9 अग॰ 2011

महंगा पर ताकतवर देश है..... कभी महान और विश्वगुरु भी था....

महंगा पर ताकतवर देश है..... कभी महान और विश्वगुरु भी था....
कई लोग नीली पगड़ी पहन कर या फिर बिना पगड़ी के भी रसोगुल्ला की मीठी मीठी चाशनी में अपनी बातें भिगो भिगो कर कह रहे है - नहीं हम विश्व की शक्तिशाली अर्थव्यवस्था है........ हमें कोई हिला नहीं सकता... कोई अन्ना - कोई स्वामी या कोई बाबा नहीं ... ... कोई नहीं... दुनिया भले डूब जाए... पर हम शक्तिशाली है.. अपने गरीब धरती पुत्रों की बदोलत...

हम संम्पन है क्योंकि अपने लोगों को गरीब बना दिया है ... वो गरीब है तभी हम उनको १०० दिन की भीख देते हैं.... तुम्हारे पास जमीन है - और तुम गरीब होकर जमीन क्या करोगे.... तुम्हारे पास पैसा होना चाहिए - जिससे तुम अपने बच्चों को महंगे स्कूलों में पढा सको, गाडी ले सको और ७० रुपे लीटर का पेट्रोल भरवा सको.... देश को तरक्की करने दो इसी में सबका भला है ; अपनी जमीन हमें दे दो ...... और पैसे लो...

देखो, तुम्हारे पुरखो के पास जमीन थी - और तुम्हारे पास भी है - पर तुम लोगों ने क्या किया ...... महाजन के यहाँ गिरवी रखी और शेहर जाकर मजदूरी की, - तुम्हारे भाइयों ने महंगे विदेशी बीज लिए - ट्रेक्टर के लिए कर्जा लिया  - फिर भी फसल नहीं काट पाए और खुदखुशी कर गए....... मर गए - तिल तिल कर के...

तुम समझदार हो - तुम जीना चाहते हो - दिल्ली जैसे महानगरीय व्यवस्था माफिक ... बिंदास..... पैसा लो - और खुल कर जियो - कर लो दुनिया मुठी में.... जमीन से कभी तुम्हारे बाप-दादाओं का भला नहीं हुआ... तुम्हारा कैसे होगा...

सत्यम शिवम सुन्दरम - दूरदर्शन पर - दो बीघा जमीन देखी होगी - क्या मिला उस किसान को - फेक्टरी लग ही गयी न उसकी जमीन पर - पर तुम्हे तो  पैसा मिल रहा है - पैसा है तो जिंदगी है....छोडो जिद को.. 

ओ-----ओ-----
अजब तोरी दुनिया है मोरे रामा ...... अजब तोरी दुनिया 
परबत काटे सागर पाट महल बनाए हमने 
पत्थर पे बगिया लहराई फाल खिलाए हमने 
होके हमारी हुई न हमारी 
अलग है तोरी दुनिया हो मोरे रामा - 
हो मोरे रामा 
अजब तोरी दुनिया है मोरे रामा 


ओ मोरे रामा - ओ मोरे रामा
फटी धरती - सुनी कोख.... 
खड़ा सेठ मुस्कुराता है ...
ऊँची ऊँची बिल्डिंग के सपने 
सभी को दिखाता है ...
कहीं दूर बैठा धरती पुत्र 
अपने भाग्य को कोस-कोस 
भूखे ही मर जाता है 
 ओ मोरे रामा - ओ मोरे रामा
गज़ब तोरी दुनिया है मोरे राम 


कहाँ हो विमल राय ...... 
पटकथा आज फिर तैयार है ......
फिल्मांकन करो भाई 

10 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य वचन बाबा जी ......आज के वक़्त में बिल्डर ही अपनी जेबे भरने में लगे है ....और किसानो के पास ज़मीन होते हुए भी ....भूखे मरने ओर खुदखुशी के अलावा कोई रास्ता नहीं है

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  2. तुम समझदार हो - तुम जीना चाहते हो - दिल्ली जैसे महानगरीय व्यवस्था माफिक ... बिंदास..... पैसा लो - और खुल कर जियो - कर लो दुनिया मुठी में.... जमीन से कभी तुम्हारे बाप-दादाओं का भला नहीं हुआ... तुम्हारा कैसे होगा...

    ameen jameen aur kameen ya to teeno aap ke saath ho ya phir jo baba ne kaha hai maan lo....

    jai baba banaras......

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  3. महंगाई जो मार रखी है ! गरीबो को फुरसत ,सोंचने की नहीं ! यह भी एक साजिस के रूप है

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  4. अजब दुनिया का निराला अंदाज.

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  5. १०० दिन की भीख भी कागज़ पर ही मिलती है, सच में कौन खाता है उसे यह सभी जानते हैं. अगर गरीब को मिल भी गयी तो उसके लिए पहले रिश्वत माँगते हैं.

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  6. कर्जा ले के घोड़ा खरीदो,
    भीख मांग के चने खिलाओ।
    इस सरकार के राज में यही हो रहा है।

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बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.