शान्ति का दान दीजिए.........
कृपया शांत रहिये........
जैसे शब्द कई जगह लिखे होते हैं..... कई बार सोचते थे की शांत ही तो हैं.
पर ८-१० घंटे घर में बिलकुल एकांत में बैठने पर ये बात समझ आ जाती है. मोबाइल को स्विच ऑफ कर दीजिए...... लैंड लाइन फोन उठा कर रख दीजिए........... सौगंध खाइए ....... की किसी भी स्क्रीन के सामने नहीं बैठेंगे. खुद चाय भी मत बनाइये.......... किताबों को भी शेल्फ में रखी रहने दो..
शांति........
अनंत शान्ति.............
सुई भी नहीं गिर रही..........
शमशान के पीछे की शांति से भी ज्यादा खतरनाक........ ज्यादा विभात्सव........ आजमाइए.
खुद को आप कितना भी दार्शनिक समझें – पर ८-१० घंटे दिमाग कि दही करने को बहुत हैं. नहीं रह सकते. हम लोगों की जीवनचर्या........ बिलकुल बदल गयी है. सारा दिन कितने लोगों से घिरे रहते है. कई बार लगता है – नहीं एकांत चाहिए......... पर आज एकांत को हजम नहीं कर पा रहे.
दिन के अंत में २ पैग अंदर जाते ही शांति – भक्ति में तब्दील हो जाती है. परमात्मा साक्षात् उपस्थित हो जाते हैं.
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण - कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम - राम राम हरे हरे”
सूफी नृत्य....... तेज
और तेज
नहीं
नहीं
इस्कोन वाले गंजो जैसा नृत्य..........
तेज
और तेज
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण - कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम - राम राम हरे हरे”
आध-पौन घंटे – नहीं शायद एक घंटे............
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण - कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम - राम राम हरे हरे”
निढाल हो कर – फिर वही शान्ति.........................
निश्छल ........
शांत........
वो तख़्त ही तो साक्षी है..............
दिवार पर लगे चित्र से डैडी देख रहे हैं.......................
कुपुत्र की हरकतों को...
शान्ति.....
और
आंसुओं की वो अविरल धारा.......
पता नहीं कब तक...........
कब तक.........
वही आंसू
@दिन के अंत में २ पैग अंदर जाते ही शांति – भक्ति में तब्दील हो जाती है. परमात्मा साक्षात् उपस्थित हो जाते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत जरुरी है शांति के लिए दो पैग:)
शांति भक्ति के लिए दो पैग अन्दर करती है ... तब जाकर भक्ति की शक्ति प्रगट होती है .... श्रीमानजी ये आपने नया नुस्खा बता दिया .... हरे राम हरे कृष्ण हरे हरे ....
जवाब देंहटाएंआज के दौर दौरा में शांति को खोजने चले हैं ... अर्ज़ है
जवाब देंहटाएंतुम भी कब का फ़साना ले बैठे
अब वो दीवार है न दर बाबा
भूले बिसरे ज़माने याद आए
जाने क्य़ूं तुमको देखकर बाबा
@ललित जी, पैग के नाम पर बाबा के डेरे में आ गए.
जवाब देंहटाएं@महेंद्र जी आजमा कर देखना.
@मनोज कुमार जी, धन्यवाद - लगता है बाबा का फ़साना आप पर भी गुज़रा है.
दिवार पर लगे चित्र से डैडी देख रहे हैं.......................
जवाब देंहटाएंकुपुत्र की हरकतों को...
शान्ति.....
और
आंसुओं की वो अविरल धारा.......
पता नहीं कब तक...........
कब तक.........
वही आंसू
...touching !
.
बढ़िया पोस्ट
जवाब देंहटाएंबहुत जरुरी है शांति के लिए दो पैग:) भई बाबा का नुक्शा है कुछ तो दम होगा. हरे राम हरे कृष्ण हरे हरे ....
जवाब देंहटाएंजील, महक जी और उपेन्द्र जी, हौसला बढाने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंपैग के नाम पर आते ही मगर यह बात तो दिल में उतर गई..अंतिम पंक्तियों ने पूरी बात का कलेवर ही बदल दिया.
जवाब देंहटाएंपता नहीं कब तक
जवाब देंहटाएंवही आंसू
......
फिर वही शांती
फिर वही पैग
फिर वही पिता
फिर वही कुपुत्र
और अनंत तक चलने वाली
शान्ति की खोज ....
morning main do egg
जवाब देंहटाएंsham ko do pag
aur rat ko do ---------
शांति कि तलाश में हम सब लेकिन वो कमबख्त कहीं मिले तो सही...कहाँ छुप गयी है कठोर तेरे चाहने वाले दर दर भटक रहे हैं...:-)
जवाब देंहटाएंदो पैग लो तो शांति और चार लो तो असीम शांति मिलती है.
नीरज
deepak ji
जवाब देंहटाएंshanti prapt karne ek yah bhi rasta hai mujhe maloom nahi tha par mujhe is tarah se shanti chahiye bhi nahi(:
aapki rachna dil ko chhoo gai.
poonam
बहुत भावुक हो दीपक बावा ...कुपुत्र आंसू नहीं बहाते ! शांत शांत शांत ....
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
शांति खोजने से कहाँ मिलती है .... वो तो अंदर छिपी होती है ... दो पेग पीने के बाद तो बाहर आ जाती है ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर !
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha bhai jaan.
जवाब देंहटाएंsome people go to temple everyday
some go to bar
but in the both the cases
the soul is guided by the spirit
bahut achha blog
congrats