6 अक्तू॰ 2010

आओ आज रुदाली के लय में हम भी गायेंगे

आओ सभी सवेदनशील मित्रों
मिल कर रोयें हम
चाँद की उदासी तुम उधार मांग लाना
और गंगा का उदार पाट तुम लाना
कैलाश की ऊँचाई तुम लाना ए प्रिय
और मैं उधार लायूँगा मयूर के आंसू
तुम रुदालियों को भी न्योत कर आना
न्यौता उनको जरूर देना
कि महाशोक का उत्सव है
और उन्हें आंसुओं के दाम जरूर मिलेंगे
एक महा रुदन होगा...........
जिसके लाइव टेलेकास्ट का जिम्मा
बस – दूरदर्शन को ही मिलेगा.
वो लाइव टेलेकास्ट...
जिसपर कोई सट्टा नहीं लगायेगा
कोई  हारने पर आत्महत्या नहीं करेगा
और, किसी का परिवार तबाह नहीं होगा
ऐसा लाइव टेलेकास्ट ही दिखायेगा.......
हमारी गरीबी को.....
हमारी लाचारी को....
हमारे उन खयालातों को ..............
जिन्हें ज़माने ने नक्सलवाद का नाम दिया.
क्योंकि.............
जो गुबारा मेरी संस्कृति दिखा रहा था .....
वो ... ७० करोड का था.

प्रिये मत्रों ......
आओ आज रुदाली के लय में
हम भी गायेंगे.......

7 टिप्‍पणियां:

  1. वो लाइव टेलेकास्ट...
    जिसपर कोई सट्टा नहीं लगायेगा
    कोई हारने पर आत्महत्या नहीं करेगा
    और, किसी का परिवार तबाह नहीं होगा
    ऐसा लाइव टेलेकास्ट ही दिखायेगा.......
    हमारी गरीबी को.....
    हमारी लाचारी को....
    हमारे उन खयालातों को ..............
    जिन्हें ज़माने ने नक्सलवाद का नाम दिया.
    क्योंकि.............
    जो गुबारा मेरी संस्कृति दिखा रहा था .....
    वो ... ७० करोड का था.sahi keh

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  2. भाई जी, सत्तर हजार करोड़ का गुब्बारा है उसे आप सत्तर करोड़ का बता रहे गो। मानहानि का मुकदमा चला देगा कोई।

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  3. गज़ब की पोस्ट...भाई आपकी कलम को सलाम...
    नीरज

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.