Photographs : deepak dudeja काग भुशंडी..... अकेले बैठ ... बक बक करता रहता है ... सब बेकार ... |
मामा
मोनू चल ..कहाँ...तिहाड़ जेल से सामने..छोड़ यार, आज देट पर जाना है......साले, छोड़ दे कुछ दिन के लिए ये देट वेट .... नहीं तो कल तुम्हारे बच्चे प्रशन करेंगे ...पापा जब देश में दूसरी आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी तुम कहाँ थे?और तुम मन ही मन सोच रहे होगे..अरे बेवफा, जब मेरे दोस्त अन्ना के साथ आन्दोलन कर रहे थे और मैं तेरी जुल्फों की छाँव में गुलजार को पढ़ रहा था, उस पर भी तुम किसी और की हो गयी, और मैं आज तुम्हारे बच्चों से आँखे चुराता घूमता हूँ.... कहीं मामा न कह दें.....
बुढ़ापा
पापा,बेटा, बोलो.....जाओ न, शर्मा अंकल भी जा रहे हैं... पड़ोस में ही .... अन्ना हजारे को छुडवाने..अरे पपू, दूकान कौन संभालेगा, आजकल वैसे भी मोमबत्ती की शोर्टेज पड़ रही है..जाओ न पापा... नहीं कल जब दूसरी आजादी वालों की भी पेंशन बनेगी... और तुम्हारा नाम तो होगा नहीं तिहाड जेल के रजिस्टर में.....कल तुम मेरे पर बोझ बनोगे... जाओ ... हो सकता है आंदोलनकारियों की पेंशन बन जाए ... और तुम्हारा बुढ़ापा आराम से कट जाएगा...
पनवाडी
रामू तुम क्यों परेशान हो.... दुनिया नाच गा रही है... और एक तुम हो कि चेहरे पर बारह बजा रखे हैं..क्या करें भाई, आम दिनों में, कैदियों को मिलने वाले आते है ... कुछ गुटखा और सिगरेट खरीद के ले जाते है... पर जब से ये अन्ना का दंगा शुरू हुआ है.... कोई खरीददार नहीं है...लोग अनशन की बात करते है ... रोटी तो खाते नहीं.... पान सिगरेट क्या पीयेंगे....इसलिए उदास हूँ...
किसानी
अंकल जी....क्या हुआ, क्यों उदास हो....
कुछ नहीं बेटा, टीवी देख रहा हूँ,
पर यहाँ तो अन्ना हजारे का लाइव निव्ज़ आ रहा है,
हाँ बेटा, मैंने भी देखा था जे पी को लाइव, पटना के गांधी मैदान में, बहुत उम्मीदें थी,
फिर
फिर क्या बेटा, पब्लिक है, सब भूल जायेगी - जैसे जे पी को भूल गयी. जैसे मैं आज परेशान हूँ, ये युवा पीढ़ी भी १०-२० साल बाद परेशान होगी..... वो भी तब जब लोक पाल बिल पारित हो जाएगा ...... और ये देश यूँ ही बर्गर पिज्जा खाता हुआ विकास की राह पर चल रहा होगा, और किसानी करने को कोई नहीं होगा..... क्योंकि जमीने ही नहीं होगी... तब कोई नहीं पूछेगा, प्रधानमंत्री जी, गेंहूँ विदेश से ही क्यों आता है....
क्या अन्ना हजारे के मुताबिक़ लोकपाल बिल पास होने से सभी समस्याएँ हल हो जायेगीं ?
क्या किसान आत्महत्याएं करना भूल जायेंगे?
क्या झोपडपट्टी में रहेने वाले, खुले रोड पर शौच करने वाले, रेड लाइट पर भीख मांगे वाले -इज्ज़त से रह पायेंगे ?
क्या हिन्दुस्तान का वो पुराना वैभव लौट आएगा.... एक हिंदू साध्वी जेल में जलील नहीं होगी?
क्या पडोसी लोगों को उनकी औकात दिखा दी जायेगी... कि एक भी हिन्दुस्तानी को मारने का क्या अंजाम होता है. हिन्दुस्तानी लोगों की जीवन की कीमत एक कीड़े-मकोड़े से उपर हो जायेगी.
क्या अपनी महनत के बल पर खड़ा हुआ एक कुशल कारीगर .... जो अपने व्यवसाय खोल कर ४-५ लोगों को रोज़गार दे रहा है.......इन इंस्पेकटरों (सेल्स, इन्कम, एम सी डी, लेबर, पोल्लुशन) के पैर नहीं पड़ेगा.... गिडगिडायेगा तो नहीं... इंस्पेक्टर राज का खात्मा हो जाएगा
क्या मेंहनतकश मजदूर भी इज्ज़त की जिदगी के सपने देख पायेगा..
नहीं ...अन्ना हजारे जी, आपने रालेगन गाँव को आदर्श गाँव बना कर दिखाया .... अगर आप भारत के एक एक गाँव में इसी परकार अलख जागते ... नशा मुक्ति करते, पानी बचाते, स्वालंबन सिखाते ... उनको शहर जाने से रोकते तो मेरे ख्याल से भारत देश पुन: अपने पूर्ण वैभव को प्राप्त करता, बिना किसी लोकपाल बिल के.....
नहीं तो सब बेकार है....
समय बर्बाद.
और कुछ नहीं....
जय राम जी की.
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20.8.2011 को देर शाम जोड़ा गया : (पु:निश्चय)
जी, १६ टीप प्राप्त हुई है...... कोई भी बात जो अन्ना के प्रति विद्रोह दिखाती हो, ब्लोग्गर बंधुओं को स्वीकार नहीं... कोई बात नहीं.. मन के विचारों को बाहर निकलना चाहिए... न की नासूर बनने के छोड़ दें मन में ही..... बाकि कौन क्या करता है या कौन क्या करेगा... ये तो देश के हालात बता रहे हैं.... और बताते रहेंगे.
जलाते रहिये मोमबतियां..........
गाते रहिये गीत क्रांतियों के
हम भी गीत लिख रहे हैं क्रांति पर..
मेरी नज़र में ....
जय राम जी की.
सही है, लोकपाल से सभी समस्याओं का अंत नहीं होगा। लेकिन आमजन की सुनने वाली संस्था भी होनी चाहिए। जिसके पास मजबूर अपनी फ़रियाद लेकर जा सके और उसका समाधान मिल सके।
जवाब देंहटाएंशुरुवात जड़ से होनी चाहिए। हम सुधरेंगे युग सुधरेगा।
दोनों बाते अपनी जगह है,
जवाब देंहटाएंये बात भी ठीक जो आप कह रहे हो वो भी ठीक,
साँप मरना चाहिए वो भी ऐसे कि लाठी भी ना टूट पाये।
excellent one..
जवाब देंहटाएंवाह दीपक बाबा मान गये जी…
बकवास के नाम पर ही सही ज्ञान की ये बातें चलते रहने दीजिये ।
जवाब देंहटाएंआन्दोलन के कई पक्ष होते हैं...एक पक्ष आपका भी.
जवाब देंहटाएंये तो उस टीम की पहली मांग भर है इसके बाद चुनाव सुधार भी लाइन में है देश की व्यवस्था जब हर जगह ख़राब है तो उसे एक के बाद एक ही सुधार जा सकता है और लोकपाल किसानो को भी सुनेगा मजदूरों को भी सुनेगा जिस भी नेता के खिलाफ शिकायत करे सभी को सुनेगा |
जवाब देंहटाएंसब कुछ अन्ना हजारे ही करेंगे ? बाकी उनके किये पर फब्तियां कसेंगे ...?
जवाब देंहटाएंअन्ना ने एक गाँव के लिए किया ..उदाहरण रखा ... हर गाँव में रहने वाले लोग क्यों नहीं कुछ सीखते ...यदि सीख लें तो हर गाँव में विकास होगा ..
अन्ना ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध महाराष्ट्र में आंदोलन किया .. वहाँ कि सरकार झुकी .. तब भी लोग नहीं जागे .. आज वो पूरे देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठा रहे हैं .. तब भी कुछ लोग सोये हुए हैं ..जागना ही नहीं चाहते ..यह सब केवल उनके करने से नहीं होगा ... आप सबका साथ चाहिए ...
एक गाँव को आप भी दुरस्त कर दें। बस बैठे-बैठे खीसें निपोरना ही आता है।
जवाब देंहटाएंहम सुधरेंगे युग सुधरेगा।
जवाब देंहटाएंजाओ न पापा... नहीं कल जब दूसरी आजादी वालों की भी पेंशन बनेगी... और तुम्हारा नाम तो होगा नहीं तिहाड जेल के रजिस्टर में.....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...बहुत बारीकी से पकड़ा...
baba bahut sunder.....
जवाब देंहटाएंham aap ke vichro se sahmat hai.....
jai baba banaras...........
चिंतन के कुछ रूपों से अवगत कराने का आभार!
जवाब देंहटाएंदीपक बाबा अन्ना ने एक उदहारण तो प्रस्तुत किया ही है.
जवाब देंहटाएंबाकी जिनका जागरण हो सकता है हो जायेगा.
अधिक उम्मीद करना बेमानी है.
शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई.
ऐसे भी कह सकते हैं कि मेरा मालिक मेरी तन्ख्वाह नहीं बढा रहा। अगर अन्ना बढवा दे तो अन्ना का आन्दोलन सही है, वर्ना सब बेकार है, समय बर्बाद
जवाब देंहटाएंप्रणाम
कुछ नहीं बदलेगा, सोचकर कुछ बदलने की कोशिश न करना और फिर शिकायत करना कि सड़क पर शौच करने और रेड-लाईट पर भीख माँगने को मजबूर हैं.. कहाँ तक उचित है!!
जवाब देंहटाएंउन्होंने रालेगांव सिद्धि को आदर्श बनाया और हर गाँव में जाएँ, ये कहाँ का इन्साफ है भाई.. लाड दो, लडवा दो और घर तक भी छोडकर आओ.. मैंने रालेगांव में दिखाया तुम दूसरे गान व् में करो.. बाबा आमटे ने पूरा कुटुंब कोढियों की सेवा में लगा दिया.. अब वही या उनकी संतानें जा जाकर हर जगह कुष्ठ का उपचार करें, कहाँ तक उचित है भाई!
और ये आंदोलन और आदर्श ग्राम बनाना दोनों अलग अलग मुद्दे हैं.. दीपक भाई शांत हो जाइए!!
सही - सही ! मेरे ब्लॉग ॐ साईं पर नजर दौडाए और विकलीस को देखे !
जवाब देंहटाएंचुटकियाँ तो शानदार है
जवाब देंहटाएंइन्हें छोटी-छोटी क्षणिकाओं का रूप देते तो
मैं मांग लेती अपनी पत्रिका के लिए ....
पर आपकी सोच को दाद देती हूँ
मामा, बुढापा , पनवाड़ी ...वाह .....!!
waah ,behtreen kararevyangya, maangaye aapko
जवाब देंहटाएंandaj nirala hai....janmastmikihardik shubkamnaye
चुटीली चुटकिया ली हैं आपने. मज़ा आया.
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