इशारों के अगर समझो तो राज को राज रहने दो...
देर रात तक घर से बाहर रहना
रात खाली सड़कों पर फर्राटेदार महंगी बाईक चलाना...
बात बात पर गुस्सा खा जाना...
अब ये मारक केलिग्राफी.....
खुदा मेरे देश के युवा वर्ग को सही दिशा दे ... पडोसी की नियत शुरू से सही नहीं है ...
ये केलिग्राफी पार्क (तिहाड गाँव - झील वाले पार्क) में खाली पड़े शेड (दुकानों) के उपर बनी है....
कई दिन से देख रहा था...... समझ से परे है.
आज आपसे साँझा की हैं ....
जय राम जी की.
........................................................................................................................................................विद्वानों ने कहा है, शब्दों की कमी को चित्रों द्वारा पूरा किया जा सकता है ................ एक प्रयास किया है ..
मेरी नज़र में ....
http://deepakcomposer.blogspot.com/
हर छोटे-बड़े शहर का एक ही आलम है। छोटी-छोटी बातों पर आस्तीनें चढने लगी हैं।
जवाब देंहटाएंयह स्याह भविष्य की ओर इशारा कर रहे हैं
जवाब देंहटाएंachchhi post
जवाब देंहटाएंकला पक्ष या काला पक्ष?
जवाब देंहटाएं... या अपने अपराधी आकाओं को अपनी ज़रूरतों के सन्देश भेजने का नया सुरक्षित तरीका? जो भी हो, पुलिस-प्रशासन की आण्ख तो खुलने से रही।
जवाब देंहटाएंek naye marg darshan ki talaash main yuva varg ka bhatkaw hai.....
जवाब देंहटाएंjai baba banaras.........
युवावर्ग तक आपका ये सन्देश पहुँचे ऐसी कामना...
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति... रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंदीपक जी इन चित्रों को कमिश्नर आाफ पुलिस दिल्ली की मेल पर तुरंत भेजिए। bk.gupta@nic.in यह ई मेल है और इसे पढ़ लीजिए http://avinash.nukkadh.com/
जवाब देंहटाएंसरवाइवल आफ द फिटेस्ट की संस्कृति को धारण करने पर यही तो होगा। सर्वे भवन्तु सुखिन: तो हमने बिसरा दिया है, यह तो भारतीय पिछड़ापन का प्रतीक बन गया है।
जवाब देंहटाएंबहुत दुखद है यह सब.
जवाब देंहटाएंमित्र आपके संदेस बहुत विकल करते हैं ,यथार्थ को चित्रित करते हैं ,हम क्या दे रहे हैं अपने नौनिहालों को ? ....इस विखराव के पीछे कौन करक हैं ? समाधान भी आवश्यक है .... / शुक्रिया जी /
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