31 अग॰ 2011

जनता बेचारी नग्न है...


पूजा का दिया..
मंदिर की घंटी..
धूप कपूर और बाती 
प्रसाद, खीर और पूरी
पता नहीं कितना कुछ..
वाह
प्रभु आप तो  मग्न है..

जनता बेचारी नग्न है...

11 टिप्‍पणियां:

  1. जनता इस सबकी आदी हो चुकी है और भाई लोग चाहते भी यही हैं।

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  2. जनता ऐसे ही रहेगी... तभी उनकी सत्ता चलेगी.. दरबार सजेगा...

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  3. प्रभु आप तो मग्न है...............


    jai baba banaras.....

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  4. सुन्दर रचना।
    विघ्नहर्ता विघ्न हरो
    मेटो सकल क्लेश
    जन जन जीवन मे करो
    ज्योति बन प्रवेश
    ज्योति बन प्रवेश
    करो बुद्धि जागृत
    सबके साथ हिलमिल रहें
    देश दुनिया के नागरिक

    श्री गणेशाय नम:……गणेश जी का आगमन हर घर मे शुभ हो।

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  5. अब तो नग्नता ही जनता का गहना हो गया है दीपक बाबू!! जब से तथाकथित देवता, भाग्यविधाता बन बैठे हैं!!

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  6. काश जनता को नग्न रहने की आदत पड़ जाए. अन्यथा राजनीति और ब्यूरोक्रेसी को कभी नंगा होना पड़ेगा. अच्छा वयंग्य.

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  7. बढियां है -तभी तो वह नग्न है -भगवान् तो सजे संवरे हैं न !

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  8. और रहेगी ... :)
    शुभकामनायें जनता को !

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  9. सब के सब घंटी टुनटुना रहे हैं और जितनी बड़ी माँग उतना बड़ा चढ़ावा...प्रसाद... जनता यह जानती है फिर भी... बेहतरीन.

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  10. बहुत उम्दा पंक्तियाँ ..... वहा बहुत खूब
    मेरी नई रचना
    खुशबू
    प्रेमविरह

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.