रखो और मेरे ११ रुपे दक्षिणा दो ...... चलते हैं
जय राम जी की.
ek bahut hi sunder gawahi ke yogya karan bataye hai ab sab log bag mast hoker surti ka prasad pa sakte hai...
jai baba banaras.....
आपकी सुरति आपको ही मुबारक। दक्षिणा के 11 रूपये भी नहीं देने वाली हूँ।
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह क्या लिखा है पर सुरति के नाम पर कोई दक्षिणा नहीं मिलने वाली....
जवाब देंहटाएंye surti bhi kamal ki cheej hai..khane ka maja padhne mein bhi maja badhayee
जवाब देंहटाएं