24 अग॰ 2011

नशा बुरी बात........ नहीं तो सब कुछ उल्टा पुल्टा........

लीना तरकारी काट के खाना बनाने का उपक्रम कर रही है... बच्चे डब्लू डब्लू ई, और मैं... बोतल खोल एक किनारे बैठ जाता हूँ..

सामने दिवार पर... चाचा नेहरु कोट पर फूल लगाए मुस्कुरा रहे है... और गाँधी जी.. १००० नोट के उपर..... जो सब्जी वाला लेने आया है.
टीवी पर अन्ना हजारे हैं... अर्धलेटे हुए ..... किरण बेदी तिरंगा लहरा रही है... सोनिया गाँधी...  लेक्चर दे रही है ... और मनमोहन सिंह आज्ञाकारी बच्चे की तरह सुन रहे हैं........ प्रणव दादा सहमति से सर हिलाते हैं ....... कपिल सिब्बल और दिग्विजय तिवारी मौन है..... क्लास लग चुकी है..
बोतले खुली पड़ी है ....... और मैं एक पेग ख़त्म करता हूँ .... अन्ना हजारे करवट बदल लेते हैं... किरण बेदी का हाथ थक गया है..... केजरीवाल झंडा थाम लेते हैं....
मनमोहन सिंह का सर झुका हुआ है..
सब्जी वाला चला जाता है...... गाँधी जी भी गए.... 
लीना झल्लाहट के साथ आती है... 
प्याज काटने से आंसू आ रहे है.... मैं अन्ना हूँ की टोपी पहने ... एक महिला भी रो रही है....... साथ ही प्याज काट रही है.....
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता..
अन्ना फिर करवट लेते हैं...... भूखे पेट नींद नहीं आती.... डॉ. चेक कर रहे हैं...
३ पेग ख़त्म होने को है..
प्रणव मुखर्जी झंडा फिराने लग जाते है....  किरण बेदी... कुर्सी पर बैठ गयी है... केजरीवाल मौन है....... जैसे सब समझ आ गया... बच्चे थक कर देखते हैं...  संसंद में डब्लू डब्लू ई शुरू हो जाती है...... चित्र में से नेहरु मुस्कुराते हैं....
राहुल गांधी आते हैं... भूख बहुत लगी है... पर प्याज कटे नहीं और तरकारी बनी नहीं... दलित महिला के यहाँ पिछले ९ दिन से चूल्हा नहीं जला... राहुल को रोटी नहीं मिली....
बाबा आंबेडकर...... बुखारी साहेब की टोपी पहनते हैं........ गांधी जी की नहीं.... क्योंकि वो तो अन्ना ने पहन ली जो उत्तर गयी क्योंकि अन्ना करवटें बहुत बदलते हैं... भूखे पेट बुजुर्ग को नींद नहीं आती...
४ पेग भी जाता है जहाँ बाकी ३ गए ..
मैं रोटी के लिए आवाज लगता हूँ, लीना आग्नेय नेत्रों से घूरती है....... मनमोहन सिंह हाथ जोड़ते हैं..... सोनिया गाँधी रसोई में है..... उसे नमकदानी नहीं मिलती....... राहुल गाँधी मना करता है ...... उसे दलित के घर का खाना चाहिए... बच्चे सारा कौतुक देखते हैं... देश देख रहा है....... 
अन्ना फिर करवटें बदलते हैं.....
धीरे धीरे ....
मैं चारों तरफ देखता हूँ संशय वाली नज़रों से....
१ पेग और लेता हूँ ....
नेहरु अट्हास करने लग जाते हैं..... उनकी गांधी टोपी गिर जाती है......... जो लपक कर राहुल गाँधी उठा लेता है.... और पहनता हैं....
प्रणव आते हैं... और राहुल की टोपी उतार कर उसकी जेब में रख देते हैं...
बच्चे फिर कौतुक देखते हैं..
संसद में डब्लू डब्लू ई,  चलती रहती है.... 
अन्ना इंतज़ार में हैं.... रोटी के ... भूखे... पर सोनिया गाँधी खाना जला देती है......
मनमोहन सिंह विदा लेते हैं...... 
बोतल सामने रखी रखी ख़त्म होने को आती है....... 
दिवार से चाचा नेहरु परेशान दीखते हैं... गुलाब का फूल गायब है...
टीवी पर फिर अन्ना दिख रहे है... गुलाब का फूल हाथ में लिए हुए, मुस्कराहट के साथ...
राम लीला मैदान में फिर से...
सब्जी वाला १००० का गाँधी जी दान पेटी में डाल देते हैं...... क्योंकि  
मनमोहन सिंह लेटे लेटे करवटें बदलते हैं ....... नीली पगड़ी पहने.... संसद में डब्लू डब्लू ई,  ख़त्म हो जाती है....... सभी आकर सामने बैठे हैं..... नीली पगड़ी पहने...
सोनिया गाँधी तिरंगा लहरा रहीं है मंच से ..... चक्र की जगह हाथ है...... प्रणव गा रहे हैं..... हम होंगे कामयाब .... हम होंगे कामयाब एक दिन... 
अन्ना मुस्कुराते हैं लालकिले से ..... .... गरीब अटट्हास करता है...  झोपड़े से निकल कर... क्योंकि झोपड़े में तिरंगा लहरा रहा है..
बोतल खाली होकर गिर जाती है..... और मैं पूर्णत: भर कर नाचता हूँ..........  प्याज़ काटने से आंसू नहीं निकलते .... सभी नाच रहे हैं.... 
पर राम लीला मैदान में सभी बैठे हैं खामोश......... नीली पगड़ी पहने ..... 
और उनकी छाती पर लिखा है .....मैं मनमोहन ,,,,,,,,,,,,

जय राम जी की..




............................................................
जी, अर्चना जी को पोस्ट बहुत पसंद आयी और उन्होंने इस पोस्ट को आवाज़ भी दी कि 'देखी जायेगी' आप उनके ब्लॉग 'मेरे मन की'  पर सुन सकते हैं... 

18 टिप्‍पणियां:

  1. मन गए गुरु, कस के खबर ली है. एक बोतल ने झकास काम किया है. अगर एक और..........

    जवाब देंहटाएं
  2. ये बक-बक है ? दीपक बाबा की? और ये उल्टा-पुल्टा सब कुछ सीधा -सच्चा ही दिख क्यों दिख रहा है ?..

    जवाब देंहटाएं
  3. कमाल की पोस्ट है बन्धु! सच्चाई भी, दुखद भी, हंसाने वाली भी। बहुत पहले अंग्रेज़ी में एक लघुकथा सी पढी थी, न जाने क्यों उसकी याद आ गयी। इच्छुकजन नीचे के लिंक पर क्लिक करके पढ सकते हैं:

    peg after peg

    जवाब देंहटाएं
  4. ठीक याद दिलाया अनुराग सर,
    मुझे ढंग से याद नहीं आ रहा था...... पर ४-५ साल पहले ऐसी ही कहानी किसी ग्रुप में पढ़ी थी.......... मन में बहुत कुछ उमड़ रहा था.... तो उसी का सहारा लिया...
    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह सच में बहुत ही खूब ....अगर बक बक ऐसी है तो ....सही बात कैसी होगी ??????

    जवाब देंहटाएं
  6. तीन पैग ...
    चार पैग ....
    पांच पैग .......
    बाबा घर में ढंग से रहा करो .....मुझे आपकी चिंता है ?

    जवाब देंहटाएं
  7. आज की बक बक तो बहुत मजेदार .... गडबड झाले के बीच सन्देश मिल गया ...

    जवाब देंहटाएं
  8. बोतल ने "बे-तल" का भेद खोल कर रख दिया!! अच्छी बक-बक!!

    जवाब देंहटाएं
  9. कौन ब्रांड है बाबाजी जो ये सब सुझा देती है, जरा खुलासा तो करिये। हम भी ट्राई कर देखें।

    जवाब देंहटाएं
  10. यह छत्तीसगढ़ी पढ़ा कि नहीं ?
    " नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब "

    जवाब देंहटाएं
  11. ओये संजय बाऊ ........
    बोत दिन बाद आया यार.... वेल्कोम जी...

    जवाब देंहटाएं
  12. Bhaujai ke nam leena hai e ta humka mlum nahi ttha...
    Bottol khol ke likhna bada khatrnak hai baba la sach samne aa jayega....
    Mobile se reply kar raha hun isliye bhasha sonia gandhi ki(roman) hai.....


    Agli bakbak ka intjar hai
    Bak bak jari rahe.......

    जवाब देंहटाएं
  13. जबरदस्त क्रियेशन ||
    बधाई बाबा |

    http://dcgpthravikar.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  14. अद्भुत है !
    प्रविष्टि का आभार |

    जवाब देंहटाएं

बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.